Ramdevra ka rahasya रामदेवरा मंदिर ,रामदेवपीर
नमस्कार , स्वागत है आपका हमारे एक और आर्टिकल मे , इस आर्टिकल मे आपको बाबा रामदेवजी मंदिर के ऐसे तथ्य से अवगत कराएंगे जिसे आप नहीं जानते है ।
आप सभी भारत के बहुत सारे मंदिरों को देखा होगा जहा पर मंदिर मे आरती के समय आरती का भक्तों द्वारा गायन किया जाता है । क्या आप सभी ये जानकारी है भारत मे एक ऐसा मंदिर है जहा पर आरती का गायन नहीं किया जाता है । जी हा हम बात कर रहे राजस्थान के जैसलमेर के रामदेवरा ग्राम की जहा जन जन के आराध्य लोकदेवता बाबा रामदेवजी के समाधि स्थल की ।
Ramdevra Samadhi Sthal ही एकमात्र ऐसा मंदिर है जहा पर आरती का गायन नहीं किया जाता है । आइए जानते की आखिर बाबा रामदेवजी के मंदिर मे आरती क्यों नहीं गाई जाती है ।
Ramdevra Samadhi Sthal पर आरती क्यों नहीं बोली जाती
आप सभी कभी कभी बाबा रामदेवजी की समाधि स्थली के दर्शन अवश्य ही किए होंगे साथ ही आरती के भी दर्शन किए ही होंगे परंतु क्या कभी आपका इस बात पर ध्यान गया कि समाधि स्थली पर आरती गायन क्यू नहीं होता ।जबकि आप सभी ने भारत के विभिन्न मंदिरों के बारे में सुना होगा तथा वहां पर आपने दर्शन भी किए होंगे तो आप वहां जरूर पाया गया होगा कि वहां पर मंदिरों में आरती का गायन किया जाता है ।
आरती नहीं गाए जाने का कारण Ramdevra ka rahasya
राजस्थान की धरा के रामदेवरा गांव में स्थित बाबा रामदेव जी का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यहा पर आरती का गायन नहीं किए जाने के पीछे भी एक विशेष कारण है ,जिसे आपको अवश्य जानना चाहिए ।
आप सभी को यह ज्ञात रहे कि जन जन कर आराध्य बाबा रामदेव जी ने जीवित समाधि ली थी ना कि उनकी मृत्यु के बाद वहां पर समाधि बनाई गई थी। अतः आपको यह ध्यान मे अवश्य ही रखना चाहिये कि बाबा रामदेव जी का मंदिर एक समाधि स्थल ली है और समाधि स्थली पर आरती का गायन वर्जित है । यही कारण है की बाबा रामदेवजी के समाधि स्थली पर आरती का गायन नहीं किया जाता है।
हां यह अलग बात है कि बाबा के भक्त गण अपनी अपने घरों में बाबा के मंदिर में आरती का गायन करते हैं। जो इसी प्रकार से गलत नहीं है क्योंकि वे अपने घर पर बाबा रामदेव जी की आरती का कार्य कर रहे हैं जबकि बाबा रामदेव जी का मंदिर एक समाधि स्थल हैं।
बाबा रामदेवजी की आरती कैसे की जाती है Ramdevra ka rahasya
आप सभी के मन अब ये प्रश्न अवश्य आता होगा की अगर समाधि स्थली पर आरती का गायन नहीं किया जाता है तो बाबा रामदेवजी किस प्रकार की जातीं है ।
बाबा रामदेवजी की आरती के लिए मंदिर समिति के द्वारा ढोल नगाड़ों की व्यवस्था की गई है जिनको आरती के समय उपयोग मे लाया जाता । जब बाबा रामदेवजी की आरती का समय होता है तब ढोल नगाड़ों तथा शंख की ध्वनि को गुंजायमान किया जाता है और पूजारियों तथा बाबा रामदेवजी के स्वरूप गादीपती जो बाबा के वंशज है के द्वारा बाबा की आरती की जाती है ।
भक्तों के लिए भी मंदिर समिति द्वारा आरती को मन ही मन गायन की व्यवस्था भी की गयी है । जब आप मंदिर के अंदर प्रवेश कर बाबा रामदेव जी की समाधि की प्रतिमा के आगे पहुंचते तो आपको समाधि द्वार पर एक चांदी अक्षरों में बाबा रामदेव जी की प्रसिद्ध आरती लिखी हुई मिलेगी। यह चांदी के अक्षरों में लिखित आरती समाधि द्वार पर इसलिए लगाई गई है ताकि जिन भक्तों को बाबा की आरती कंठस्थ नहीं है उनको बाबा की आरती के समय अपने मन ही मन आरती का गायन करने में सुविधा हो।
बाबा के भजनों का गायन Ramdevra ka rahasya
Ramdevra Samadhi Sthal से बाहर निकलने पर कुछ ही दूरी पर डाली बाई जी के मंदिर के समीप कुछ लोग बाबा के भजन कीर्तन करते हुए नजर आते हैं। यह लोग और कोई नहीं मेघवंशी है जिन्हें बाबा के रिखिए कहां जाता है। यह हर समय बाबा के मधुर भजनों का गायन करते रहते हैं।
कभी-कभी आपको इन रिखियो के पास कुछ मंत्री गण या फिर Ramdevra Samadhi Sthal पर आए विशेष अतिथि आपको बाबा के भजन कीर्तन करते हुए नजर आ जाते हैं।
बाबा की दर्शनों को आए हुए भक्तों को ज्यादातर यह बात ध्यान नहीं होती की बाबा रामदेव जी राजस्थान की एकमात्र ऐसे लोक देवता हैं जिनके पगलियों की पूजा की जाति है। बाबा की भक्ति गण बाबा की समाधि स्थल पर बाबा के पद चिन्हों को चढ़ाकर उन्हें अपने साथ अपने घर पर ले जाते हैं और वहां पर उन पद चिन्हों की पूजा अर्चना करते हैं। यह पद चिन्ह ज्यादातर मार्बल या फिर जैसलमेर की पत्रों द्वारा निर्मित किए जाते हैं।
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