UNESCO World Heritage Sites In India
Heritage Sites of India आजादी से पहले ब्रिटिश शासन से पूर्व भारत सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था। सभी देशों ने से विश्व गुरु के रूप में स्वीकारा था।
भारत एक ऐसा देश है जहां पर ऐतिहासिक धरोहरों का खजाना है।
भारत में विभिन्न प्रकार की कई खोजे हुई है जिनमें भारत की पुरानी संस्कृति की वस्तुएं विरासत के तौर पर मिली हैं।
इन सभी विरासतों के कारण भारत एक पर्यटन स्थल बन चुका है। यहां पर लोग घूमने तथा व्यापार करने के उद्देश्य से आते हैं। भारत ने विश्व को कई अनमोल धरोहर से संवारा है ।
भारत की प्रमुख विरासत की धरोहर Heritage Sites of India
- आगरा का किला , उत्तर प्रदेश
- ताजमहल , उत्तर प्रदेश
- अजंता की गुफाएं , महाराष्ट्र
- एलोरा की गुफाएं , महाराष्ट्र
- कोणार्क सूर्य मंदिर , उड़ीसा
- काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान , असम
- क़ुतुब मीनार , दिल्ली
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान , राजस्थान
- फतेहपुर सीकरी , उत्तर प्रदेश
- सांची स्पूत , मध्य प्रदेश
आगरा का किला , उत्तर प्रदेश Aagra Fort Utterpradesh / Heritage Sites of India
आगरा का किला एक यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व धरोहर स्थल है । यह किला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में स्थित है।
यह भारत का सबसे महत्वपूर्ण किला है। इसी किले पर ही मुगलों का शासन शुरू हुआ था तथा यहां सही वे अपने साम्राज्य की बागडोर संभालते थे। Heritage Sites of India
वर्तमान में स्वतंत्रता दिवस के दिन इसी किले से ही माननीय प्रधानमंत्री जनता को संबोधित करते हैं। इस किले की चार दिवारी 70 फीट ऊंची हैं।
इसमें दोहरे परकोटे हैं, जिनके साथ तोपों के झरोखे हैं व रक्षा की चौकिया बनी है। इसके दो दरवाजों को दिल्ली गेट एवं ग्वालियर गेट कहते हैं ।
शहर की ओर का दिल्ली द्वार चारों द्वारा में से भव्यतम हैं। इसके अंदर एक द्वार हैं जिसको हाथीपोल कहते हैं जिसके दोनों ओर पत्थर से बनी हुई हाथियों की मूर्तियां हैं।
यह किला मुगल स्थापत्य कला का एक आदर्श उदाहरण है। इसके निर्माण में 14 लाख 44 हजार कारीगर वह मजदूरों ने 8 वर्षों तक मेहनत कर 1573 में इसे तैयार किया।
ताजमहल , उत्तर प्रदेश
ताजमहल का नाम दुनिया के सात अजूबों में लिया जाता है। यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में स्थित विश्व धरोहर मकबरा है।
इसका निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में करवाया था। ताजमहल मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट परिणाम है।
इसकी वास्तु शैली फारसी, तुर्की, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला के घटकों का अनोखा मिश्रण है।
सन 1983 में ताजमहल को यूनेस्को ने विश्व धरोहर में स्वीकार किया। इसका निर्माण 1648 ईस्वी में लगभग पूर्ण हुआ था।
ताजमहल को भारत की इस्लामिक कलाकार रत्न भी घोषित किया गया है।ताजमहल का निर्माण श्वेत संगमरमर के पत्थरों से किया गया है जिसमें बड़े गुंबद भी बनाए गए हैं।
ताजमहल के केंद्र में बना मकबरा अपनी वास्तु श्रेष्ठा में सौंदर्य के संयोजन का परिचय देते हैं। ताजमहल का मूल आधार बहु कक्षीय संरचना है।
ताजमहल के मुख्य आधार के चारों कोनों पर विशाल मीनारें स्थित हैं। यह मीनारें 40 मीटर तक ऊंची है। ताजमहल की बनावट एवं सुंदरता तथा इसकी स्थापत्य कला देखते ही बनती है। Heritage Sites of India
यहां पर लाखों की संख्या में देश विदेश के सैलानी यहां पर ताजमहल को देखने आते हैं।
कहा जाता है कि शाहजहां ने ताजमहल का कार्य पूर्ण हो जाने पर ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के हाथ कटवा दिए थे ताकि कोई ऐसा दूसरा ताजमहल नहीं बना सके।
अजंता की गुफाएं , महाराष्ट्र AJANTACAVES , MAHARASTRA , Heritage Sites of India
अजंता की गुफाएं भारत के महाराज साथ में स्थित है। भारत में स्थित तकरीबन 29 चट्टानों को काटकर बनी बौद्ध स्मारक गुफाएं हैं जो द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व की है।
यहां पर बौद्ध धर्म से संबंधित स्थापत्य शिल्पकारी के उत्कृष्ट नमूने मिलते हैं। अजंता की गुफाओं का चित्रण संजीव हैं। अजंता की गुफाओं को सन 1987 में यूनेस्को को विश्व धरोहर में स्थान मिला।
ajanta की गुफाएं घने जंगल से गिरी हुई है असनारा का की घाटी अजंता गांव से 3 किलो दूर बनी हुई है।
AJANTA CAVES अजंता की गुफा संख्या 9, 10, 12, 13, 15 ए को इस चरण में खोजा गया था।
खुदाई होने बुद्ध स्तूप या मठ के रूप में दर्शित किया गया है।दूसरे चरण की खुदायिया लगभग तीन शताब्दियों की स्थिरता के बाद खोजी गई।
अजंता की गुफाओं के बारे में क्या माना जाता हैं कि वाकाटक राजा हरीसेना इस उत्तम सुरक्षित गुफा के सख्त रहे हो।
इस गुफा में अत्यंत नक्काशी कार्य किया गया है जिसमें कई अति उभरे हुए शिल्प भी हैं।
एलोरा की गुफाएं , महाराष्ट्र ELLORA CAVES , MAHARASTRA
एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद शहर में स्थित है। राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था।
एलोरा गुफाओं को भी यूनेस्को द्वारा घोषित धरोहर में सम्मिलित किया गया है। एलोरा की गुफाएं भारतीय पाषाण शिल्प स्थापत्य कला का सार है।
यहां पर 34 गुफाएं हैं जो असल में एक ऊर्ध्वाधर खड़ी चरणाद्रि पर्वत का एक फलक है। इसमें हिंदू, बौद्ध उज्जैन गुफा मंदिर बने हुए हैं।
यह पांचवी और 10वीं शताब्दी में बने थे। यहां 12 बौद्ध गुफाएं, 17 हिंदू गुफाएं, और पांच जैन गुफाएं हैं।
कोणार्क सूर्य मंदिर , उड़ीसा SUN TEMPLE , ODISA / Heritage Sites of India
कोणार्क सूर्य मंदिर भारत के ओडिशा के पूरी जिले में स्थित है। मंदिर का श्रेय पूर्वी गंग वंश के राजा प्रथम नरसिंह देव को दिया जाता है।
भारतीय सांस्कृतिक विरासत के लिए इसके महत्व को दर्शाने के लिए भारतीय ₹10 का नोट के पीछे कोणार्क के सूर्य मंदिर को दर्शाया गया है।
यह मंदिर भगवान सूर्य देव को समर्पित था, जिसे स्थानीय लोग बिरंचि नारायण कहते थे।
सूर्य मंदिर का निर्माण लाल रंग की बलुआ पत्थरों तथा काले ग्रेनाइट के पत्थरों से हुआ है। यह मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक हैं।
इस मंदिर में सूर्य देव को रथ में विराजमान किया गया है तथा पत्थरों को उत्कृष्ठ नक्काशी के साथ उकेरा गया है।
संपूर्ण मंदिर स्थल को 12 जोड़ी चक्रों के साथ सात घोड़ों से खींचते हुए निर्मित किया गया है, जिसमें सूर्य देव को विराजमान दिखाया गया है।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान , असम KANJIRANGA RASTRIY UDHYAAN , AASAM
राष्ट्रीय उद्यान काजीरंगा भारतीय राज्य आसाम में स्थित है। इस उद्यान को यूनेस्को ने विश्व धरोहर के रूप में 1985 में स्वीकार किया
।यह उद्यान मुख्यतः एक सींग वाले गेंडे के लिए प्रसिद्ध है।सर्दियों में यहां साइबेरियन पक्षी भी आते हैं। काजीरंगा में विभिन्न प्रजातियों के बाज ,चीले तथा तोते पाए जाते हैं।
यह उद्यान असम का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है। यह केंद्रीय असम में स्थित है।
उद्यान में उबड़ खाबड़ मैदान, आदिवासियों और भयंकर दलदल से पूर्ण 430 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां पर हर प्रकार का जीव जंतु पाए जाते हैं।
कुतुब मीनार , दिल्ली Qutab Minar , DELHI , Heritage Sites of India
दिल्ली के अंतिम हिंदू शासक की पराजय के तत्काल बाद 1193 में कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा विजय के उपलक्ष में 73 मीटर ऊंची मीना का निर्माण करवाया गया जिसे कुतुब मीनार के नाम से जाना जाता है।
प्रत्येक मंजिल में एक बालकनी और इसका आधार 15 मीटर व्यास का है जो धीरे-धीरे कम होते हुए शीर्ष पर ढाई मीटर का व्यास रह जाता है।
मीनार पहली मंजिल लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है चौथी और पांचवी मंजिल है मार्बल और बलुआ पत्थरों से निर्मित है।
मीनार को शिलालेख से सजाया गया है इसकी चार बालकनी है।
कुतुब मीनार का निर्माण कुछ कहानियां जुड़ी है कुछ लोग कहते हैं कि यह मीनार विजय के उपलक्ष में मनाई गई है जबकि कुछ लोग का मानना है कि यह मीनार अजान के उपयोग में लाई जाती थी।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान , राजस्थान KEWLADEV RASTRIY UDHYAAN , RAJASTHAN
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान या केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भारत के राजस्थान में स्थित है विख्यात अभ्यारण है। यह भरतपुर में स्थित है।
इसलिए इसे भरतपुर पक्षी विहार के नाम से भी जाना जाता था। अभ्यारण में हजारों की संख्या में दुर्लभ एवं विलुप्त प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं जिनमें सायबेरिया से आए सारस, जो यहां सर्दियों के मौसम में आते हैं प्रमुख है।
यहां पर 230 प्रजाति के पक्षियों ने भारत के राष्ट्रीय उद्यान में अपना घर बनाया है। Heritage Sites of India
इस अभ्यारण का नाम भगवान शिव के मंदिर केवलादेव के नाम पर रखा गया था। यह मंदिर पक्षी विहार स्थित है।
यह उद्यान भरतपुर के राजा महाराजाओं का प्रसिद्ध शिकारगाह था। यहां पर पशु पक्षियों की शिकार पर प्रतिबंध हैं।
अगर यहां पर शिकार करता पाया जाता है तो उसे कानून का उल्लंघन माना जाता है।
फतेहपुर सीकरी , उत्तर प्रदेश FATEHPUR SIKARI , UTTERPRADESH
फतेहपुर सीकरी मुगल बादशाह अकबर ने 1571 में बसाया था। वर्तमान में यह आगरा जिला का एक नगर पालिका बोर्ड है। यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है।
मुगल बादशाह अकबर के राज्य में 1571 से 1585 तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही फिर से खाली कर दिया गया।
फतेहपुर सीकरी मस्जिद के बारे में कहा जाता है कि यह मक्का की मस्जिद की नकल हैं इसके वास्तु कला हिंदू और मुस्लिम वास्तुकला से ली गई है।Heritage Sites of India
मस्जिद के उत्तर में शेख सलीम चिश्ती की दरगाह है।
फतेहपुर सीकरी की सर्वोच्च इमारत बुलंद दरवाजा है जिसकी ऊंचाई तुम्ही से 280 फीट हैं। मस्जिद की 52 सीढ़ियां हैं।
यहां के दरवाजे मुगल साम्राज्य के समय के ज्यों के त्यों लगे हुए हैं।फतेहपुर सीकरी का स्थापत्य और बारीकी से की गई कारीगरी दर्शकों को बहुत लुभाती हैं उनको अपनी और आकर्षित करती हैं।
सांची स्पूत , मध्य प्रदेश SANCHI SPOOT , MADHYAPRADESH
sanchi भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। यहां पर कई बौद्ध स्मारक हैं जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 12वीं शताब्दी ईसा पूर्व के बीच के काल के हैं।
सांची रायसेन जिले की नगर पंचायत हैं। यह माना जाता है कि पुष्य मित्र ने इस स्पूत का विध्वंस किया था, बाद में उसके पुत्र अग्निमित्र ने इसे पुनः निर्मित करवाया।
यहां पर रेल मार्ग, सड़क मार्ग ,वायु मार्ग तीनों से आया जा सकता है।
सांची से 5 मील सोनारी के पास 8 बौद्ध स्तूप हैं और साथियों से साथ मिलकर भोजपुर के पास सतीश बौद्ध स्तूप हैं । सांची से पहले बौद्ध विहार आता है ।
यहां एक सरोवर हैं जिसकी सीढ़ियां बुध की समय की कई जाती है।
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