Ramapir Daali Baai ki Samadhi
Ramapir के अगर परम भक्तों की बात की जाए तो Daali baai का सबसे सर्वोपरी है । डाली बाई ने बाबा रामदेवजी का हर सुख दुख मे साथ दिया । इसी के चलते जब बाबा रामदेवजी ने समाधि लेने का प्रण किया तब डाली बाई ने बाबा से पहले समाधि ली ।
आज के इस आर्टिकल मे हम उसी त्याग व प्रभु भक्ति के साक्षात रूप को आपके सामने रखेंगे जिसमे एक भक्त अपने भगवान के बिना नहीं रहने के कारण स्वयं अपने प्रभु से इस मोहमाया से भरे नसवर जीवन को त्याग प्रभु भक्ति मे सदा सदा के लिए खूद को समर्पित कर दिया ।
इस आर्टिकल मे आपको एक भक्त और उसके भगवान अर्थात Ramapir और Daali baai की समाधि वृतांत को विस्तार से जानने को मिलेगा । आइए जानते है की किस प्रकार बाबा रामदेवजी तथा डाली बाई ने इस संसार को त्यागा ।
Ramapir Daali Baai ki Samadhi
बाबा रामदेव जी के हर कार्य में उनकी परम भक्त डाली बाई का पूर्ण सहयोग रहा । जब अपने प्रभु रामदेव जी के समाधि लेने की बात आई तो डाली बाई कहा पीछे रहती । बाबा रामदेव जी के जीवन का मुख्य उद्देश्य यही था कि समाज में व्याप्त भेदभाव को मिटाना। बाबा रामदेव जी चाहते हैं कि एक ऐसे समाज की स्थापना हो जहां किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं हो ,जहां सभी लोग मिलकर भाईचारा से रह पाए इसके लिए उन्होंने रामदेवरा गांव की स्थापना की ।
रामदेवरा में रहकर यह एहसास हुआ कि अब उसके जीवन का उद्देश्य पूर्ण हो चुका है उनके कहे अनुसार लोग सभी भेदभावों को भूल मिल जुल कर रहे हैं। समाज को चारों और सुरक्षित देख रामदेव जी ने जीवित समाधि लेने का निश्चय किया। बाबा रामदेव जी की समाधि के निर्णय को सुनकर लोगों में खलबली मच गई सभी लोग बाबा को समाधि लेने के निर्णय को बदलने की विनती करने लगे । इधर जब अजमाल जी को पता चला तो वे तुरंत रामदेव जी के पास पहुंचे और समाधि के विचार को त्यागने की विनती करने लगे ।
Ramapir ने सभी से आग्रह किया की आप मुझे अब न रोके , मेरे जीवन का उद्देश्य पूर्ण हो गया है ,मुजे अब जाने की आज्ञा दे । रामदेव जी के प्रेम भरे वचनों को सुनकर सभी भक्तों ने दुखी मन से जाने की आज्ञा दे दी।
रामदेवजी और नेतलदे का अंतिम मिलन
Ramapir समाधि लेने से पूर्व अपनी पत्नी नेतलदे के पास जाते हैं तब नेतल दे भी समाधि लेने की जिद करती है परंतु बाबा रामदेव जी नेतलदे को मना करते हुए कहते हैं कि अभी आपका समय पूर्ण नहीं हुआ है । अभी तो मेरा समय पूर्ण हुआ है, परंतु नेतल दे रामदेव जी की कोई बात सुनने को तैयार नहीं थी। तभी रामदेवजी अपनी शपत देते हुए कहते हैं कि आपको हमारे बिना रहना होगा क्योंकि अभी तक आपको मेरा अधूरा कार्य पूरा करना होगा जो मेरे जाने के बाद संभव है ।
रामदेवजी की बात सुनकर नेतलदे कहती है की एसा कौनस कार्य है जो आपके जाने के बाद संभव है तब रामदेवजी कहते है की आपको मेरी समाधि स्थल पर एक ऐसे मंदिर का निर्माण कराना होगा जहां दूर-दूर से लोग बिना जाति भेदभाव से मेरे यहां माथा टेकने आए । जहां हिंदू ,मुस्लिम ,सिख ,इसाई बिना किसी संकोच के यहां आ सके । जब मुझे लगेगा कि आपका उद्देश्य पूर्ण हो गया है तब मैं आपको अपने पास बुला लूंगा।
Daali Baai ki Samadhi
बाबा रामदेवजी ने सभी से आज्ञा लेकर समाधि की ओर प्रस्थान करते है । साथ ही बाबा भक्तगन बाबा की महिमा का गुणगान करते हुवे समाधि स्थली की चल पड़ते है । तभी पास ही में डाली बाई प्रभु रामदेव जी का ध्यान कर ही रही थी तभी बहुत अधिक कोलाहल को सुनकर डाली बाई वहां पहुंची और पूछा तो पता चला कि बाबा रामदेव जी समाधि लेने जा रहे हैं । रामदेव जी के समाधि के समाचार को सुनकर डाली बाई को दुख हुआ डाली। बाई रामदेव जी की समाधि के कारण नहीं बल्कि रामदेव जी के समाधि लेने से पहले एक बार भी नहीं बताया से दुखी हुई।
Daali baai वहां दौड़ती हुई रामदेव जी के पास पहुंची और प्रभु में स्वयं की समाधि लेने की बात की। तब रामदेवजी ने डाली बाई को अनदेखा कर दिया । यहा बाबा की समाधि खुदने का कार्य पूरा हो चुका था । बाबा रामदेवजी सभी से विदा लेकर जैसे ही अपना पग समाधि की ओर बढ़ाते है तो डाली बाई यह कहकर रोक देती है की यह समाधि उसकी है । Daali baai की यह बात सुन लोगों मे कोलाहल मच गया तब रामदेवजी ने कोलाहल को शांत कर कहा यह समाधी तेरी केसे हुई।
Ramapir Daali Baai ki Samadhi
बाबा की बात सुन डाली कहती है मै आपको इसका प्रमाण दे सकती हु इस समाधि को थोड़ा और खोदने पर आपको कंगसी, डोरा और कंगन मिलेगा तो ये समाधि मेरी अन्यथा आपकी । समाधि को थोड़ा और खुदवाने पर वहा कंगसी, डोरा और कंगन मिलते है । डाली बाई की भक्ति की शक्ति को देख सभी जनसमुदाय Daali baai को नमन करते है ।
डाली की एसी प्रभु भक्ति को देख रामदेवजी कहते है डाली तुम धन्य हो अब यह समाधि तेरी हुई । Daali baai की समाधि स्थल प्रदान कर रामदेव जी डाली से पूछते हैं कि तेरी तो समाधि तो निश्चित हो गई, परंतु मेरी समाधि कहां होगी यह सुन कर डाली बाई मुस्कुरा कर कहती है कोई भक्त अपने भगवान से दूर कैसे रह सकता है तो आप की समाधि भी मेरे नजदीक होगी । परंतु आप से यह विनती है कि आप मेरे पश्चात समाधि लेंगे बाबा रामदेवजी डाली की विनती को स्वीकार कर लिया समाधि की आज्ञा दे दी । डाली ने बाबा रामदेव जी से एक दिन पूर्व 1442 भाद्रपद शुक्ल पक्ष की दशमी को समाधि ली।
Ramapir ki Samadhi
बाबा रामदेवजी ने डाली बाई के समाधि लेने के बाद समाधि ली थी । कहा जाता है कि रामदेव जी डाली बाई की समाधि लेने के बाद अपने महल पुनःलौट जाते हैं । डाली बाई की समाधि के दूसरे दिन Ramapir पुनःअपने समाधि स्थल पर लौट आते हैं जहां रामदेव जी अपने माता-पिता तथा पत्नी से मोह को त्यागकर खुशी से विदा करने का आग्रह करते हैं ।
Ramapir Daali Baai ki Samadhi
बाबा रामदेव जी ने समाधि लेते समय लोगों को यही उपदेश दिया है कि यहां कोई बड़ा है ना कोई छोटा है ना ही कोई ऊंचा ना ही कोई नीचा किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं है । आप सभी मिलजुल कर रहे । बाबा रामदेव जी अपने भक्तों का यह वरदान देते हुए कोई दिन दु:खी मेरे समाधि पर माता टेकने आएगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी । यह कहकर रामदेव जी समाधि में प्रवेश कर अपने आप को भूमि में विलीन कर देते हैं ।
इस प्रकार रामदेव जी ने भी 1442 में भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की एकादशी को समाधि लेते हैं । बाबा रामदेव जी ने समाधि देने के पश्चात भी अपने भक्तों को कई पर्चे दिए हैं जो आज भी आपको सुनने को मिल जाते हैं ।
रानी नेतलदे की समाधि
बाबा रामदेव जी की आज्ञा को मानकर नेतलदे बाबा रामदेव जी की समाधि पर भव्य मंदिर का निर्माण करवाती है तथा साथ ही बाबा रामदेव जी के चमत्कारों तथा भक्ति का प्रचार प्रसार करती है। समय के साथ-साथ बाबा रामदेवजी की भक्ति का पूरी दुनिया के भक्तों मे प्रचार प्रसार होने लगा ।
आखिर वह समय आ ही गया जब रामदेवजी का रानी नेतलदे को दिया वचन पूरा होना था । रानी नेतलदे हर दिन भांति बाबा रामदेवजी की समाधि पर Ramapir की पूजा अर्चना कर बाबा का ध्यान कर रानी नेतलदे को बाबा रामदेवजी की समाधि से कुछ संकेत मिलने लगे । रानी नेतलदे संदेशों को समझ गई की अब उसके प्रभु उसको बुला रहे है तथा मेरे जाने का समय अब आ चुका है । संकेत समझ नेतलदे बाबा रामदेवजी की समाधि ओर बढ़ती है और पास जाकर समाधि से लिपट जाती है और समाधि में विलीन हो जाती है ।
Ramapir Daali Baai ki Samadhi
Ramapir के भक्ति का यह चमत्कार देख बाबा की जय जय कार लगाते हैं और साथ ही नेतलदे की भक्ति को नमन करते हैं। नेतल दे के जाने के बाद समय के साथ-साथ बाबा की भक्ति का प्रचार पूरे देश भर में फैलने लगा लोग बाबा के दर्शन के लिए जाने लगे साथ ही कई लोगों को बाबा के चमत्कार भी देखने को मिले ।
समय के साथ-साथ Ramapir की समाधि पर मेले का आयोजन होने लगा जो भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष दूज से लेकर ग्यारस तक चलता है। बाबा के चमत्कारों के कारण ही आज प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में दूर-दूर से लोग अपनी मन्नत को लेकर बाबा के यहां माता देखने आते हैं |
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