Ramdevra ka rahasya : रामदेवरा मंदिर ,रामदेवपीर

हरजी भाटी का परिचय : रामदेव पीर से संबंध ,harji bhati

हरजी भाटी का परिचय –

Harji bhati

बाबा रामदेवजी के अगर प्रिय भक्तों की बात की जाए तो डाली बाई का सबसे पहले लिया जाता है । परंतु बाबा रामदेवजी एक ऐसे भी भक्त है जो रामापीर को डाली बाई के बाद अति प्रिय थे , हम बात कर रहे है हरजी भाटी की । हरजी भाटी की गणना बाबा रामदेवजी के अनन्य भक्तों मे की जाती है ।

आज इस आर्टिकल मे हम हरजी भाटी के जन्म ,इतिहास तथा बाबा रामदेवजी से मिलन के बारे मे विस्तार से जानेंगे ।

हरजी भाटी का जन्म – Harji bhati ka janm

बाबा रामदेवजी के अनन्य भक्त  हरजी भाटी का जन्म 1745 वि. स. मे आश्विन शुक्ल अष्टमी को बैठवासिया  में हुआ था । हरजी भाटी अखंड ब्रह्मचारी होने के साथ साथ एक महान कवि भी थे ।  हरजी भाटी के पीता रामदेवजी के अनन्य भक्त थे ,वे प्रतिदिन रामदेव जी का कीर्तन करते थे । अपने पिता से ही हरजी भाटी ने रामदेव जी के नाम की महिमा को समझा । हरजी भाटी बाल्यकाल से ही रामदेवजी की भक्ति  में लीन रहने लगे।

Ramdevra ka rahasya : रामदेवरा मंदिर ,रामदेवपीरRamdevra ka rahasya : रामदेवरा मंदिर ,रामदेवपीर

 

हरजी भाटी का बाल्यकाल – Harji bhati ka balykaal

हरजी भाटी का सम्पूर्ण बाल्यकाल बाबा रामदेवजी की भक्ति मे ही निकला । हरजी भाटी की द्वारकाधीश रूपी रामदेवजी की भक्ति में इतना लगन था कि वे घंटों तक रामदेवजी के ध्यान में बैठे रहते थे । हरजी भाटी को लेकर कुछ लोगों का कहना है की जब हरजी भाटी बाल्यकाल मे भेड़े चराने जंगल जाते थे तब उन्हे बाबा रामदेवजी ने साक्षात दर्शन दिए थे । हरजी भाटी को बचपन मे ही रामदेवजी ने भक्ति का वरदान दिया था ।

हरजी भाटी एक कवि – Harji bhati ek kavi 

हरजी भाटी को बाबा रामदेवजी के साहित्य मे एक विशेष कवि का दर्जा प्राप्त है ।  हरजी भाटी बचपन से ही बहुत अच्छा गायन कर लिया करते थे । हरजी भाटी के सुरों मे एसा जादू था की लोग उनके गायन को सुनकर मग्न मुग्ध हो जाते थे । हरजी भाटी का अपने गायन मे निपूर्ण तथा ब्रमचर्य  जीवन का पालन करके बाबा की भक्ति करने के कारण लोगों ने हरजी भाटी को पंडित जी की उपाधि से नवाजा ।

हरजी भाटी  का गायन विध्या का भी बहूत ही अच्छा ज्ञान होने के कारण  रामदेवजी की भक्ति का प्रचार प्रसार किया साथ ही बाबा रामदेवजी के सुंदर सुंदर  भजनों का गायन करते रहते थे। हरजी को गायन करते देख आस पास  से जा रहे लोग सभी भक्तगण  हरजी भाटी की गायन में खो जाते और बाबा रामदेव जी का जयजय कार लगाते थे।

Harji bhati or Ramdevji

हरजी भाटी और रामदेवजी के मिलन को लेकर एक कथा बहुत प्रसिद्ध है । कहा जाता है की हरजी भाटी बाल्यकाल मे 12 वर्ष की उम्र मे बकरिया चराने जंगल मे जाते थे । एक दिन रामदेवजी ने एक साधु के रूप धारण कर हरजी को दर्शन दिए । साधु के रूप मे होने के कारण हरजी बाबा रामदेवजी को पहचान नहीं सका । साधु ने हरजी को बकरियों का दूध पिलाने के लिए हरजी को कहा परंतु हरजी ने नम्रतापूर्वक साधु से कहा महाराज मेरी बकरिया छोटी है जिस कारण वो दूध देने मे असमर्थ है , अतः आप मुझे क्षमा करे ।

हरजी की बात सुनकर साधु ने कहा एक बार तुम प्रयत्न करके देखो । साधु ने हरजी को कटोरा दिया हरजी ने साधु की बात मान बकरी को दूहना शुरू किया और बाबा के चमत्कार से बिनब्याही बकरी के स्तनों से दूध की धार बहने लगी । Harji bhati को यह देख आश्चर्य हुआ और कटोरा भरकर साधु को दिया । साधु ने दूध पीकर हरजी से पानी पिलाने को कहा परंतु हरजी ने मना करते हुवे कहा क्षमा करे मेरे पास आपको पिलाने के लिए जल नहीं है ।

 

इस पर साधु ने कहा जो तालाब से ले आओ । यह सुनकर हरजी ने कहा यहा आस पास कोई तलब नहीं है । तब साधु ने कहा क्यू झूठ बोल रहे हो मुझे तो वहा तालाब दिखाई दे रहा है । हरजी जल लेने जैसे ही तालाब की तरफ गया उसे यह ज्ञात होता है की ये मेरे प्रभु बाबा रामदेवजी है । हरजी जल लेकर वापस लौटता है तो उसे वहा साक्षात बाबा रामदेवजी के दर्शन होते है । बाबा को देख Harji bhati बाबा के चरणों मे गिर गया और बाबा हरजी को आशीर्वाद देकर अंतरध्यान हो गये ।

इस घटना के बाद Harji bhati की बाबा के प्रति आस्था और बढ़ गई और वे अब पूरे समय बाबा की भक्ति मे लिन रहने लगे । हरजी भाटी के बारे मे यह भी कहा जाता है की हरजी भाटी ने जोधपुर की मसूरिया पहाड़ी पर बाबा का जम्मा लगाया था जिसमे कई बाबा के भक्त और संगीतकार भी आए थे । पूरी रात्री बाबा की बाणियों की गंगा बहती रही । सभी बाबा की भक्ति मे मगन होकर नाचने लगे थे ।

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