DALI BAI का इतिहास एवं जीवन परिचय

DALI BAI का इतिहास एवं जीवन परिचय

Daali bai डाली बाई का इतिहास एवं जीवन परिचय बाबा रामदेव जी के परम भक्तों में डाली बाई का नाम सबसे पहले लिया जाता है। डाली बाई जी ने अपना पूरा जीवन रामसा पीर के पूजा आराधना में समर्पित कर दिया। डाली बाई रामदेव जी को अपना भगवान मानती थी। डाली बाई ने पूरे जन समुदाय में ऊंच-नीच तथा जाति के आधार पर भेदभाव को कम करने में रामदेव जी का पूरा साथ दिया।

  डाली बाई (Dali bai) का जन्म

लोक कथाओं के अनुसार डाली बाई के जन्म का पुख्ता प्रमाण किसी के पास नहीं है परंतु लोगों का मानना है कि डाली बाई बाबा रामदेव जी को बाल्यावस्था में जाल वृक्ष के नीचे पेड़ की डाली के साथ मिली थी । इस कारण उस छोटी सी सुकन्या को डाली बाई के नाम से जाना जाने लगा।

बाबा रामदेव जी तथा डाली बाई (Dali bai ) का संबंध

डाली बाई तथा रामदेव जी का संबंध धर्म भाई बहन के रूप में जाना जाता है। कुछ लोग डाली बाई को रामदेव जी के परम भक्त बताते हैं। कहा जाता है कि रामदेव जी डाली बाई की किसी भी बात को मना नहीं करते थे। डाली बाई रामसापीर को एक पेड़ के नीचे डाली के साथ मिली थी इसी कारण उन्होंने डाली बाई को अपने महल में रखकर उनका भरण पोषण किया।

डाली बाई (Dali bai ) की समाधि

जब बाबा रामदेव जी ने अपना जन्म का उद्देश्य पूरे होते हुए दिखा तो उन्होंने समाधि लेने का निर्णय लिया। जब उनकी परम भक्त डाली बाई कोयह बात ज्ञात हुई बाबा उन्हें बिना बताए समाधि लेने जा रहे हैं।   Dali baai वहां दौड़ती हुई रामदेव जी के पास पहुंची और प्रभु मेसे  स्वयं की समाधि लेने की बात की। तब रामदेवजी ने डाली बाई को अनदेखा कर दिया ।

यहा बाबा की समाधि खुदने का कार्य पूरा हो चुका था । बाबा रामदेवजी सभी से विदा लेकर जैसे ही अपना पग समाधि की ओर बढ़ाते है तो डाली बाई यह कहकर रोक देती है की यह समाधि उसकी है ।  Dali baai  की यह बात सुन लोगों मे कोलाहल मच गया तब रामदेवजी ने कोलाहल को शांत कर कहा यह समाधी तेरी कैसे  हुई।

बाबा की बात सुन डाली कहती है मै आपको इसका प्रमाण दे सकती हु । इस समाधि को थोड़ा और  खोदने पर आपको कंगसी, डोरा और कंगन मिलेगा तो ये समाधि मेरी अन्यथा आपकी । समाधि को थोड़ा और खुदवाने पर वहा कंगसी, डोरा और कंगन मिलते है । डाली बाई की भक्ति की शक्ति को देख  सभी जनसमुदाय  Daali baai को नमन करते है ।

डाली की एसी प्रभु भक्ति को देख रामदेवजी कहते है डाली तुम धन्य हो अब यह समाधि तेरी हुई । Daali baai की समाधि स्थल प्रदान कर रामदेव जी डाली से पूछते हैं कि तेरी तो समाधि तो निश्चित हो गई, परंतु मेरी समाधि कहां होगी यह सुन कर डाली बाई मुस्कुरा कर कहती है कोई भक्त अपने भगवान से दूर कैसे रह सकता है तो आप की समाधि भी मेरे नजदीक होगी । परंतु आप से यह विनती है कि आप मेरे पश्चात समाधि लेंगे बाबा रामदेवजी डाली की विनती को स्वीकार कर लिया समाधि की आज्ञा दे दी । डाली ने बाबा रामदेव जी से एक दिन पूर्व 1442 भाद्रपद शुक्ल पक्ष की दशमी को समाधि ली।

डाली बाई(Dali bai) ने शादी क्यों नहीं कि?

भक्त शिरोमणि डाली बाई (Daali bai )ने अपने संपूर्ण जीवन बाबा रामदेव जी को समर्पित कर दिया था। उन्होंने संपूर्ण जीवन में बाबा रामदेव जी की भक्ति तथा पूजा आराधना की।वह बचपन से ही अपने प्रभु रामसा पीर की भक्ति में लीन रहती थी।  उन्होंने अपनी आखिरी जीवन समय में भी बाबा रामदेव जी का भजन कीर्तन करते हुए समाधि ले ली थी।

कुछ भ्रांतियां जिनके बारे में आपको बताना चाहूंगा

बहुत लोगों का यह मानना है कि ( Dali bai ) डाली बाई मेघवंशी थी तथा उनके माता-पिता का वर्णन भी सामने आता है । परंतु यह संभव नहीं हो सकता कुछ लोगअपने स्वार्थ को सिद्ध करने हेतु यह बताते हैं। (Dali bai )डाली बाई का भरण पोषण मेघवंश में हुआ था ।परंतु यह स्पष्ट नहीं है कि डाली बाई के माता पिता कौन थे।

 

dali bai bhajan lyrics

karjo karjo mhari dali bai aarti lyrics in hindi

बाबा रामदेव आरती
मुखड़ा-करजो करजो म्हारी डाली बाई (Daali bai )आरती
करजो करजो म्हारी सुगणा बाई आरती
थारी आरतड़ी में हिरा मोती लाल

लाल में भाण उगिया

1-थारा घोडीला रा गला घुघर माल

पगा में नेवर बाजिया

चढ़ चढ़ गया म्हारा रामदेवजी

घोडीला तमारा घोडीला

2-रामा पेला युगा में प्रहलाद आविया

उनका संग में हे रतना दे राणी नार

लाला में भाण उगिया

3-रामा दूजा युगा में हरिशचन्द आविया

उनका संग में हे तारा दे राणी नार

लाला में भाण उगिया

4-रामा तीजा युगा में जेठल आविया

उनका संग में हे तोल्डा दे राणी नार

लाला में भाण उगिया

5-रामा चौथा युगा में बालीचंद राव आविया

उनका संग में हे जना दे नार

लाला में भाण उगिया

6-प्रभु का शरणा में हरजी बोलिया

ये तो बोल्या हे रूपादे राणी नार

लाला में भाण उगिया

करजो करजो म्हारी डाली बाई आरती

करजो करजो म्हारी सुगणा बाई आरती

थारी आरतड़ी में हिरा मोती लाल

लाला में भाण उगिया

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