badrinath dham ka itihaas

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badrinath dham

बद्रीनाथ धाम  मंदिर हिंदुओं के चार धामों में से एक प्रसिद्ध धाम है । यह उत्तराखंड के चमोली जनपद में स्थित भगवान विष्णु को समर्पित हिंदू मंदिर है । इस मंदिर को बद्री विशाल के नाम से भी जाना जाता है । बद्रीनाथ मंदिर की भौगोलिक स्थिति उत्तरी अक्षांश तथा पूर्वी देशांतर पर है ।

इस मंदिर के नाम पर ही आसपास बसे नगर को बद्रीनाथ कहा जाता है । बद्रीनाथ चमोली जिले की जोशीमठ तहसील में एक नगर पंचायत है जो 2 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ  हैं । भौगोलिक दृष्टि से यह स्थान हिमालय पर्वतमाला के ऊंचे शिखरों के मध्य गढ़वाल क्षेत्र में समुद्र तल से 3133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ।

badrinath dham ka itihaas
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बद्रीनाथ धाम में प्रसिद्ध घूमने लायक स्थान places to visit in badrinath dham

  1. नीलकंठ
  2. संतोथपथ
  3. ब्रह्म कपाल
  4. चरण पादुका
  5. नारद कुंड
  6. वसुंधरा जल प्रपात
  7. वासु की ताल
  8. लीला ढोंगी
  9. भीम पुल
  10. सरस्वती नदी
  11. पंचशिला

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बद्रीनाथ धाम  मंदिर की उत्पत्ति के विषय में अनेक मत प्रचलित मत
कुछ सूत्रों के अनुसार यह मंदिर आठवीं शताब्दी तक एक बहुत बड़ा बुध स्तूप था , जिसे आदि शंकराचार्य ने एक हिंदू मंदिर में परिवर्तित कर दिया । इस तर्क के पीछे मंदिर की वास्तुकला एक प्रमुख कारण है जो किसी मंदिर के समान है । इसका चमकीला मुख्य भाग किसी बौद्ध मंदिर के समान प्रतीत होता है। बताते हैं कि इस मंदिर को 9 वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित किया ।हिंदू ग्रंथों के अनुसार यह भगवान विष्णु की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी।  

shree krishan or badrinath dham

भगवान विष्णु जी के अवतार श्री कृष्ण अपनी शिक्षा प्राप्ति के समय अपने गुरु के साथ भ्रमण के लिए इस जगह पर आए थे और भगवान कृष्ण ने अपने गुरु का अहंकार तोड़ने के लिए उनको यहां पर बद्रीनारायण भगवान के रूप में दर्शन दिए जिसे बद्री विशाल नाम से भी जाना गया ।

badrinath dham की स्थापत्य शैली 

 बद्रीनाथ मंदिर अलकनंदा नदी के लगभग 50 मीटर ऊंचे धरातल पर निर्मित है । इसका प्रवेश द्वार नदी की ओर देखता हुआ है, मंदिर की तीन संस्थाएं हैं
गर्भ ग्रह
दर्शन मंडल
सभा मंडल.

मंदिर का मुख्य भाग पत्थर से बना है , इसमें धनुष आकार की खिड़कियां हैं । चौड़ी सीडीओ के माध्यम से मुख्य प्रवेश द्वार तक पहुंचा जा सकता है और इसे सिह द्वार भी कहा जाता है । यह एक लंबा धनुष आकार द्वार हैं इस द्वार के शीर्ष पर तीन स्वर्ण कलश है और छत के मध्य विशाल घंटी लटकी हुई है ।

अंदर प्रवेश करते ही मंडप है ओर एक बड़ा स्तंभों से भरा कमरा है, जो गर्भ ग्रह या मुख्य मंदिर क्षेत्र की ओर जाता है । कमरे की दीवार और स्तंभों को जटिल नक्काशी के साथ सजाया हुआ है । इस मंडप में बैठकर श्रद्धालु विशेष पूजा एवं आरतियां आदि करते हैं । सभा मंडप में ही मंदिर के धर्माधिकारी नायब रावल एवं वेद पाठी विद्वानों के बैठने का स्थान है।

गर्भ ग्रह की छत शंकुधारी आकार की है और लगभग 15 मीटर लंबी है ,छत  के शीर्ष पर एक छोटा कपोला भी है जिस पर सोने का पानी चढ़ा हुआ है। मंदिर में भगवान नारायण की 1 मीटर लंबी शालिग्राम से निर्मित मूर्ति हैं जिसे बद्री वृक्ष के नीचे सोने की चद्दवा मैं रखा गया है।

बद्रीनाथ की इस मूर्ति को कई हिंदुओं द्वारा भगवान विष्णु की  8 स्वयं प्रकट हुई मूर्तियों में से एक माना जाता है । इस मूर्ति के चार हाथ है दो हाथ ऊपर उठे हुए हैं , एक में शंख और दूसरे में चक्कर है तथा दो अन्य योग मुद्रा में स्थित है।

badrinath dham  मंदिर के धार्मिक पर्व तथा परंपराएं

Badrinath  मंदिर में आयोजित सबसे प्रमुख पर्व माता मूर्ति का मेला है जो मां पृथ्वी पर माँ गंगा  के आगमन की खुशी में मनाया जाता है ।

बद्री केदार यहां पर एक अन्य प्रसिद्ध त्योहार है जो जून के महीने में बद्रीनाथ और केदारनाथ दोनों मंदिरों में मनाया जाता है । यह त्यौहार 8 दिनों तक चलता है इस में आयोजित समारोह के दौरान देश भर से आए कलाकार यहां प्रदर्शन करते हैं । प्रातः काल महा अभिषेक , अभिषेक , गीता पाठ पूजा आदि होते हैं जबकि शाम को पूजा में गीत गोविंद और आरती होती हैं ।

सभी अनुष्ठानों के दौरान अष्टोत्रम सहस्त्र नाम जैसे वैदिक ग्रंथों का उच्चारण किया जाता है। आरती के बाद Badrinath  की मूर्ति से सजावट हटा दी जाती है , और पूरी मूर्ति पर चंदन का लेप लगाया जाता है । मूर्ति पर लगी चंदन अगले दिन भक्तों को दर्शन के दौरान प्रसाद के रूप में दी जाती हैं । मंदिर में सभी धार्मिक अनुष्ठान भक्तों के सामने होते हैं , जबकि कुछ मंदिरों में विपरित होता है।

यहाँ की प्रचलित धारणा यह है कि इस मंदिर में पूजा करने के साथ-साथ भक्त अलकनंदा नदी के 1 कुंड में डुबकी लगाते हैं ,  कुंड में डुबकी लगाने से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है।

बद्रीनाथ धाम  कैसे जाए 

बद्रीनाथ के इस आर्टिकल में हमने जाना बादतीनाथ में आप 11 जगहों को विजिट कर सकते है। अब रहा सवाल की बद्रीनाथ कैसे जा सकते है। आप किसी भी स्थान पे रहते हो भारत में हर स्थान पे रेलवे स्टेशन मौजूद है । अपने नजदीकी रेलवे से आपको हरिद्वार के लिए ट्रेन मिल जायेगी नहीं तो आप बस के माध्यम से भी हरिद्वार पहुच सकते हो।हरिद्वार से आगे की यात्रा आप बस तथा प्राइवेट कार से ही की जा सकती है क्योंकि आगे ट्रेन उपलब्ध नहीं हैं ।

कम  खर्च में badrinath yatra कैसे पूरी करे ?

इस आर्टिकल के अंतिम प्रारूप में जानेगे badrinath yatra काम खर्च में कैसे की जाये । ये सवाल काफी लोगो के मन में आता हैं की हमें भी चार धाम की यात्रा करनी चाहिए परन्तु कम खर्चे में में हो जाए । इन सभी प्रश्नो का जवाब आपको यहाँ मिल जाएगा ।  इस पोस्ट में  हम हरिद्वार से बद्रीनाथ की यात्रा के बारे में बात करेंगे । आप किसी भी शहर गांव कस्बे में रहते हो तो आप ट्रेन के माध्यम से आसानी से हरिद्वार पहुंच सकते हो। 

किस समय badrinath yatra की जाए की खर्च कम आएगा ?

समान्य समय में बद्रीनाथ जाना थोड़ा महंगा साबित हो सकता है ,इसलिए आप badrinath yatra का उचित समय निकाल  के ही जाए । बद्रीनाथ की यात्रा का उचित समय सितम्बर से अक्टुम्बर के बीच का सबसे उत्तम समय माना जाता है ,इस समय सबसे कम खर्च आता है। 
ऐसा क्यू होता है आइये जानते है?? – बद्रीनाथ में सितम्बर से अक्टूबर के मध्य खाने तथा रहने का कॉस्ट कम हो जाता है।

हरिद्वार से badrinath yatra  कैसे करे ?

आप सभी को ये पता ही होगा की भारत में सबसे सस्ता ट्रेवल ट्रेन के माध्यम से ही किया जा सकता है , परन्तु बद्रीनाथ में किसी भी प्रकार का कोई भी रेलवे स्टेशन नहीं है और अंतिम रेलवे स्टेशन हरिद्वार ही है।  तथा सबसे निकटतम एयर पॉट देहरादून में है वहाँ से बद्रीनाथ की दुरी लगभग 300 किमी है। यहां से टैक्सी की सेवा उपलब्ध रहती है।

बस के दवारा badrinath yatra।

बस से यात्रा आप अगर हरिद्वार या ऋषिकेश से चालू करते है तो इसके लिए आपको सबसे पहले हरिद्वार या ऋषिकेश आना होगा। पहले दिन आप हरिद्वार से बस पकड़ के बद्रीनाथ धाम जा सकते है।

हरिद्वार से badrinath dham  का लगभग बस से किराया कितना होगा है ??

हरिद्वार से बद्रीनाथ का लगभग बस से सबसे सस्ता टिकट 580 रूपये है और यह लगभग आपको 10 hours and 20 mints में छोड़ देती है सबसे आसान तथा सस्ता ट्रेवल बस के द्वारा ही रहता है

हरिद्वार से बद्रीनाथ की दुरी कितनी है ?

हरिद्वार से बद्रीनाथ की दुरी लगभग 315 किमी है | पहाड़ी इलाका होने के कारण इस सफर में बहुत ज्यादा समय लग जाता है तथा इस रुट पे बस को सावधानी से चलना पड़ता है | इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखे जिस दिन आप हरिद्वार पहुंच रहे है उसी दिन शाम को जाने वाली बस का टिकट ले ले, क्यू की सुबह हरिद्वार से बद्रीनाथ जाने वाली बस में जगह नहीं बच पाती है। और कही ऐसा न हो जाए की उस दिन आपको बद्रीनाथ जाने की कोई बस मिले ही नहीं इसलिए बद्रीनाथ जाने के लिए 1 दिन पहले टिकट बुक कर ले।


ताकि आप समय से बद्रीनाथ धाम पहुंच सके और रात को आप ठहरने के लिए आराम से रूम ढूंढ सकते है क्योंकी अगर आपको पहुंचने में देरी होती है तो हो सकता है आपको रहने के साथ साथ खाने की कॉस्ट ज्यादा पड़ सकती है। इस लिए जितना जल्दी बस पकड़ सके उतना ही बेहतर रहेगा।

बद्रीनाथ पहुंचने के बाद आप किसी सस्ते हॉस्टल या फिर टेंट में रह सकते है क्यों की इनकी cost कम होती है और आप अच्छे खासे पैसे बचा सकते है। आपको बद्रीनाथ में कई धर्मशाला भी मिल जायेगी आप वहाँ रूक सकते है। धर्मशाला में per पर्सन का किराया 100 से लेकर 300 रूपये तक ही आएगा ये सबसे कम दाम की बात कर रहे है। होटल की कॉस्ट ज्यादा रहता है 

badrinath dham  में सस्ते या फिर फ्री में खाना कैसे खाये ?

इस धाम में आप फ्री तथा सस्ते में आराम से भोजन कर सकते है वहाँ पे आप होटल में थाली सिस्टम से 100 तक में आराम से भरपेट खा सकते है ये सबसे बेस्ट विकल्प रहता है। और अगर आप फ्री में खाना चाहते है तो आप लंगर जाके आराम से खाना खा सकते है वहाँ पे बहोत अच्छे quvality का भोजन करवाया जाता है।

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