Ramdev Chalisa – बाबा रामदेवजी की चालीसा
Ramdev Chalisa बाबा रामदेवजी की चालीसा की महिमा आज कोन नहीं जानता जिसके गायन से मन मे एक शक्ति का संचार होता है जिसके माध्यम से मनुष्य सारी परेशानिया भूल बाबा की भक्ति मे लग जाता है । आपने बाबा रामदेवजी की चालीसा , हनुमान चालीसा का पाठ तो किया ही होगा , पर क्या कभी आपने यह जानने का प्रयास किया है की चालीसा होती क्या है तथा इस का पठन क्यों किया जाता है ।
नमस्कार आज के इस आर्टिकल मे हम आपको चालीसा के अर्थ व इसके पठन के उद्देश्य से अवगत कराएंगे और साथ ही हम आपको बाबा रामदेवजी की प्रसिद्ध चालीसा को आपके सामने रखेंगे जिसके पठन से आप पर रमापीर की कृपा हमेशा बनी रहेगी ।

चालीसा का अर्थ क्या होता है ? Ramdev Chalisa
चालीसा का शाब्दिक अर्थ होता है चालीस शब्दों का समूह । चालीसा शब्द हिन्दी भाषा के चालीस से लिया गया है । चालीसा का अगर सरल भाषा मे समझा जाए तो हम कह सकते है की चालीस शब्दों का समूह चालीसा कहलाता है । उदाहरण के लिए हनुमान चालीसा जिसमे चालीस छंद है अतः वह चालीसा है ।
चालीसा का पाठ क्यों किया जाता है ? Ramdev Chalisa
चालीसा का पाठ मुख्य रूप से घर की शांति तथा देव की कृपा सदा बनी रहे के लिए किया जाता है । चालीसा का पठन करने से मन की अशान्ति दूर होती है और साथ ही मन की स्थिरता बनी रहती है ।
आर्टिकल की अगली कड़ी मे हम आपको राजस्थान के प्रसिद्ध लोकदेवता बाबा रामदेवजी की चालीसा Ramdev Chalisa से अवगत कराएंगे जिसके पठन से सभी मनोरथ सिद्ध होते है ।
Ramdev Chalisa
जय जय रामदेव जयकारी । विपद हरो तुम आन हमारी ॥
तुम हो सुख सम्पत्ति के दाता । भक्तजनो के भाग्य विधाता ॥
बाल रूप अजमल के धारा । बनकर पुत्र सभी दुख टारा ॥
दुखियों के तुम हो रखवारे । लागत आप उन्हीं को प्यारे ॥
आपहि रामदेव प्रभु स्वामी । घट घट के तुम अंतरयामी ॥
तुम हो भक्तों के भय हारी । मेरी भी सुध लो अवतारी ॥
जग में नाम तुम्हारा भारी ॥ भजते घर घर सब नर नारी ॥
दु:ख भंजन है नाम तुम्हारा ॥ जानत आज सकल संसारा ॥
सुंदर धाम रुणिचा स्वामी ॥ तुम हो जग के अंतरयामी ॥
कलियुग में प्रभु आप पधारे । अंश एक पर नाम है न्यारे ॥
तुम हो भक्त जनों के रक्षक । पापी दुष्ट जनों के भक्षक ॥
सोहे हाथ आपके भाला । गल में सोहे सुंदर माला ॥
आप सुशोभित, अश्व सवारी । करो कृपा मुझ पर अवतारी ॥
नाम तुम्हारा ज्ञान प्रकाशे । पाप अविद्या सब दुख नाशै ॥
तुम भक्तों के भक्त तुम्हारे । नित्य बसो प्रभो हिये हमारे ॥
लीला अपरम्पार तुम्हारी ॥ सुख दाता भय भंजन हारी ॥
निर्बुद्धि भी विद्या पावे । रोगी रोग बिना हो जावे ॥
पुत्र हीन सु संतति पावे । सुयश ज्ञान करि मोद मनावे ॥
दुर्जन दुष्ट निकट नहिं आवे । भूत पिशाच सभी डर जावे ॥
जो कोई पुत्र हीन नर ध्यावे । निश्चय ही नर वो सुत पावे ॥
तुमने डूबत नाव उबारी । नमक किया मिसरी को सारी ॥
पीरो को परचा तुम दीना । नीर सरोवर खारा कीना ॥
तुमने पुत्र दिया दलजी को । ज्ञान दिया तुमने हरजी को ॥
सुगना का दुख तुम हर लीना । पुत्र मरा सरजीवन कीना ॥
जो कोइ तुमको सुमरन करते । उनके हित पग आगे धरते ॥
जो कोइ टेर लगाता तेरी । करते आप तनिक ना देरी ॥
विविध रूप धर भैरव मारा । जाम्भा को परचा दे डारा ॥
जो कोइ शरण आपकी आवे । मन इच्छा पूरण हो जावे ॥
नयनहीन के तुम रखवारे । कोढ़ी पुंगल के दुख टारे॥
नित्य पढ़े चालीसा कोई । सुख सम्पत्ति वाके घर होई ॥
जो कोई भक्ति भाव से ध्याते । मन वांछित फल वो नर पाते ॥
मैं भी सेवक हूँ प्रभु तेरा । काटो जनम मरण का फेरा ॥
जय जय हो प्रभु लीला तेरी । पार करो तुम नैया मेरी ॥
करता नंद विनय प्रभु तेरी । करहु नाथ तुम मम उर डेरी ॥
जय जय रामदेव जयकारी । विपद हरो तुम आन हमारी ॥
तुम हो सुख सम्पत्ति के दाता । भक्तजनो के भाग्य विधाता ॥
जय जय रामदेव जयकारी । विपद हरो तुम आन हमारी ॥
जय जय रामदेव जयकारी । विपद हरो तुम आन हमारी ॥
चालीसा की विशेषता
किसी भी रचना का कोई न कोई अर्थ होता है जैसे आपको हनुमान चालीसा मे हनुमान जी के सभी चमत्कारों के साथ साथ उनकी अपने प्रभु श्री राम की भक्ति का वर्णन मिलता है । ठीक इसी तरह बाबा रामदेवजी की चालीसा मे आपको बाबा रामदेवजी के सभी चमत्कारों तथा जीवन काल का वर्णन किया गया है । इसके साथ ही भक्तों द्वारा अपने प्रभु श्री रामदेवजी की भक्ति को भी देखा जाता है ।
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biratiya dham, baba ramdevji temple
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