Ganga Dussehra 2024 Date Time Muhurat Puja Vidhi
Ganga Dussehra गंगा दशहरा हिन्दुओ का एक पवित्र त्योहार है इस दिन मा गंगा की पूजा की जाती है तथा लोग दूर दूर से गंगा के घाट पे पहुचते है ।
मा गंगा के दर्शन करने तथा मां गंगा की पूजा करने से भगवान विष्णु की अनुकंपा प्राप्त होती है । मां गंगा हिंदुओं के लिए देवी तथा मां के समान है।
गंगा दशहरा की कथा Ganga Dussehra 2024
प्राचीन कथा के अनुसार अयोध्या में एक चक्रवर्ती सम्राट हो गए जिनको महाराजा सागर के नाम से जाना जाता था ।
उनके 60000 पुत्र थे एक बार राजा ने अश्वमेध यज्ञ किया तो इंद्र ने कपिल मुनि के आश्रम में अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा चुरा कर बांध दिया ।जिससे अश्वमेध यज्ञ में बाधा उत्पन्न हुई ।
महाराजा सागर 60000 पुत्र के भस्म होने की कहानी
महाराजा सागर के 60 हजार पुत्र बच्चों ने मिलकर अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को खोजने का कार्य प्रारंभ किया।
तभी उन्हें अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा महर्षि कपिल मुनि के आश्रम में बांधा देखा ।
उस समय कपिल मुनि ध्यान में मग्न थे महाराजा सागर के पुत्र चिल्लाने लगे चोर चोर इतनी भीषण आवाज को सुनकर महर्षि कपिल मुनि का ध्यान भंग हो गया और महर्षि कपिल मुनि ने भीड़ को देखकर और महाराजा सागर के साठ हजार पुत्रों को भस्म कर दिया जिससे अश्वमेध यज्ञ पुराना हो न सका ।
मां गंगा का अवतरण
राजा सागर ने अपने पुत्रों की आत्मा शांति के लिए मां गंगा को पृथ्वी पर लाने के प्रयास किए । उस वक्त अगस्त्य ऋषि ने धरती का सारा पानी पी लिया था ।
जिस वजह से जल की एक भी बूंद नहीं बचे पूर्वजों को तर्पण करने के लिए महाराजा सागर अंशुमान और महाराजा दिलीप ने कठोर परिश्रम का भी कोई परिणाम ना निकला ।
बाद में दिलीप के पुत्र भागीरथ ने भगवान ब्रह्मा जी की आराधना तपस्या की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने मां गंगा को मुक्त किया ।
उनके प्रबल वेग का प्रबल प्रभाव को रोकने के लिए भागीरथ ने भगवान शंकर की प्रार्थना की भगवान शंकर ने अपनी शिखा में मां गंगा को स्थान दिया ।
उसके बाद भोलेनाथ ने भोलेनाथ ने अपनी एक शिखा से मां गंगा को धरती पर प्रभावित किया ।
इससे महाराजा सगर के 60000 पुत्रों का तर्पण हुआ। इसलिए मां गंगा को जीवनदायिनी कहा जाता है ।
गंगा दशहरा 2024 पूजा विधि | Ganga Dussehra 2024 Puja Vidhi
मां गंगा की उपासना करने से जीवन में आ रही समस्या से मुक्ति मिल जाती है गंगा मैया की विशेष उपासना के लिए गंगा दशहरा पर्व को बहुत धूम धाम से मनाया जाता है हिंदू पंचांग के अनुसार गंगा दशहरा पर्व जेठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है | इस दिन स्नान दान और पूजा पाठ करने से जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा नदी में या घर पर ही नहाने के जाल में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए स्कंद पुराण के अनुसार गंगा दशहरा के दिन 10-10 सुगंधित पुष्प -फल नैवेद्य 10 दीप और दशांग धूप के द्वारा श्रद्धा और विधि के साथ 10 बार गंगा जी की पूजा करें उनकी संख्या 10 होनी चाहिए और जिस वस्तु से भी पूजन करें उनकी भी संख्या 10 होनी ही चाहिए ।
ऐसा करने से शुभ फलों में वृद्धि होती है और मां गंगा मनुष्य के पाप मुक्त करती हैं जब गंगा नदी में स्नान करें तब 10 बार डुबकी लगाना चाहिए गंगा नदी के किनारे दीपदान करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती है | गंगा दशहरे के दिन 10 ब्राह्मणों का भोजन करवाना चाहिए |
Ganga Dussehra क्यों मनाया जाता है ?
गंगा दशहरा मा गंगा के धरती पर आगमन की खुशी मे मनाया जाता है ।
मा गंगा पृथ्वी पर कब अवतरित हुई थी ?
भारतीय संस्कृति में पौराणिक मान्यता के अनुसार जेष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अवसर पर मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थी ।तभी इस तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
Ganga Dussehra 2024 मे कब है ?
गंगा दशहरा 16 जून 2024 को है |
Ganga Dussehra का मेला कहां लगेगा ?
Ganga Dussehra के भव्य मेले का आयोजन किया जाता है यह मेला 3 दिन के लिए गढ़मुक्तेश्वर और ब्रिज घाट पर आयोजित होता है।
गंगा दशहरा के दिन किसका दान शुभ माना जाता है ?
गंगा दशहरा के शुभ अवसर पे पानी का घड़ा दान देना चाहिए।छाता जूता चप्पल टोपी दान देने से पुण्य मिलता है।
किस प्रकार से गंगा दशहरा के दिन घर पर स्नान करने से गंगा में स्नान करने का पुण्य प्राप्त हो सकता है?
गंगा दशहरा पर स्नान करते समय अपने पानी में गंगाजल की कुछ मात्रा को मिलाकर लेने से पूरा जल गंगा के जल के समान हो जाता है।
Ganga Dussehra 2024 के दिन स्नान करते समय किस मंत्र का जाप करें ?
मुने चैव गोदावरी सरस्वती नर्मदे सिंधु कावेरी जले अस्मिन सन्निधिम कुरु “।।
तथा
ओम नमो गंगाये विश्व रूपाणिये नरायने नमो नमः
भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक गंगा दशहरा भी है ।
गंगा का अवतरण पृथ्वी पर क्यों हुआ था ?
स्वर्ग से मां गंगा की धारा का अवतरण जन कल्याण के लिए हुआ था । ऐसा कहा जाता है कि गंगाजल के स्पर्श करने पर मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं।
ऐसे ही भारत की के इतिहास ओर त्योहारों से बारे मे आप हमारी वेबसाईट पर पढ़ सकते है |
जय गंगा मा की