पाँच पीरो को पर्चा

पाँच पीरो को पर्चा

पाँच पीरो को पर्चा

नमस्कार आज के इस आर्टिकल मे आपको बाबा रामदेवजी के पीरो के पीर रामसापीर बनने की सम्पूर्ण कहानी जानने को मिलेगी । साथ ही आपको यह भी जानने को मिलेगा की किस प्रकार बाबा रामदेवजी ने पाँच पीरो को पर्चा दिखाया था ।

आप सभी ने बाबा रामदेवजी के कई नाम सुने होंगे जिनमे से रामसापीर नाम बहुत ही प्रसिद्ध है । आपको रामसापीर  नाम की कहानी तो पता ही होगी पर की कभी आपने इस नाम के पीछे की सम्पूर्ण कहानी को विस्तार से जानने का प्रयाश किया है । तो आइए जानते है रामसापीर नाम की सम्पूर्ण कहानी ।

पाँच पीरो और रामदेवजी का  मिलन 

बाबा रामदेव जी द्वारा किए गए चमत्कारों के कारण रामदेव जी की ख्याति चारों ओर फैलने लगी ।  बाबा रामदेव जी के सभी चमत्कारों में भैरव वध ने उन्हें सबसे ज्यादा ख्याति दिलाई है । हर कोई यह मानने को तैयार ही नहीं था कि कैसे एक 12 वर्ष के बालक ने क्रूर और विशाल दैत्य का वध कर दिया था । परंतु बाबा के द्वारा किए गए कई चमत्कारों ने हमें यह मानने पर विवश कर दिया।

पाँच पीरो को पर्चा
पाँच पीरो को पर्चा

इसी बीच रामदेव जी के चमत्कारों की खबर मक्का के पांच पीरों को मिली।  पीर बाबा रामदेव जी के चमत्कार से प्रभावित थे । पीर यह जानना चाहते थे कि आखिर कैसे कोई इतने कार्य कर सकता है, यह सब झूठ है ।  बाबा रामदेवजी के चमत्कारों की सच्चाई को जानने के लिए पाँच पीरो ने रामदेवजी की परीक्षा लेने की सोची । पांचों पीर रामदेवजी को परखने तथा उनके द्वारा कीये गए चमत्कारों की सच्चाई जानने के लिए रुणीचा के लिए निकाल पड़े ।

एक समय रामदेव जी नगरी का भ्रमण कर रहे थे तभी कुछ ही दूरी पर रामदेव जी को पांच पीर आते हुए दिखे रामदेव जी को लगा कोई परदेशी है । जब पीर रामदेवजी के पास पहुचे तब रामदेवजी ने उनका परिचय पूछा । पीरों ने अपना परिचय देते हुवे कहां हम मक्का से रामदेव जी से मिलने के लिए आए आये है । पीरो से रामदेव जी से मिलने की बात सुन रामदेवजी  कहां मैं ही रामदेव हूं बोलिए मैं क्या सेवा कर सकता हूं।

पाँच पीरो को पर्चा

रामदेवजी से परिचय पाकर  पीरो को रामदेवजी पर संचय होने लगा कि क्या वाकई मे ये रामदेव है जिसके चमत्कारों ने हमे यहा तक आने को विवश कर दिया । पीरो  रामदेवजी को देख हसने लगे और कहा तुम रामदेव नहीं हो सकते हो । पीरो की बातों को सुन रामदेवजी ने सब कुछ छोड़ अपनी भारतीय संस्कृति की पालना करते हुवे उनका स्वागत सत्कार किया ।

स्वागत सत्कार के बाद रामदेवजी ने ने पीरो को  पीपल के वृक्ष की छांव में बैठने का निवेदन किया । पीरों ने कहा हम बैठ तो जाएंगे हम बिना आसन के नहीं बैठते हैं तभी रामदेव जी ने एक आसन बिछाया और पीरों से बैठने का आग्रह किया।  पीर बाबा पर हंसने लगे और कहां हम पांच हैं और आसन  एक हैं कैसे बैठे ?

बाबा रामदेव जी ने कहा आप बैठने का कष्ट तो करें जैसे ही पीर बैठने लगे एक ही  आसन के पाँच  आसन बन गए । यह देखकर पीरों को आश्चर्य हुआ परंतु सभी ने अनदेखा कर दिया। पीरो को बिठाने के बाद  रामदेव जी ने पीरों के भोजन के लिए फल एक पत्ते पर परोसकर पीरो से फल ग्रहण करने को कहा परंतु पीरो ने कहा हम अपनी मनपसंद भोजन करेंगे वह भी अपने बर्तनों में किंतु हम अपने बर्तन मक्का मदीना में भूल आए हैं तो हम भोजन नहीं करेंगे ।

पाँच पीरो को पर्चा
पाँच पीरो को पर्चा

पीरो की बात  सुनकर रामदेव जी ने हंसकर कहा आप अपनी पसंद तो बताइए मैं  वही परोस देता हूं । सभी पीरो  ने अपनी अपनी भोजन की पसंद रामदेव जी को बताये ।  रामदेव जी ने जैसे ही अपना हाथ आगे किया मक्का से उनके बर्तन हवा में उड़ते हुए पीरो  के सामने आ गए और वह भी उनके पसंदीदा भोजन के साथ ।

रामदेवजी का रामसापीर नामकरण- पाँच पीरो को पर्चा

सभी पीरों ने बड़े चाव से भोजन किया भोजन करने के पश्चात पीरो ने रामदेव जी से क्षमा मांगी और कहा हुमने आपको पहचानने मे भूल हो गई ।  हम तो आपकी परीक्षा लेने के लिए आए थे परंतु आपने हमें ही चमत्कार दिखा दिया धन्य है आप और आपकी माया।

बाबा रामदेवजी के चमत्कार को देख सभी पीरो ने बाबा को एक नए नाम  रामसापीर नाम को स्वीकार करने की विनती की और कहा बाबा हम तो पीर है पर आप पीरों के पीर रामापीर है ।  तभी से रामदेव जी को रामापीर के नाम से जाना जाने लगा।  बाबा रामदेवजी के इन्ही चमत्कारों के कारण आज मुस्लिम भी  रामदेव जी का ध्यान करते हैं |

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