पृथ्वीराज चौहान movie 2022
Prithviraj Chauhan मूवी 2022 लोग काफी लंबे समय से इंतजार कर रहे थे।Finally 3 जून को पृथ्वीराज चौहान मूवी रिलीज होने जा रही है।इस मूवी में पृथ्वीराज चौहान का किरदार अक्षय कुमार ने निभाया है।

About Prithviraj Chauhan movie production
Prithviraj Chauhan- धारावाहिक एक आगामी भारतीय हिंदी फिल्म है जो पृथ्वीराज के इतिहास पर आधारित हैं ।इसका निर्देशन चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने किया है और प्रोडक्शन हाउस आदित्य चोपड़ा ने यशराज फिल्म के तहत बनाई हैं।यह चौहान वंश के शासक पृथ्वीराज चौहान की जीवन के बारे हैं ।
इस फिल्म में अक्षय कुमार पृथ्वीराज चौहान का किरदार निभाते हुए दिखाई देंगे और मानुषी छिल्लर पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयुक्ता के किरदार में दिखाई देगी । संजय दत्त काका कान्हा चौहान के रूप में दिखाई देंगे और सोनू सूद कवि चंद्रवरदाई के रूप में अपना किरदार निभाएंगे।
Latest news from Prithviraj Chauhan movie
Akshay Kumar’s Prithviraj name changed to Samrat Prithviraj पृथ्वीराज चौहान मूवी 3 जून को रिलीज होने जा रही है।
इसी बीच एक विवाद सामने आया है कि करणी सेना द्वारा पृथ्वीराज मूवी का टाइटल नाम चेंज करने की अपील रखी है और कहा गया है कि अगर इसका नाम चेंज नहीं किया गया तो हम राजस्थान में इसे सिनेमा में नहीं चलाने देंगे ।
इसी के मद्देनजर रखते हुए यशराज फिल्म द्वारा पृथ्वीराज मूवी का टाइटल सिर्फ बदलकर सम्राट पृथ्वीराज रख दिया गया है।बता दें कि करणी सेना ने यह कदम जनहित याचिका के बाद ही उठाया है ।
पृथ्वीराज चौहान को लेकर पूछे के सबसे ज्यादा सवाल
1.सम्राट पृथ्वीराज चौहान Prithviraj Chauhanकी मृत्यु कब और कहां हुई?
पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु 11 मार्च 1192 मैं अजमेर राजस्थान में हुई थी।
पृथ्वीराज चौहान का इतिहास history of Prithviraj Chauhan
चौहान का जन्म 1168 में अजमेर के राजा सोमेश्वर चौहान के यहां गुजरात में हुआ था।बचपन से ही प्रतिभावान थे।
इन्होंने अपनी पिता की मृत्यु के पश्चात 13 वर्ष की आयु में अजमेर की राजगद्दी को संभाला पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही कुशल एवं गुणवान योद्धा थे ।
पृथ्वीराज रासो के अनुसार दिल्ली के शासक आनंदपाल तोमर ने अपने दामाद पृथ्वीराज को शहर दिया था और जब वह इसे वापस पाना चाहते थे ।
यह ऐतिहासिक रूप से गलत हैं क्योंकि पृथ्वीराज के चाचा विग्रहराज चतुर्थ द्वारा दिल्ली को चौहान क्षेत्र में ले लिया गया था । इसके अलावा ऐतिहासिक साक्ष्य बताते हैं कि , अनंगपाल तोमर की मृत्यु पृथ्वीराज की जन्म से पहले हो गई थी ।उनकी बेटी की पृथ्वीराज से शादी के बारे में दावा बाद की तारीख में किया गया था।
Prithvirajपृथ्वीराज चौहान ने कहीं युद्ध लड़े जिसमें से तराइन के युद्ध बहुत प्रसिद्ध हुए।
चौहान ने 12 वीं शताब्दी तक भारतीय उत्तर पश्चिम क्षेत्र पर कब्जा करने वाले मुस्लिम राजवंशों के कई हमलों का सामना किया। 12 वीं शताब्दी के अंत तक गजनी आधारित गौरी वंश ने चौहान राज्य के पश्चिम के क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया था ।
चौहान की बाल अवस्था में 1175 मैं मोहम्मद गोरी ने सिंधु नदी को पार किया और मुल्तान पर कब्जा कर दिया। धीरे धीरे कुछ वर्षों में गौरी ने पेशावर सिंध और पंजाब को जीतते हुए चौहानों के पश्चिम ने अपनी शक्ति को मजबूत किया उन्होंने अपना पंजाब में अड्डा बना दिया और अपने साम्राज्य का विस्तार करने लगा। इससे पृथ्वीराज संघर्ष में आना पड़ा कहीं लोगो का कहना है कि चौहान ने कई बार गौरी को पराजित किया।
उसके बाद चौहानों का गोरी से तराइन में आमना सामना हुआ ।
6.चौहान Prithviraj Chauhanऔर गौरी ghori की मृत्यु
चौहान और गौरी की मृत्यु के बारे में स्पष्ट नहीं कहा जा सकता उनकी मृत्यु को लेकर कई प्रकार के तथ्य आते हैं परंतु चंद्रवरदाई द्वारा लिखित पृथ्वीराज रासो में इनकी मृत्यु का विस्तार से वर्णन किया गया है उसी के अनुसार यह लिखा गया है कि
पृथ्वीराज रासो चंद्रवरदाई द्वारा लिखा गया है जिसमें बताया गया है मोहम्मद गोरी ने जब पृथ्वीराज चौहान को परास्त किया था तब वह चौहान को गजनी लेकर आया तथा उसकी आंखें निकाल दी थी बाद में पृथ्वीराज चौहान के मित्र और उनके दरबारी कवि चंद्रवरदाई गजनी गए वहां पर उन्होंने मोहम्मद गौरी को बताया कि पृथ्वीराज चौहान का निशाना अचूक है।
पृथ्वीराज बिना देखे कितनी भी ऊंचाई पर लक्ष्य को भेद सकते हैं।इस बात को सुनकर गौरी भी पृथ्वीराज चौहान की धनुर्विद्या को देखने के लिए उत्सुक हुआ ।
और उन्होंने पृथ्वीराज चौहान prithviraj chauhanको दरबार में बुलाया और पास में चंद्रवरदाई को खड़ा किया।पृथ्वीराज चौहान की आंखें नहीं थी लेकिन वह आवाज को सुनकर अपने लक्ष्य को भेद सकते थे।
गौरी के आदेश पर पृथ्वीराज चौहान ने अपना लक्ष्य साधा और उनके मित्र चंद्रवरदाई ने अपनी कविता के माध्यम से गौरी की ऊंचाई और कहां बैठा है इसका पृथ्वीराज चौहान को बोध कराया और चौहान ने अपने लक्ष्य को भेद डाला।
चंद्रवरदाई ने अपनी कविता में कहा
चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान।
इसके बाद चंद्रवरदाई ने कटार से अपने मित्र चौहान की हत्या कर दी और स्वयं आत्महत्या कर ली।
भारत के इतिहास तथा मंदिरो की जानकारी प्राप्तकरने के लिए यह क्लिक करे