नीलकंठ पक्षी: भगवान शिव का प्रतीक
दशहरा, एक पावन पर्व, भारतीय संस्कृति में विशेष महत्त्व रखता है। इस महान अवसर पर, नीलकंठ पक्षी का दर्शन भाग्यशाली माना जाता है, जो भगवान शिव के प्रतिनिधि के रूप में पूजा जाता है। इस पक्षी के दर्शन से घर में धन-धान्य में वृद्धि होती है और शुभ कार्य अनवरत जारी रहते हैं।
नीलकंठ पक्षी: भगवान शिव का संकेत
“नीलकंठ नीले रहियो, हमरी बात राम से कहियो” – इस लोकोक्ति के अनुसार, नील वर्ण कंठ वाले पक्षी को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है। भगवान शिव को नीलकंठ के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने अपने गले को नीले रंग का धारण किया था। धार्मिक ग्रंथों और जनश्रुतियों के अनुसार, इस पक्षी भगवान शिव का स्वरूप धारण करता है और पृथ्वी पर उनका प्रतिनिधित्व करता है।
दशहरे और नीलकंठ के महत्त्व
दशहरे के पर्व पर, भगवान राम ने रावण को परास्त किया था और विजय प्राप्त की थी। श्रीराम ने नील वर्ण कंठ पक्षी के दर्शन के बाद ही रावण पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए दशहरे के दिन लोग पक्षी के दर्शन को अत्यधिक शुभ मानते हैं। इस दिन को विजय दशमी के रूप में मनाया जाता है, जो जीत का पर्व है।
नीलकंठ: किसानों का मित्र
इस पक्षी को वैज्ञानिक रूप से किसानों का मित्र माना गया है। यह पक्षी खेतों में कीटों का नाश करके किसानों की फसलों की रक्षा करता है। इससे न केवल किसानों का भाग्य बढ़ता है, बल्कि उनकी मेहनत का भी सहारा मिलता है।
इस दशहरे, हम सभी को इस पक्षी के शुभ दर्शन का सुअवसर मिले। यह परंपरा हमारे जीवन में नई ऊर्जा और शुभता लाती है और हमारे घरों में सुख-शांति का आभास कराती है।