nirjala ekadashi 2022-निर्जला एकादशी व्रत कब है?

nirjala ekadashi 2022-निर्जला एकादशी व्रत कब है?

 nirjala ekadashi 2022- निर्जला एकादशी व्रत कब है?

Nirjala ekadashi 2022 भारत में हिंदू धर्म के लोग एकादशी व्रत को विशेष महत्व देते हैं।भारतीय ग्रंथों में निर्जला एकादशी 24 एकादशी में से अधिक शुभ और पुण्यकारी मानते हैं।एकादशी का व्रत हर माह में दो बार रखा जाता है।एकादशी के दिन लोग बिना कुछ खाए पिए पर रखते हैं।

भारतीय ग्रंथों में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है।एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा आराधना का विधान है। लोगों की मान्यता है कि इस एक व्रत को रखने से सभी एकादशी व्रतों का पुण्य प्राप्त हो जाता है।

nirjala ekadashi 2022-निर्जला एकादशी व्रत  कब है?

Nirjala ekadashi 2022 The Heritage of India

निर्जला एकादशी व्रत 2022 कब है nirjala ekadashi 2022 kab hai

भारतीय पंचांग के अनुसार निर्जला एकादशी दिनांक 10 जून 2022 वार शुक्रवार को सुबह 7:00 बज कर 26 मिनट से शुरू होकर अगले दिन दिनांक 11 जून 2022 वार शनिवार को शाम 5:00 पर 44 मिनट पर समाप्त होगी।

निर्जला एकादशी व्रत, कथा nirjala ekadashi 2022 vrat katha 

Nirjala ekadashi 2022 निर्जला एकादशी व्रत का पौराणिक महत्व बहुत रोचक है‌।एकादशी व्रत कथा महाभारत के एक अध्याय से संबंधित है।कहा जाता है कि भगवान वेदव्यास ने पांडव पुत्रों से चारों पुरुषार्थ धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष देने वाली एकादशी व्रत का संकल्प कराया था।

तब महाराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा की एक एकादशी के बारे में हमें अवगत करवाएं।भगवान श्री कृष्ण ने कहा हे राजन एकादशी का वर्णन परम धर्मात्मा सत्यवती नंदन वेदव्यास ही करेंगे , क्योंकि वेदव्यास संपूर्ण शास्त्रों और वेदों के ज्ञाता है‌।

तब भगवान वेदव्यास जी ने कहा की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों पक्षों की एकादशी में अन्न खाना वर्जित होता है । एकादशी के अगले दिन द्वादशी को स्नान करके भगवान कृष्ण की फूलों से पूजा की जाती है तथा नित्य कर्म समाप्त होने के पश्चात ब्राह्मणों को भोजन कराकर स्वयं भोजन किया जाता है।

भीमसेन और भगवान वेदव्यास जी की वार्तालाप

भगवान वेदव्यास से यह सब सुनकर भीमसेन श्री रहा ना गया और वे उनसे पूछने लगे पितामह हमारे भैया माता कुंती ये सब एकादशी को कभी भोजन नहीं करते हैं और मुझसे भी यही कहते हैं कि भीमसेन तुम एकादशी को कुछ भी खाया ना करो, परंतु मैं यही कहता हूं मुझसे भूख सहन नहीं होती।

भीमसेन की बात सुनकर व्यास जी ने कहा यदि तुम नरक के भागी नहीं बनना चाहते हो,तथा स्वर्ग प्राप्ति चाहते हो तो एकादशी के दिन भोजन नहीं करना चाहिए। यह सुनकर भीमसेन वेदव्यास जी से बोले मुझसे भूख सहन नहीं होती है और ना ही मैं उपवास कर सकता हूं। अतः मुझे आप ऐसा कोई व्रत बताइए जिसमें वर्ष भर में केवल एक बार ही उपवासकरना पड़े और स्वर्ग प्राप्ति सुगम हो तथा जिसे करने से मैं कल्याण का भागी हो सकूं ।

यह सुनकर वेदव्यास जी ने कहां भीम तुम जेष्ठ मास में शुक्ल पक्ष में जो एकादशी हो उसका यत्न पूर्वक निर्जल व्रत करो। केवल कुल्ला या आचमन करने के लिए ही मुख्य में जल डाल सकते हो, उसको छोड़कर किसी प्रकार का जल मुख में ना डालना अन्यथा व्रत खंडित हो जाता है।

एकादशी को सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक मनुष्य जल का त्याग करे तो यह व्रत पूर्ण होता है। उसके पश्चात द्वादशी के दिन प्रातः काल स्नान करके भगवान श्री कृष्ण की पूजा कर दी ब्राह्मण को भोजन देने के बाद ही स्वयं भोजन करें तब ही यह व्रत पूर्ण माना जाता है ।

निर्जला एकादशी के दिन क्या-क्या करना चाहिए? nirjala ekadashi 2022 

अतः निर्जला एकादशी को पूर्ण यत्न करके उपवास और श्रीहरि का पूजन करना चाहिए।स्त्री हो या पुरुष यदि उसने पाप किया है , तो वह सब इस एकादशी व्रत के प्रभाव से भस्म हो जाते हैं ‌।जो मनुष्य एकादशी के दिन जल के नियम का पालन करता है वह पुण्य का भागी होता है।

भगवान श्री कृष्ण का कहना है कि व्यक्ति को निर्जला एकादशी के दिन स्नान, दान, जप, होम आदि जो कुछ भी करता है अक्षय होता है ।इस व्रत को करने से वैष्णव पद की प्राप्ति होती हैं।जो मनुष्य एकादशी के दिन अन्न खाता है वह पाप का भोजन करता है।इस लोक में वह चांडाल के समान होता है और मरने पर से दुर्गति प्राप्त होती है।

निर्जला एकादशी का महत्व क्या है? nirjala ekadashi 2022 

भारतीय ग्रंथों में एकादशी व्रत हिंदुओं में सबसे अधिक प्रचलित माना जाता है।निर्जला एकादशी का व्रत अत्यंत संयम का होता है।कलयुग में निर्जला एकादशी व्रत को संपूर्ण सुख भोग और मोक्ष कहा गया है।एकादशी के दिन भोजन व जल ग्रहण करना वर्जित होता है।

हिंदू वर्ष में 24 एकादशी आती है जिसमें से ज्येष्ठ शुक्ला एकादशी सबसे बढ़कर फल देने वाली होती हैं क्योंकि इस एकादशी व्रत का फल 24 एकादशी के बराबर माना गया है ‌।

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