रामापीर के चमत्कार , परचा

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रामापीर का  चमत्कार : बाबा रामदेवजी की लीला 

लोकदेवता बाबा रामदेवजी जिन्हें रामापीर के नाम से भी जाना जाता है उनके  के द्वारा दिए गए पर्चे चमत्कार आज जग  जग में  विख्यात है। बाबा रामदेवजी के परचों का संग्रह रामाधानी के भक्तों के लिए एक अनमोल खजाना है। इन परचों में छिपी हुई हमारी धरोहर विविधता से भरी हुई है और ये हमें उनकी भक्ति और समर्पण की गहराई को समझने में मदद करते हैं।

क्या आप रामापीर बाबा और उनके चमत्कारों के बारे में जानना चाहते हैं? इस आर्टिकल में रामापीर बाबा के अनेक चमत्कारों की कहानियों को विस्तार से वर्णित किया गया है।

 

बाबा के भक्त इन पर्चो को भजन के रूप में हमेशा गाते रहते है। रामापीर के चमत्कार  के इस आर्टिकल में हम आपको बाबा रामदेवजी के द्वारा दिखाए गए चमत्कारों पर्चो से आपको अवगत कराएँगे जो उनके जीवनकाल के दौरान किये गए थे। कई विद्वानों ने लिखा है बाबा रामदेवजी के द्वारा 24 पर्चे दिए थे परन्तु यहाँ आपको कुछ प्रमुख पर्चो के बारे में पढ़ने को मिलेगा।

 रामापीर के माता मैणादे को परचा

एक बार जब माता मैणादे रसोई में चूल्हे से दूध को उतारना भूल जाती है ,और रसोई से बहार चली जाती है। इतने में बर्तन में रखा दूध उफन जाता है , तब बाबा रामदेव जी अपने हाथ की उंगुली से बर्तन की तरफ इशारा करते है और उफनते दूध के बर्तन को चूल्हे से उतार देते है। कहा जाता है की एक बार रामदेवजी अपनी माता मैणादे को अपने चतुर्भुज रूप के दर्शन भी कराते है। इस प्रकार रामापीर ने बचपन से ही अपने चमत्कारों से भक्तो का पथ प्रदर्शित किया |

 

दरजी को परचा : रामापीर के द्वारा सीख दी गई 

रामदेवजी बाल्यकाल में बहुत ही हठी थे। बाल्यकाल में वे बहुत जिद्द करते थे। एक बार रामापीर   के बाल्यकाल से जुडी कहानी में एक घोड़े के बछड़े को देखा तो उन्होंने घोड़े की सवारी करने की जिद्द की ,परन्तु माता को चिंता थी की कही घोडा बाबा रामदेवजी को चोट न पहुचाये। परन्तु बाबा रामदेवजी   को घोड़े की सवारी करनी थी तो वे माता के पास जाकर रोने लगे ।

रामापीर के बालहठ के कारण माता ने कपडे का घोडा बनाने का आदेश दिया। माता मैणादे ने राजदर्ज़ी को बुलाया और एक मुलायम कपडा देकर घोडा बनाने का आदेश दिया। दरजी को कपडे का लोभ हो गया और घोड़े का निर्माण करने में रद्दी कपडे का उपयोग किया और बाहर अच्छा कपडा उपयोग कर घोडा बनाकर माता मैणादे को दे दिया।

घोडा का निर्माण इतना सुन्दर किया गया था की वो देखते ही मन को मोह ले। माता मैणादे ने घोडा ले जाकर रामदेवजी   को दिया। रामापीर  को घोडा इतना पसंद आया की वो इसकी सवारी करने के लिए घोड़े पर चढ़ गए और घोड़े को लेकर आकाश में उड़ गए। ये देखकर माता मेणादे को चिंता हुई और दरजी को जादूटोना करने के अपराध में कारागृह में बंद करवा दिया।

रामापीर के चमत्कार से ही  दरजी को अपनी गलती का पश्चाताप हुआ और वो भगवान् से अपने किये की माफ़ी मांगने लगे। दरजी की प्राथना को स्वीकार कर रामापीर  अपने महल की परिक्रमा कर अपने माता के पास पहुंच गए। माता मैणादे ने राजदर्ज़ी को कारागृह से मुक्त करने का आदेश दिया और दरजी ने पुनः अपने कृत्य की माफ़ी मांगी।

रामापीर के  चमत्कार :  रतना रायका की माता को परचा

रामदेवजी ने बचपन में रतना रायका की माता को भी परचा दिया। बात उस समय की है जब रतना रायका अपनी माँ से भोजन कराने को कहा तब रतना की माँ उसे भोजन कराने में असमर्थ थी , क्योकि उनके परिवार की स्थिति दो समय का भोजन जुटाने की भी नहीं थी। तब रतना की माँ भगवान् से प्राथना करती है तब रामदेवजी उनकी प्राथना को सुन कर उनके घर आते है और रतना को साथ ले जाने की अनुमति मांगते है।

इस पर रतना की माता कहती है की हम आपके साथ भोजन नहीं कर सकते क्योकि हम निचली जाती के है आपको भी यहाँ नहीं आना चाहिए था। इस पर रामापीर कहते है कौन निचा तथा कौन ऊचा सब लोग एक सामान है। पर रतना की माँ नहीं मानती है तब रामदेव जी रतना में अपना तथा स्वयं में रतना का रूप के दर्शन करवाते है।

इस पर माता रतना को ले जाने की अनुमति दे देते है और रामदेवजी अपने साथ रतना को भोजन कराते है। इससे यह पता चलता है की रामदेवजी बचपन से ही छुआ छूट की भावना के खिलाफ थे।

प्राचीन समय में लोक देवता बाबा रामदेवजी के द्वारा छुआ छूत की मानसकिता को समाप्त करने के लिए चमत्कार किया  तथा आगे हम रामापीर के कई और चमत्कारों का वर्णन देखेंगे और आप भी अपने जीवन में इन्हें उतारने का प्रयास करे |

बाबा रामदेवजी का लाखा बंजारा को परचा : रामापीर का प्रसिद्ध चमत्कार 

एक बार लाखा बंजारा मिश्री बेचने के लिए पोकरण गढ़ आया और मिश्री बेचने लगा। उस समय मिश्री पर लगान लगता था , जिसके कारण लाखा बंजारा कोई लगान मांगने आता तो वो नमक कहकर लगान की चोरी करता। एक दिन रामदेवजी नगर में भ्रमण कर रहे थे तब रामदेवजी ने बंजारे से पूछा मिश्री का लगान दिया या नहीं।

बंजारा लगान को बचाने के लिए रामदेवजी से झूठ बोलता है और कहता की यह मिश्री नहीं नमक है। यह सुनकर रामदेवजी वह से हसकर चले जाते है। पीछे बंजारा मिश्री बेचने के लिए जैसे ही मिश्री लोगो को चखवाता है तब तक वो मिश्री नमक बन जाती है। बंजारे की सारी मिश्री की बोरिया नमक में बदल जाती है। इस पर बंजारे को अपनी भूल है पश्चाताप होता है और वो रामदेवजी के पैरो में आकर माफ़ी मांगने लगता है ।

ramapir ने बंजारे की माफ़ी स्वीकार कर चेतावनी देकर छोड़ देते है। माफ़ी पाकर बंजारा पुनः अपनी बोरिया देखता है तो पता है की सारा नमक मिश्री बन जाता है। ये देखकर सभी नगर वासी रामदेवजी की जयकार करने लगते है।

 

सारथीया खाती को पुनर्जीवित करना : रामापीर के चमत्कारों मे से एक 

रामदेवजी और सारथीया दोनों बालसखा थे ,दोनों में अपार स्नेह था। एक दिन रामदेवजी ने खेलने  के लिए अपने सभी सखाओ के पास जाते है परन्तु उनको वह सारथीया नजर नहीं आता है। तब रामदेवजी सारथीया को लेने उसके घर जाते है और देखते है की सारथीया की माँ रो रही होती है।

रामदेवजी ramapir  ने मैया से रोने का कारण पूछा ,तब माता ने कहा सारथीया अब इस संसार में नहीं रहा। यह सुनकर रामदेवजी सारथीया की मृत देह के पास जाते है और बाह पकड़ कर बोलते है \”साथी क्या तू मेरे से नाराज है ?मेरे से तू क्यों रूठा है ? चल हम दोनों खेलने चलते है सभी मित्र इन्तजार कर रहे है। रामदेवजी द्वारा सारथीया से बात करने से सारथीया पुनर्जीवित हो जाता है।

रामापीर  का डाली बाई को परचा

डाली बाई को परचा रामदेवजी ने बचपन में डाली के मिलने पर दिया था। बात उस समय की है जब ramapir  अपने भाई वीरमदेव के साथ वन में भ्रमण कर रहे थे तभी उन्हें एक पेड़ के नीचे रोती हुई बच्ची मिली। बच्ची लगातार रोये जा रही थी क्योकि वह भूखी थी।

बच्ची को रोता देखकर रामदेवजी ने अपने हाथ का अगूंठा बच्ची के मुँह में दिया तो अंगूठे से दूध की धार निकले लगी। दूध को पीकर बच्ची की भूख मिट गयी और वो शांत हो गयी। बाबा रामदेवजी उस बच्ची को अपने महल लेकर आये और उसका नाम डाली रखा। जो आगे चलकर रामदेवजी की परम भक्त के रूप में विख्यात हुई।

 

बाबा रामदेवजी का भैरव राक्षज का वध : रामापीर का चमत्कार 

बाबा रामदेवजी की नगरी में भैरव नामक दैत्य का आतंक था। सभी नगरवासी भैरव के आतंक से भयभीत थे। भैरव जितनी बार नगर में आता तो वो लोगो को जीवित ही निगल जाता था। भैरव के इस अत्याचार से जनता को मुक्त करने के लिए रामदेवजी भैरव की खोज में निकल जाते है।

खोजते खोजते बालीनाथ के आश्रम पहुंचते है और भैरव के बारे में पूछते है तभी भैरव आ जाता है। भैरव को देख बालीनाथ घबरा जाते है और रामदेवजी को अपने आश्रम में एक कम्बल के नीचे छिपा देते है। भैरव वहा आता है और बालीनाथ से पूछता है की कहा छिपा रखा है मानव को क्योकि मुझे मानव की गंध आ रही है।

तभी रामदेवजी के बाल्यकाल से जुडी कहानी  कम्बल के अंदर से हलचल करते है और भैरव को अपनी ओर बुलाते है। ये देखकर भैरव अंदर जाकर कम्बल को खींचने लगता है ओर खींचता ही रहता है पर कंबल का कोई भी छोर नहीं मिलता है। इससे भैरव घबराकर वह से भाग जाता है।

भैरव के पीछे पीछे बाबा रामदेवजी के बाल्यकाल से जुडी कहानी  भागते है ओर एक पहाड़ी पर जाकर भैरव का वध कर देते है। कई लोगो का मानना है की भैरव को ramapir  के बाल्यकाल से जुडी कहानी ने एक पहाड़ी पर पत्थर के निचे दफ़न कर दिया था। वो स्थान आज भी पोकरण की पहाड़ियों पर है।

पूंगलगढ़ के  पड़िहारो को परचा 

बात उस समय की है जब रामदेवजी के विवाह का आयोजन  रहा था तब  रामदेव जी ने सुगना बाई को लाने के लिए रत्ना को पूंगलगढ़ भेजा। परंतु पुंगल गढ़ के राजा किशन सिंह ने सुगना को भेजने के लिए मना कर दिया और अपना को जेल में बंद कर दिया।

जब इसकी खबर रामदेव जी को मिली तब रामदेव जी स्वयं सुगना को लाने के लिए पूंगलगढ़ के लिए निकल पड़ते हैं। पूगल गढ़ के परिहारों ने रामदेव जी से युद्ध करने की ठानी और और महल के चारों दीवारों पर तोहफे सजा दी और सैनिक तैनात कर दिये।

रामदेव जी के महल के नजदीक आने पर पडिहारो रामदेव जी पर आक्रमण कर दिया और तोप के गोले बरसाने शुरू कर दिए। रामदेव जी के दिव्य शक्ति के कारण तोप के गोले फूल बनकर रामदेव जी पर बरसने लगे और सभी सैनिक मूर्छित हो गए।

रामदेव जी की इस चमत्कार को देख कर राजा किशन सिंह ने रामदेव जी के सामने आत्मसमर्पण कर अपनी भूल की क्षमा मांगी और सुगना को रामदेव जी के साथ जाने की अनुमति दे दी। इस तरह रामदेव जी ने अपने संबंधी परिहारो का गर्व नष्ट किया।

भाणु को परचा :रामापीर के चमत्कार

जब सुगना बाई को रामदेव जी और बारात के आने का समाचार मिला तब सुगना बाई रामदेव जी और नव वधू के स्वागत की तैयारियां करने लगी। सुगना बाई का लड़का आंगन में खेल रहा था तब अचानक सांप ने सुगना बाई के लड़के को डस लिया और उसकी मृत्यु हो गई।

सुगना बाई को भाणु की मृत्यु का समाचार मिला तब वह पुत्र वियोग में फूट-फूट कर रोने लगी और उसी समय बारात महल के बाद पहुंच गई। बारात की आने की खबर सुन सुगना ने डाली को बिरात स्वागत के लिए के लिए भेजा।

जब रामदेव जी ने सुगना बाई के स्थान पर डाली को बारात वधावन के लिए देखा तब रामदेव ने पूछा डाली सुगना कहां है। यह सुनकर डाली बाई के हाथ से वधावन की थाली छूट गई तथा रोने लगी और कहां भाणु की सांप काटने से मृत्यु हो गई। यह सुनकर रामदेव जी दौड़े दौड़े सुगना के पास पहुंचते हैं और भाणु की सुध लेते हुए कहते हैं उठ भाणु उठ। देख तेरा मामा आया है और मामी को भी लेकर आया है।

यह कहते हुए रामदेव जी जैसे ही भाणु अपना हाथ फेरते हैं तभी भानु उठकर रामदेव जी के गले लग जाता है। रामदेव जी के इस चमत्कार को देखकर सभी नगरवासी जोर-जोर से रामदेव जी की जय जयकार करने लगते हैं।

रामापीर के  चमत्कार: पांच पीरों को परचा 

रामदेव जी को पीरों के पीर रामसापीर के नाम से भी जाना जाता है।एक बार रामदेव जी को पांच पीर मिले और उन्होंने रामदेव जी से अपने भगवान होने का प्रमाण मांगा ।

तब उन्होंने पांच पीरों को भोजन का आग्रह किया परंतु पीरो ने मना कर दिया और कहां हम अपने बर्तनों के अलावा किसी में भोजन नहीं करते और वे मक्का में है।

तभी रामदेव जी ने हाथ बढ़ाया और पांच पीरों के बर्तन मक्का से मंगवा लिये। तभी उन पीरो ने रामदेव जी को रामसा पीर की उपाधि दी और उसी स्थान पर 5 पीपल के पेड़ लग गए जो आज भी मौजूद है ।    

 

 

जयपुर से रामदेव जी कितनी दूर है?

जयपुर से रामदेवरा 450 किलोमीटर दूर है। 

रामदेव बाबा भगवान कौन है?

रामदेवजी बाबा भगवान श्री द्वारकाधीश के अवतार है। 

रामदेव जी के पुजारी को क्या कहा जाता है?

रामदेव जी के पुजारी को रिखिया कहा जाता है। 

रामदेवरा क्यों प्रसिद्ध है?

रामदेवजी कलयुग अवतारी बाबा रामदेवजी की समाधि के लिए प्रसिद्ध है। 

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