रामदेवपीर के प्रमुख मंदिर

रामदेवपीर के प्रमुख मंदिर – बाबा रामदेवजी के प्रसिद्ध मंदिर 

बाबा रामदेव जी , रामदेवपीर 

बाबा रामदेव जी की सभी धर्मों के लोगों द्वारा पूजा तथा आराधना की जाती है। भारत में बाबा रामदेव जी एकमात्र ऐसे लोग देवता हैं जिनके पद चिन्हों पालियों की पूजा की जाती है। पीरों के पीर रामदेव पीर को कई मंदिरों में पूजा जाता है। यह मंदिर भारत के अलग-अलग कोनों में बने हुए हैं जो रामदेव पीर  के प्रसिद्ध मंदिरों में गिने जाते हैं।

इस आर्टिकल में हम आपको बाबा रामदेव जी की उन सभी प्रसिद्ध मंदिरों से अवगत करवाएंगे  जो देश भर में अपनी अपनी अलग पहचान लिए हुए हैं।

रामदेवपीर  के प्रमुख  मंदिर 

रामदेवपीर  के पूरे देश में हजारों मंदिर बने हुए हैं। इन सभी मंदिरों में बाबा रामदेव जी का रणुजा स्थित मंदिर विश्व प्रसिद्ध हैं जो बाबा रामदेव जी की समाधि स्थली है। इसके अलावा मसूरिया मंदिर जोधपुर, सुजानदेसर मंदिर बीकानेर, बाबा रामदेव जी का मंदिर उंडू कश्मीर, जूना रणुजा मंदिर जामनगर गुजरात तथा डिब्रूगढ़ मंदिर आसाम प्रमुख हैं।

 रामदेवरा का बाबा रामदेवजी मंदिर 

बाबा रामदेव जी के मंदिर रणुजा रामदेवरा रामापीर के सभी प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर रामापीर के सभी मंदिरों में अग्रणी है। इस मंदिर को रामापीर की समाधि स्थली के नाम से भी जाना जाता है। आज से लगभग 600 वर्ष पूर्व बाबा रामदेव जी ने रामदेवरा  में इसी स्थान पर अपनी जीवित समाधि ली थी। इस मंदिर के निर्माण के पीछे एक कहानी छुपी हुई है।

रामदेवपीर के प्रमुख मंदिर मे से एक - बाबा रामदेव समाधि स्थल रामदेवरा ,रामदेवरा मंदिर

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रामदेवरा  मंदिर के निर्माण की कहानी 

कहां जाता है कि रामदेव जी ने अपनी रानी नेतल दे से यह वचन लिया था कि मेरे जाने के बाद आप मेरी समाधि पर एक ऐसे मंदिर का निर्माण करेंगे जहां 36 कौम के लोग बिना किसी भेदभाव के आ सके। रानी नेतल दे ने रामदेव जी को दिए वचन की पूर्ति हेतु यहां पर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया जिसे समय समय के साथ जीर्णोद्धार भी कराया गया जिसके फलस्वरूप आपको आज एक भव्य मंदिर के रूप में नजर आ रहा है।

उंडू काश्मीर बाबा रामदेव जी मंदिर बाड़मेर

रामापीर की जन्म स्थली के नाम से जाना जाने वाला यह मंदिर बाबा के भक्तों में काफी लोकप्रिय हैं। यह मंडी राजस्थान राज्य के बाड़मेर जिले के काश्मीर गांव से लगभग 12 किलोमीटर दूर उण्डु में स्थित है। उंडू काश्मीर मंदिर रामदेवरा से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है। उंडू काश्मीर वह स्थान है जहां पर भगवान श्री द्वारकाधीश के अवतार श्री कृष्ण ने रामदेव जी के रूप में कलयुग में अवतार लिया था। यहां पर बाबा रामदेव जी के एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है परंतु इस मंदिर से पूर्व बाबा रामदेव जी का एक छोटा पुराना मंदिर भी बना हुआ है।

रामदेवपीर के प्रमुख मंदिर मे से एक -रामडेरिया उन्डू काशमीर ,बाबा रामदेव जी मंदिर ,बाड़मेर

\"रामदेवपीर

उंडू में हाल ही में बाबा रामदेव जी के भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है जिसकी भव्यता देखते ही बनती है। इस मंदिर का संचालन एक संस्थान द्वारा किया जाता है जो कई वर्षों से बाबा की भक्तों की सेवा में अपना योगदान दे रहे हैं। इस मंदिर के निर्माण में जैसलमेर की स्वर्णिम पत्थरों का उपयोग कर सुंदर नक्काशी की गई है।

उंडू काश्मीर का भादवा मेला – रामदेवपीर के प्रमुख मंदिर

बाबा रामदेव जी के उंडू कश्मीर  मंदिर पर प्रतिवर्ष भादवा में मेला लगता है जिसमें लाखों की संख्या में बाबा के भक्तों का जमावड़ा होता है। लोगों का कहना है कि उंडू कश्मीर  मंदिर के निर्माण में लगभग₹20 करोड़ की लागत आई थी। यहां आने वाले समय में बाबा की भक्तों के लिए विशाल 500 कमरों वाली धर्मशाला का निर्माण किया जा रहा है जिसके साथ ही एक विशाल भोजनशाला, एक विशाल विश्रामगृह तथा मंदिर के चारों ओर एक उद्यान का निर्माण किया जाना शामिल है।

इस मंदिर के ऊपर लगे गोल गुंबद को लगाने में एक करोड़ 21 लाख की बोली लगी थी जिसके साथ ही बाबा के भक्तों ने बाबा के मुकुट ,बाबा की प्रतिमा ,बाबा की नेजा हेतु अपनी अपनी इच्छा अनुसार लाखों रुपए का दान दिया है।।

जूना रणुजा जामनगर गुजरात – Juna Ramdevpir Mandir

जूना रणुजा गुजरात में स्थित रामापीर के मंदिरों में से सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। Juna Ramdevpir Mandir गुजरात के जामनगर में स्थित एक ख्याति प्राप्त मंदिर है। इस मंदिर को नवा रणुजा के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के निर्माण के पीछे बाबा रामदेव जी के चमत्कार से जुड़ी कहानी छुपी हुई है। कहा जाता है कि यहां हीराबाई भरवाल नाम के व्यक्ति थे जो भेड़ बकरियां चराते थे। हीराभाई रामदेव जी के परम भक्त थे। जिनकी भक्ति से प्रसन्न होकर रामदेव जी ने उनको पर्चा दिया था।

रामदेवपीर के प्रमुख मंदिर मे से एक - जूना रामदेवपीर मंदिर, जामनगर गुजरात   
\"जूना

रामदेव जी के दर्शन पाकर हीरा भाई ने रामदेव जी के एक छोटे से मंदिर का निर्माण करवाया तथा वहीं पर उनकी पूजा-अर्चना करने लगे। जिसके बाद बाबा की भक्तों ने उन्हें हीरा भगत के नाम से संबोधित करने लगे। मंदिर प्रांगण में हीरा बाई की समाधि भी बनी हुई है तथा साथ ही हीराबाई का धुणा भी बना हुआ है।

आप जैसे ही मंदिर परिसर में प्रवेश करते हैं तो आपको रामदेव जी के 2 मंदिरों के दर्शन होते हैं जिसमें पहला मंदिर रामदेव जी की पर्चा मंदिर तथा दूसरा रामदेव जी का नया मंदिर हैं। जब रामापीर के पर्चा मंदिर या जूना मंदिर के दर्शन करने जाते हैं तो आपको दीवार पर छोटे बच्चों की तस्वीर देखने को मिलती हैं इनके पीछे भक्तों की आस्था छुपी हुई है उनका कहना है कि जिन भक्तों के पुत्र रत्न की मन्नत पूर्ण हो जाती है यहां पर अपने बच्चों की तस्वीर लगा कर बच्चे की लंबी उम्र की कामना करते हैं।

इसके बाद आपको रामापीर के नए मंदिर के दर्शन करने का अवसर मिलता है जहां पर आपको रामापीर की भव्य प्रतिमा के दर्शन होते हैं। इस प्रतिमा को देखकर ऐसा लगता है कि मानव साक्षात रामदेव जी दर्शन दे रहे हैं।

मसूरिया मंदिर जोधपुर – Baba Ramdev Mandir Masuriya, Jodhpur

राजस्थान की जोधपुर जिले की मसूरिया पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर भक्तों को अपनी और आकर्षित करता है। मसूरिया में स्थित यह मंदिर बहुत ही सुंदर तथा भव्य बना हुआ है। यह मंदिर रामदेवपीर के  गुरु बालीनाथ जी की समाधि के रूप में जाना जाता है। मसूरिया मंदिर जोधपुर की अगर इतिहास के बारे में बात करें तो मंदिर का इतिहास बाबा रामदेव जी तथा बालीनाथ जी से संबंधित हैं।

रामदेवपीर के प्रमुख मंदिर मे से एक - बाबा रामदेव मंदिर मसूरिया ,जोधपुर

\"Masuriya

बाबा रामदेव जी ने जब भैरव नामक क्रूर राक्षस का वध किया था उसके कुछ वर्षों पश्चात बाबा रामदेव जी के गुरु बालीनाथ जी पोकरण से जोधपुर आ गए। जोधपुर में बालीनाथ जी ने मसूरिया पहाड़ी पर एक गुफा में अपना निवास किया। बालीनाथ जी इसी गुफा में बाबा रामदेव जी का ध्यान किया करते थे। बालीनाथ जी ने मसूरिया की इसी पहाड़ी पर अपनी समाधि ली थी। बालीनाथ जी की इसी समाधि पर भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है।

जब बालीनाथ जी पोकरण छोड़ जोधपुर आए थे तब उन्होंने मसूरिया की पहाड़ी की एक गुफा को ही अपना निवास स्थान बनाया तथा यहीं पर बाबा रामदेव जी की भक्ति करते थे। यहां पर बालीनाथ जी का धुणा भी बना हुआ है। बालीनाथ जी की कई धुणे हुए हैं परंतु मसूरिया में स्थित धुणा बालीनाथ जी अंतिम धुणा है। क्योंकि यही वह धुणा हैं जहां पर बालीनाथ जी ने अपनी अंतिम माला जपी थी।

सुजानदेसर रामदेवजी मंदिर बीकानेर – कोस वाले रामदेवजी 

सुजानदेसर के बाबा रामदेवजी के मंदिर का इतिहास एक भक्त और भगवान के अद्भुत मिलन से शुरू होता है। इस  मंदिर के इतिहास की नीव एक भक्त से शुरू होती है जिसे स्वंय श्री बाबा रामदेवजी ने उसकी भक्ति से प्रसन्न  होकर साक्षात अपने दर्शन दिए थे। साथ ही भक्त की भक्ति स्वरुप एक वरदान भी दिया जिसके कारण आज यह मंदिर बहुत चर्चित है।

बाबा रामदेवजी ने भक्त को वरदान स्वरुप यह आशीर्वाद दिया की जिस किसी भक्त की मन्नत रणुजा जाकर मेरे समाधी पर माथा टेकने की हो परन्तु किसी कारण वश वह रणुजा नहीं जा सकता हो तो वह भक्त इस सुजानदेसर के मंदिर में मेरे दर्शन कर लेगा तो उसकी मन्नत अवश्य पूर्ण होगी।

रामदेवपीर के प्रमुख मंदिर मे से एक - सुजानदेसर रामदेवजी मंदिर बीकानेर

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बीकानेर के प्रसिद्ध मंदिर सुजानदेसर के बाबा रामदेवजी के मंदिर की स्थापना बाबा के परम भक्त संत श्री हीरानंद जी माली के द्वारा सन 1773 में की गयी थी। इस मंदिर की स्थापना बीकानेर से एक कोस दूर सुजानदेसर में की गयी जिसके कारण इस मंदिर को कोस वाले रामदेवजी के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

सुजानदेसर के रामदेवजी मंदिर की पूजा करने का अधिकार सिर्फ कच्छावा जाती के लोगो को है। यहाँ पर प्रतिवर्ष बाबा रामदेजी के जन्मदिवस भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की दूज को मेला लगता है जिसमे बीकानेर के 25 किलोमीटर के दायरे के हजारो की संख्या में लोग बाबा के दर्शनों को आते है। इस मंदिर की स्थापना की पीछे एक रोचक कहानी है जिस कारण इस मंदिर की स्थापना हुई।

डिब्रूगढ़ रामदेवजी मंदिर आसाम – Baba Shree Ramdev Mandir

बाबा श्री रामदेव मंदिर, डिब्रूगढ़, जो डिब्रूगढ़ धाम के नाम से पूरे पूर्वाचल में विख्यात है अपने स्थापना के 133वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। सन् 1889 के करीब स्थानीय चौधरी परिवार के स्व. मोहनलाल जी चौधरी द्वारा प्रदत्त एक भूमिखंड पर उनके सुपुत्र स्व. रिद्धकरण जी चौधरी द्वारा मंदिर की स्थापना की गई और उसका पिरचालन किया गया। बाद में यह चौधरी परिवार कोलकाता जाकर बस गया और वहीं अपना व्यवसाय करने लगे।

रामदेवपीर के प्रमुख मंदिर मे से एक - बाबा श्री रामदेव मंदिर, डिब्रूगढ़, 

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तत्पश्चात् उनके पुत्र श्री विजय कुमार चौधरी ने यह दायित्व संभाला और कालांतर में उन्होंने एक ट्रस्ट बोर्ड \” बाबा श्री रामदेव मंदिर ट्रस्ट \” बनाकर मंदिर का दायित्व उन्हें सौप दिया। उनके अलावा स्व. परसराम जी जालान, स्व मुरलीधर चौधरी, श्री संतोष कुमार जालान एवं श्री महेश मुनका को सदस्य के रूप में सम्मिलित किया गया। शुरूआत में मंदिर चुना सुखी की दीवार और टीन की छत से बना था।

5 दिसंबर 1988 में पहली बार मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य प्रारंभ किया गया जो सन् 1989 में पूर्ण हुआ। बाद में क्तमशः दानदाताओं के सहयोग से प्रगति होती चली गई और मंदिर वर्तमान स्वरूप में खड़ा हो गया। वर्तमान में मंदिर में स्थापित मूर्ति को जयपुर से मंगवाया गया जिसमें घोड़े पर सवार बाबा के साथ हरजी भाटी, सुगना बाई, डाली बाई विद्यमान हैं।

निष्कर्ष – रामदेवपीर के प्रमुख मंदिर

यहाँ आपको बाबा रामदेवजी के उन सभी मंदिरो के बारे बताया गया है जो सबसे ज्यादा प्रचलित है। यहाँ जो भी जानकारी आपको उपलब्ध करयी जा रही है वो बाबा रामदेवजी की प्रचलित गाथाओ तथा उनके पूजारियो द्वारा कही गयी बातो के आधार पर आपको बताई जा रही है।

One response to “रामदेवपीर के प्रमुख मंदिर”

  1. […] बाबा रामदेवजी के रामदेवरा मे लगने वाले मेले की तरह ही यहा बिराटिया मे भी एक विशाल मेले का आयोजन होता है । यह मेला प्रतिवर्ष भादवा की दूज को लगता है । यहा पर भी रामदेवरा की तरह ही लाखों की संख्या मे बाबा के भक्तों का जमावड़ा लगता है । मेले मे भीड़ की वजह से भक्तों की लंबी लंबी कतारे लग जाती है जो कभी कबार 2 से 3 किलोमीटर जितनी लंबी लाईने लग जाती है । […]

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