Masuriya Temple jodhpur
मसूरिया वाले बाबा रामदेव जी
रामदेव पीर ,बाबा रामदेवजी की ख्याति – Masuriya Temple jodhpur
लोक देवता बाबा रामदेव जी को पीरों के पीर रामापीर के नाम से भी जाना जाता है। बाबा की अलौकिक चमत्कारों एवं विचारों के कारण आज पूरा देश बाबा रामदेव जी को जानता है। पश्चिमी राजस्थान में जन्मे अजमाल जी के पुत्र बाबा रामदेव जी आज विश्व भर में विख्यात हो चुके हैं। वर्तमान समय में बाबा रामदेवजी के मंदिर रामदेवरा में देश विदेश के श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं। रामापीर की भक्तों द्वारा बाबा रामदेवजी के कई बड़े-बड़े मंदिरों का निर्माण भी कराए गए हैं। इन सभी मंदिरों में सबसे प्रसिद्ध मंदिर रामदेवरा का रामदेव जी का मंदिर है।
राजस्थान के जैसलमेर जिले की पोकरण तहसील के रामदेवरा गांव जो अब नगर बन चुका है| ramdevra में बाबा रामदेव जी की समाधि स्थली है जहां पर बाबा का भव्य मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर में प्रतिवर्ष भादवा मास में सबसे लंबा चलने वाला मेले का आयोजन होता है।
बाबा रामदेव जी का रामदेव स्थित मंदिर प्रसिद्ध है साथ ही जोधपुर में स्थित मसूरिया वाले बाबा रामदेव जी का मंदिर भी बहुत चर्चित है। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि अगर कोई भक्त गाने इस मंदिर में दर्शन किए बिना रामदेवरा मंदिर के दर्शन करता है तो उसकी मनोकामनाएं पूर्ण नहीं होती है।
आज हम इस आर्टिकल में इसी धारणा को लेकर मसूरिया वाले बाबा रामदेव जी मंदिर के संपूर्ण इतिहास तथा वहां की मान्यताओं व विशेषताओं के बारे में चर्चा करेंगे।
आइए इस आर्टिकल के साथ-साथ हम आपको मसूरिया मंदिर Masuriya Temple jodhpur की भव्यता और सुंदरता को इस प्रकार जानेंगे आपको इस मंदिर के साक्षात दर्शन हो जाएं तथा आप भी इस जगह पर जाने के लिए बाध्य हो जाए।
मसूरिया वाले बाबा रामदेव जी मंदिर का संपूर्ण इतिहास एवं जानकारी – Masuriya Temple jodhpur
राजस्थान की जोधपुर जिले की मसूरिया पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर भक्तों को अपनी और आकर्षित करता है। मसूरिया में स्थित यह मंदिर बहुत ही सुंदर तथा भव्य बना हुआ है। यह मंदिर बाबा रामदेव जी की गुरु बालीनाथ जी की समाधि के रूप में जाना जाता है।Masuriya Temple jodhpur की अगर इतिहास के बारे में बात करें तो मंदिर का इतिहास बाबा रामदेव जी तथा बालीनाथ जी से संबंधित हैं।
मसूरिया मंदिर का इतिहास –
Masuriya Temple history
बाबा रामदेव जी ने जब भैरव नामक क्रूर राक्षस का वध किया था उसके कुछ वर्षों पश्चात बाबा रामदेव जी के गुरु बालीनाथ जी पोकरण से जोधपुर आ गए। जोधपुर में बालीनाथ जी ने मसूरिया पहाड़ी पर एक गुफा में अपना निवास किया। बालीनाथ जी इसी गुफा में बाबा रामदेव जी का ध्यान किया करते थे।
बालीनाथ जी ने मसूरिया की इसी पहाड़ी पर अपनी समाधि ली थी। बालीनाथ जी की इसी समाधि पर भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है।
Masuriya Temple jodhpur – क्यों प्रसिद्ध है मसूरिया धाम
जब बालीनाथ जी पोकरण छोड़ जोधपुर आए थे तब उन्होंने मसूरिया की पहाड़ी की एक गुफा को ही अपना निवास स्थान बनाया तथा यहीं पर बाबा रामदेव जी की भक्ति करते थे। यहां पर बालीनाथ जी का धुणा भी बना हुआ है।
बालीनाथ जी की कई धुणे हुए हैं परंतु मसूरिया में स्थित धुणा बालीनाथ जी अंतिम धुणा है। क्योंकि यही वह धुणा हैं जहां पर बालीनाथ जी ने अपनी अंतिम माला जपी थी।
मसूरिया बाबा रामदेव जी मंदिर –
Masuriya Temple jodhpur
मसूरिया वाले बाबा रामदेव जी मंदिर के दर्शन के लिए आपको जोधपुर स्थित मसूरिया पहाड़ी पर जाना होगा। इस मंदिर के दर्शन के लिए आपको सबसे पहले प्रवेश द्वार को पार करना होगा जहां से कुछ ही दूरी पर पहाड़ी की तलहटी में बाबा रामदेव जी का मंदिर तथा बालीनाथ जी की समाधि बनी हुई है।
मसूरिया वाले बाबा रामदेव जी के दर्शन करने के लिए आपको थोड़ी मशक्कत करनी होगी क्योंकि यहां पर आपको कुछ सीढ़ियां की चढ़ाई करनी पड़ेगी। यह सीढ़ियां कुछ भागों में विभाजित की गई है जिसमें पुरुषों के लिए अलग लाइने तथा महिलाओं के लिए अलग लाइन की व्यवस्था की गई है।आपको यह जानकर काफी खुशी होगी की आपको दर्शन करने के लिए आपको सीढ़ियों का सहारा तो मिला परंतु मंदिर के जीर्णोद्धार से पहले यहां पर सीढ़ियों की व्यवस्था भी नहीं थी।
इस मंदिर में आपको हाथ द्वारा पत्थरों पर की गई नक्काशी का बेहद अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। मंदिर के अंदर बाबा रामदेव जी की प्रतिमा लगी हुई है जो बहुत ही सुंदर बनी हुई है। यहां पर बाबा रामदेव जी तथा बालीनाथ जी के चित्र भी लगे हुए हैं। मंदिर में और अंदर जाने पर आपको एक गुफा मिलेगी जहां पर रामदेव जी की प्रतिमा है ही साथ ही बालीनाथ जी की भी मूर्ति बनी हुई है। यहां से कुछ दूरी पर आपको बालीनाथ जी की समाधि के दर्शन का भी सौभाग्य मिल जाता है।
मसूरिया मंदिर की विशेषता –
Masuriya Temple jodhpur
मसूरिया के बाबा रामदेव जी के इस मंदिर में रामदेवरा में स्थित बाबा रामदेव जी के मंदिर में प्रज्वलित अखंड जोत के समान है एक दीपक देखने को मिलेगा जो हमेशा चलता रहता है।
मसूरिया की इस पहाड़ी से आप जोधपुर के संपूर्ण नजारे को देख सकते हैं। साथ ही आपको इस पहाड़ी से जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग भी देखने को मिलता है।
मसूरिया किस मंदिर का निर्माण पहाड़ी को काट काट कर किया गया है जिसके कारण यह मंदिर धरातल से बहुत ऊंचा बना हुआ है। मसूरिया के बाबा रामदेव जी मंदिर में भक्तों द्वारा चूरमा का भोग लगाकर अपनी मनोकामनाएं बाबा से मांगी जाती हैं।
मसूरिया मंदिर से संबंधित धारणा – मसूरिया धाम
मसूरिया के बाबा रामदेव जी के इस मंदिर के प्रति लोगों की धारणा बनी हुई है की यहां के दर्शन किए बिना रुणीचा दर्शन का फल प्राप्त नहीं होता है। इसके पीछे का लोग कारण बताते हैं कि जब बाबा रामदेव जी ने समाधि लेने का निर्णय लिया था तब वे अपने गुरु बालीनाथ जी के दर्शन करना चाहते थे। गुरु के दर्शनों के लिए बाबा रामदेव जी मसूरिया में इस समाधि पर आए थे। जहां पर उन्होंने अपने गुरु की समाधि के दर्शन की तथा यहां के लोगों को कहा की जो कोई भी भक्तों मेरी गुरु की समाधि के दर्शन भादवा सुदी दूज को करके भादवा सुदी दशमी को मेरे समाधि के दर्शन करेगा तो उसकी संपूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण होगी।
इसी के बाद से ही बाबा के सभी भक्तों पहले मसूरिया में बाबा के दर्शन करते हैं तथा बाद में बाबा की समाधि के दर्शनों के लिए रणुजा पहुंचते हैं। बाबा के भक्तों की बाबा के प्रति इतनी आस्था है कि लोग रणुजा दर्शन के लिए पैदल, बस, मोटरसाइकिल, साइकिल, गाड़ी तथा रेलगाड़ी के जरिए रणुजा धाम पहुंचते हैं।
बाबा रामदेव जी का मसूरिया मेला – मसूरिया धाम
बाबा रामदेव जी का मसूरिया भी था रामदेवरा में लगने वाले भादवा मेले के साथ ही प्रारंभ होता है अर्थात भादवा सुदी शुक्ल पक्ष की दूज को मसूरिया का मेला प्रारंभ होता है। इस मेले में लाखों की संख्या में बाबा के भक्त गण दर्शन के लिए मसूरिया आते हैं। मसूरिया मंदिर में बाबा की भक्तों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए भादवा की अमावस्या, एकम तथा दूज को यह मंदिर रात और दिन खुला रहता है क्योंकि इन दिनों लाखों की संख्या में बाबा के भक्तों का सैलाब मंदिर में उमड़ता है। बाबा की भक्तों को बाबा के दर्शन के लिए ज्यादा इंतजार ना करना पड़े इसलिए मंदिर द्वारा या व्यवस्था की जाती है।
मसूरिया घाटी पर हरजी भाटी को पर्चा – मसूरिया धाम
यहां के लोगों का कहना है कि यहां पर बाबा रामदेव जी की भक्त हरजी भाटी द्वारा जमा जागरण किया गया था जहां पर भी अपने साथ बाबा रामदेव जी का कपड़े का घोड़ा साथ रखते थे। इस घोड़े के बारे में लोगों का कहना था कि यह घोड़ा चमत्कारी है लोग इसकी पूजा करते थे। जब यह समाचार जोधपुर के राजा को पहुंचा की हरजी भाटी नाम का एक व्यक्ति मसूरिया पहाड़ी पर आया हुआ है जो सभी जनता को बहला कर ठग रहा है।
तब राजा द्वारा हरजी भाटी को किले में बुलाया गया और कहां एक घोड़ा दाना चुगेगा तो हम मानेंगे रामदेव जी चमत्कारी पुरुष है अन्यथा हम आपको जेल में बंद कर देंगे। तब हरजी भाटी द्वारा रामदेव जी की अरदास की गई कि प्रभु अब आप ही बता सकते हैं मुझे तब रामदेव जी स्वयं वहां पधारे और हरजी भाटी को वहां से मुक्त कराया तथा कपड़े के घोड़े ने राजा द्वारा दिए गए दाने भी चुग लिए। यह देख कर राजा बाबा रामदेव जी की जय जयकार करने लगते हैं।
बाबा रामदेवजी के भजन और आरती के लिए यहाँ क्लिक करे –
भक्तो के द्वारा पूछे गये प्रश्न – Masuriya Temple jodhpur
मसूरिया मेला कब लगता है?
मसूरिया मेला प्रतिवर्ष भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की दूज को शुरू होकर भाद्रपद मास की दशमी तक चलता है।
जोधपुर से रामदेवरा की दुरी ?
जोधपुर से रामदेवरा की दुरी 180 किलोमीटर है।
मसुरिया क्यों प्रसिद्ध है ?
जब बालीनाथ जी पोकरण छोड़ जोधपुर आए थे तब उन्होंने मसूरिया की पहाड़ी की एक गुफा को ही अपना निवास स्थान बनाया तथा यहीं पर बाबा रामदेव जी की भक्ति करते थे। यहां पर बालीनाथ जी का धुणा भी बना हुआ है।
जोधपुर से रामदेवरा ट्रेन टाइम तथा दुरी
जोधपुर से रामदेवरा की दुरी 180 किलोमीटर है।
5:21 pm from जोधपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन
6:45 pm – 2:58 am
6:45 pm from जोधपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन
जोधपुर से रामदेवरा बस कहा से मिलती है ?
जोधपुर से रामदेवरा के लिए आपको बस बॉम्बे मोटर चौराहे से मिलेगी।
मसुरिया मंदिर से बाबा रामदेवजी मंदिर रामदेवरा कितना दूर है ?
मसुरिया मंदिर से बाबा रामदेवजी मंदिर रामदेवरा २०० किलोमीटर दूर है।
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