लोकदेवता हडबूजी और बाबा रामदेवजी

लोकदेवता हडबूजी और बाबा रामदेवजी

लोकदेवता हडबूजी और बाबा रामदेवजी

नमस्कार , आज के इसस आर्टिकल मे हम बात करेंगे लोकदेवता हडबूजी और रामदेवजी के बारे मे । आप सभी हड़बुजी  के बारे मे जानते ही होंगे । हड़बुजी रामदेवजी के भाई थे , परंतु इतिहास मे इनका वर्णन ज्यादा नहीं किया गया है । कहा जाता है की  लोकदेवता हडबूजी  की वजह से ही आज तंवर वंश मे पीर नहीं होते है । उनकी एसी कौनसी भूल थी जिसे आज सम्पूर्ण तंवर समाज पश्चाताप कर रहा है ।

आइए जानते है की हड़बुजी की वह कौनसी भूल थी जिसके कारण आज भी बाबा के भक्त पश्चाताप की आग मे जल रहे है ।

आप सभी को ज्ञात ही होगा की जब रामदेवजी ने समाधि ली थी तब रामदेवजी ने एक चेतावनी के साथ वरदान दिया की मेरे जाने के बाद मेरी समाधि को कोई नहीं खोदेगा और मेरे आर्शीवाद से तंवर समाज मे मेरे जैसे पीर होते ही रहेंगे । परंतु हड़बुजी ने भात्र प्रेम मे बाबा रामदेवजी की समाधि खोद डाली । आइए अब हम पूरा वृतांत विस्तार से जानते है ।

 

लोकदेवता हडबूजी को  मिला बाबा रामदेवजी की समाधि का समाचार 

रामदेव जी और हड़बुजी दोनों मासीआई भाई थे । दोनों के बीच अपार प्रेम व स्नेह था। हड़बूजी का रामदेवजी से मिले बहुत अधिक समय हो गया था परंतु रामदेवजी ने हड़बूजी से मिलने का वचन दिया था । हड़बूजी के बारे में कहा जाता है कि जब रामदेव जी समाधि लेने के समय हड़बूजी किसी यात्रा पर गए हुए थे । जब हड़बूजी यात्रा से वापिस लौटे तो उन्होंने रामदेवजी से मिलने की सौची और वे रामदेवजी से मिलने के लिए रुनीचा जाने की तैयारी करने लगे ।

हड़बूजी जैसे ही रुणीचा के लिए निकल रहे थे तभी उनको किसी ने रामदेवजी के बारे मे समाचार दिया की बाबा रामदेवजी ने जीवित समाधी ले ली है । यह बात सुनकर हड़बूजी को विश्वास नहीं हुआ और वे किसी और से समाचार पूछने निकल पड़े । सभी लोगों ने यही कहा की बाबा ने समाधि ले ली है । रामदेव जी की समाधि का समाचार मिला तो उनको बहुत ज्यादा दुख हुआ तुरंत रामदेव जी की खबर लेने के लिए रुणिचा के लिए निकल पड़े ।

लोकदेवता हडबूजी और बाबा रामदेवजी का मिलन 

हड़बुजी  दुखी मन से रामदेवरा की यात्रा करते करते है । हड़बुजी मन ही मन रामदेवजी के साथ बिताए हुवे पल याद करते रहते है और हड़बुजी यह विश्वास था की बाबा ने समाधि नहीं ली है क्युकी रामदेवजी ने उनसे मिलने का वचन जो दिया था । सोच मे डूबे हुवे हड़बुजी रामदेवरा के नजदीक पहुचते है और अचानक हड़बुजी को रामदेवरा के मार्ग मे बाबा रामदेवजी के दर्शन हो जाते है ।

हड़बुजी को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं होता है और वे आगे चले जाते है । तभी रामदेवजी हड़बुजी को अपनी तरफ बुलाते है। रामदेवजी को समीप पाकर हड़बुजी बहुत प्रसन्न होते है ।  हड़बूजी के खुशी का ठिकाना नहीं था ।  बहुत दिनों के पश्चात मिलने के कारण दोनों में काफी समय तक बातचीत हुई। रामदेवजी से मिलने के कारण हड़बूजी सब कुछ भूल गए और उन्हे यह विश्वास हो गया की रामदेवजी जीवित है ।

लोकदेवता हडबूजी का महल पहुचना

रामदेवजी ने हड़बूजी से बहुत समय बात के बाद हड़बूजी को  महल जाने का कहते है और स्वयं उनके पीछे आने का कहते है । यह सुनने मे भी आता है कि रामदेव जी हड़बुजी को एक सोहन चुटिया और रजत  कटोरा देकर कहा की हड़बु तुम जाओ मे आता हूँ । यह सुनकर हड़बुजी महल के लिए निकल पड़ते है । कुछ ही पहर बाद हड़बूजी महल पहुंचते हैं जहां सभी रामदेव जी के शोक में डूबे हुए थे।

लोकदेवता हडबूजी और बाबा रामदेवजी

हड़बूजी कहते कि आप सब लोग किसका शोक कर रहे हैं रामदेव जी से तो मैं अभी मिलकर आ रहा हूं।  सभी ने हड़बूजी की बात को अनदेखा कर दिया । लोगों के द्वारा अनदेखा किए जाने पर हड़बूजी ने रतन कटोरा व सोन चुटीया आगे किया जो रामदेवजी की याद स्वरूप समाधि में रखे गए थे।

बाबा रामदेवजी की समाधि की खुदाई

रतन कटोरा व सोन चुटीया को देखकर लोगों को भ्रम हो जाता है कि रामदेव जी समाधि से बाहर आ गए सभी लोग रामदेव जी को ढूंढने निकल पड़ते हैं बहुत ढूंढा पर रामदेव जी नहीं मिले । अंततः सभी निराश होकर  रामदेव जी की समाधि खोदने का निश्चय करते है । सभी ग्राम वासी भ्रम मे आकर रामदेवजी के वचन को भूल जाते है और समाधि की खुदाई शुरू कर देते है ।

ग्राम वासियों ने जैसे ही समाधि को खोदते हैं तभी अचानक आकाश मैं तेज गर्जना होती है और एक ध्वनि सुनाई देती है आप सभी को मेरे विश्वास को तोड़ है मैंने आपको पहले ही मेरी समाधि खोदने से मन किया था परंतु आपने मेरी अवज्ञा कि अत: अब तुम्हारी पीढ़ी में कभी भी कोई पीर नहीं होगा।

आकाशवाणी द्वारा यह स्वर सुनकर सबको अपनी गलती का ज्ञान होता है तथा रामदेवजी से अपने अपराध की क्षमा मांगते है । साथ ही हड़बूजी को भी अपनी भूल का ज्ञान है की उन्होंने रामदेवजी को एक साधारण व्यक्ति समझा । इस तरह रामदेवजी की आगे की किसी भी पीढ़ी मे कोई पीर नहीं हुआ ।

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