सिन्धु घाटी का इतिहास- indus valley
सिन्धु घाटी का इतिहास हिंदुस्तान में पाए जाने वाली सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता के अवशेष भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और इरान के कुछ हिस्सों में मिलते हैं। यह सभ्यता लगभग 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व तक विकसित हुई थी। इंडस वैली सभ्यता को हिंदुस्तान की सबसे पुरानी सभ्यता के रूप में भी जाना जाता है।
इंडस वैली सभ्यता के विशेष रूप से उल्लेखनीय कारणों में से एक है कि इसके अवशेष तब तक ढूंढे नहीं गए थे जब तक कि 1920 में एक अंग्रेजी विद्वान ने मोहेंजोदड़ो के पास इंडस नदी के किनारे इस सभ्यता के अवशेषों की खोज नहीं की थी। उस समय से इंडस वैली सभ्यता के बारे में कई विस्तृत अध्ययन हुए हैं और इस सभ्यता को समझने में लोगों के लिए कई संदर्भ उपलब्ध हो गए हैं।

सिन्धु घाटी का इतिहास – स्थापना
इंडस वैली सभ्यता की स्थापना के बारे में कुछ निश्चित नहीं है। इसके बारे में कुछ स्पष्टता नहीं है कि यह सभ्यता किसने स्थापित की थी। हालांकि, इस सभ्यता के विकास के दौरान इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने अपने आस-पास के क्षेत्रों से आकर इसे बनाया हो सकता है।
सिन्धु घाटी का इतिहास – लोगों की जीवनशैली
इंडस वैली सभ्यता के लोगों की जीवनशैली से संबंधित जानकारी अधिकतर इस सभ्यता के अवशेषों से प्राप्त हुई है। इन अवशेषों में से कुछ इंडस नदी के किनारे पाए जाते हैं। इंडस नदी के किनारे रहने वाले लोगों की जीवनशैली से संबंधित जानकारी मिलती है।
इंडस वैली सभ्यता के लोग धातुओं, पत्थरों, अंगूठे वाले घड़ों और सोने-चांदी के आभूषणों के उत्पादन में निपुण थे। इन आभूषणों को अक्सर समाज की ऊँची वर्गों द्वारा पहना जाता था। इसके अलावा, इंडस वैली सभ्यता के लोग धातुओं के वस्तुओं के निर्माण में भी निपुण थे। इस सभ्यता के लोग भूमि की खेती भी करते थे।
कुछ स्पष्टता नहीं है कि यह सभ्यता किसने स्थापित की थी। हालांकि, इस सभ्यता के विकास के दौरान इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने अपने आस-पास के क्षेत्रों से आकर इसे बनाया हो सकता है।
इंडस वैली सभ्यता के लोग अपनी जीवन शैली में काफी आगे थे। वे सब्जियों, अनाज, मछली, मांस और फल-फूल खाते थे। इसके अलावा वे अपनी स्वस्थ्य और अच्छी तरह से बनाए रखने के लिए ध्यान रखते थे। वे अपने घरों के बाहर बाग-बगीचे और उद्यान बनाते थे जहां वे अलग-अलग प्रकार के फल-फूल उगाते थे।
सिन्धु घाटी का इतिहास – सभ्यता का अंत
कुछ विद्वानों का मानना है कि इंडस वैली सभ्यता का अंत उस समय हुआ था जब वहां के लोगों के बीच जल-संबंधी समस्याएं होने लगी थीं। उनकी नदियों में जल स्तर कम होने लगा था जिससे उन्हें अपनी खेती और व्यापार के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। इसके अलावा वहां के लोगों को विभिन्न रोगों से लड़ना भी पड़ रहा था जो उन्हें नष्ट कर रहे थे।
कुछ अन्य विद्वानों का मानना है कि इंडस वैली सभ्यता का अंत उस समय हुआ था जब वहां के लोगों को आक्रामक शक्तियों से लड़ना पड़ा था। उन्हें अनेक बार बाहर से आक्रमण का सामना करना पड़ा था जो उन्हें नष्ट कर रहे थे। इसके अलावा, इंडस वैली सभ्यता के अस्तित्व के अंत का कारण उस समय हुआ था जब वहां के लोगों के बीच अन्तर्कलह शुरू हो गएथे।
जैसे-जैसे समय बीतता गया, इंडस वैली सभ्यता के अस्तित्व के बारे में जानकारी कम होती गई। लेकिन 1920 में, मोहनजोदड़ो में किए गए उत्खनन से इस सभ्यता के बारे में जानकारी मिलने लगी।
सिन्धु घाटी का इतिहास – लोगों की रुचि
इंडस वैली सभ्यता के लोगों का जीवन खुशहाल था। वे अपनी संस्कृति और कला में विशेष रूचि रखते थे। वे सुंदर ज्वेलरी, सोने और चांदी के आभूषण, चीनी और पत्थर के उपकरण बनाते थे। इन उपकरणों को उन्होंने व्यापार के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था।
इंडस वैली सभ्यता के लोग धर्म और धार्मिक आचरणों में भी विशेष रुचि रखते थे। वे बाकी लोगों की तरह देवताओं की पूजा करते थे और अपने घरों में देवी-देवताओं के मूर्तियों को सजाते थे।
इंडस वैली सभ्यता का अवशेष विभिन्न स्थानों पर पाए गए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख स्थानों में मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, लोथल और कलीबंगन हैं। इन सभी स्थानों पर उत्खनन करने से इंडस वैली सभ्यता के लोगों की जीवन शैली, संस्कृति, कला और विज्ञान के बारे में जानकारी मिली है।
इंडस वैली सभ्यता के लोग नदियों के किनारों पर रहते थे। वे नदियों के तट पर अपने घर बनाते थे। इन घरों की खासियत यह थी कि उनमें सेंचुरी पहले दीवार थी, जो इस सभ्यता के लोगों की सुरक्षा और स्थिरता को दर्शाती थी। इन घरों में कमरे थे और उनमें सुविधाएं भी थीं। वे घर बड़े आकार के थे और चारों ओर सड़कें बनाई गई थीं।

सिन्धु घाटी का इतिहास – के लोगो का व्यापार –
इंडस वैली सभ्यता के लोग खेती, पशुपालन, व्यापार, उद्योग और शिल्प आदि कामों में लगे रहते थे। इनमें से अधिकतर लोग खेती करते थे और वे धान, गेंहूँ, बाजरा और मक्का आदि फसलें उगाते थे। इसके अलावा वे घोड़े, भेड़-बकरी और बैल आदि पालतू जानवरों का भी पालन करते थे।
इंडस वैली सभ्यता के लोग व्यापार के भी बहुत शौकीन थे। वे अपनी फसलों और उत्पादों को बाजार में बेचते थे। इसके अलावा वे मोहनजोदड़ो से चीन, मेसोपोटामिया, एग्यप्ट और बाकी कुछ देशों तक के व्यापार में भी लगे रहते थे। वे उन देशों से लाये गए सामान जैसे मिट्टी के बर्तन, सोना, चांदी, मूंगफली का तेल, मूंगफली और मसाले आदि को यहाँ बेचते थे।