Badrinath Temple History In Hindi

Badrinath Temple Chamoli Uttarakhand

Badrinath Temple हिंदुओं के चार धामों में से एक प्रसिद्ध धाम है । यह उत्तराखंड के चमोली जनपद में स्थित भगवान विष्णु को समर्पित हिंदू मंदिर है।

इस मंदिर को बद्री विशाल के नाम से भी जाना जाता है । बद्रीनाथ मंदिर की भौगोलिक स्थिति उत्तरी अक्षांश तथा पूर्वी देशांतर पर है ।

इस मंदिर के नाम पर ही आसपास बसे नगर को बद्रीनाथ कहा जाता है । बद्रीनाथ चमोली जिले की जोशीमठ तहसील में एक नगर पंचायत है जो 2 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ  हैं ।

भौगोलिक दृष्टि से यह स्थान हिमालय पर्वतमाला के ऊंचे शिखरों के मध्य गढ़वाल क्षेत्र में समुद्र तल से 3133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ।

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11 BEST Places to Visit in Badrinath Dham

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बद्रीनाथ धाम का इतिहास – Badrinath Temple

Badrinath Temple History In Hindi
Badrinath Temple History In Hindi

बद्रीनाथ मंदिर की उत्पत्ति – Badrinath Temple

कुछ सूत्रों के अनुसार यह मंदिर आठवीं शताब्दी तक एक बहुत बड़ा बुध स्तूप था , जिसे आदि शंकराचार्य ने एक हिंदू मंदिर में परिवर्तित कर दिया ।

इस तर्क के पीछे मंदिर की वास्तुकला एक प्रमुख कारण है जो किसी मंदिर के समान है ।

इसका चमकीला मुख्य भाग किसी बौद्ध मंदिर के समान प्रतीत होता है। बताते हैं कि इस मंदिर को 9 वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित किया ।

हिंदू ग्रंथों के अनुसार यहा  भगवान विष्णु की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी।  

Shree Krishan or Badrinath Dham

भगवान विष्णु जी के अवतार श्री कृष्ण अपनी शिक्षा प्राप्ति के समय अपने गुरु के साथ भ्रमण के लिए इस जगह पर आए थे । 

भगवान कृष्ण ने अपने गुरु का अहंकार तोड़ने के लिए उनको यहां पर बद्रीनारायण भगवान के रूप में दर्शन दिए जिसे बद्री विशाल नाम से भी जाना गया ।

Badrinath Dham की स्थापत्य शैली 

बद्रीनाथ मंदिर अलकनंदा नदी के लगभग 50 मीटर ऊंचे धरातल पर निर्मित है । इसका प्रवेश द्वार नदी की ओर देखता हुआ है, मंदिर की तीन संस्थाएं हैं
गर्भ ग्रह
दर्शन मंडल
सभा मंडल.

Badrinath Temple का मुख्य भाग पत्थर से बना है , इसमें धनुष आकार की खिड़कियां हैं ।

चौड़ी सीडीओ के माध्यम से मुख्य प्रवेश द्वार तक पहुंचा जा सकता है और इसे सिह द्वार भी कहा जाता है ।

यह एक लंबा धनुष आकार द्वार हैं इस द्वार के शीर्ष पर तीन स्वर्ण कलश है और छत के मध्य विशाल घंटी लटकी हुई है ।

अंदर प्रवेश करते ही मंडप है ओर एक बड़ा स्तंभों से भरा कमरा है, जो गर्भ ग्रह या मुख्य मंदिर क्षेत्र की ओर जाता है ।

कमरे की दीवार और स्तंभों को जटिल नक्काशी के साथ सजाया हुआ है । इस मंडप में बैठकर श्रद्धालु विशेष पूजा एवं आरतियां आदि करते हैं ।

सभा मंडप में ही मंदिर के धर्माधिकारी नायब रावल एवं वेद पाठी विद्वानों के बैठने का स्थान है।

गर्भ ग्रह की छत शंकुधारी आकार की है और लगभग 15 मीटर लंबी है ,छत  के शीर्ष पर एक छोटा कपोला भी है जिस पर सोने का पानी चढ़ा हुआ है।

मंदिर में भगवान नारायण की 1 मीटर लंबी शालिग्राम से निर्मित मूर्ति हैं जिसे बद्री वृक्ष के नीचे सोने की चद्दवा मैं रखा गया है।

बद्रीनाथ की इस मूर्ति को कई हिंदुओं द्वारा भगवान विष्णु की  8 स्वयं प्रकट हुई मूर्तियों में से एक माना जाता है ।

इस मूर्ति के चार हाथ है दो हाथ ऊपर उठे हुए हैं , एक में शंख और दूसरे में चक्कर है तथा दो अन्य योग मुद्रा में स्थित है।

Badrinath Temple के धार्मिक पर्व तथा परंपराएं

बद्रीनाथ मंदिर में आयोजित सबसे प्रमुख पर्व माता मूर्ति का मेला है जो मां पृथ्वी पर माँ गंगा  के आगमन की खुशी में मनाया जाता है ।

बद्री केदार यहां पर एक अन्य प्रसिद्ध त्योहार है जो जून के महीने में बद्रीनाथ और केदारनाथ दोनों मंदिरों में मनाया जाता है ।

यह त्यौहार 8 दिनों तक चलता है इस में आयोजित समारोह के दौरान देश भर से आए कलाकार यहां प्रदर्शन करते हैं ।

प्रातः काल महा अभिषेक , अभिषेक , गीता पाठ पूजा आदि होते हैं जबकि शाम को पूजा में गीत गोविंद और आरती होती हैं ।

सभी अनुष्ठानों के दौरान अष्टोत्रम सहस्त्र नाम जैसे वैदिक ग्रंथों का उच्चारण किया जाता है।

आरती के बाद बद्रीनाथ की मूर्ति से सजावट हटा दी जाती है , और पूरी मूर्ति पर चंदन का लेप लगाया जाता है ।

मूर्ति पर लगी चंदन अगले दिन भक्तों को दर्शन के दौरान प्रसाद के रूप में दी जाती हैं ।

मंदिर में सभी धार्मिक अनुष्ठान भक्तों के सामने होते हैं , जबकि कुछ मंदिरों में विपरित होता है।

यहाँ की प्रचलित धारणा यह है कि इस मंदिर में पूजा करने के साथ-साथ भक्त अलकनंदा नदी के 1 कुंड में डुबकी लगाते हैं । 

 कुंड में डुबकी लगाने से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है।

बद्रीनाथ धाम  कैसे जाए  

Badrinath Temple के इस आर्टिकल में हमने जाना बद्रीनाथ में आप 11 जगहों को विजिट कर सकते है।

अब रहा सवाल की बद्रीनाथ कैसे जा सकते है। आप किसी भी स्थान पे रहते हो भारत में हर स्थान पे रेलवे स्टेशन मौजूद है ।

अपने नजदीकी रेलवे से आपको हरिद्वार के लिए ट्रेन मिल जायेगी नहीं तो आप बस के माध्यम से भी हरिद्वार पहुच सकते हो।

हरिद्वार से आगे की यात्रा आप बस तथा प्राइवेट कार से ही की जा सकती है क्योंकि आगे ट्रेन उपलब्ध नहीं हैं ।

Badrinath Yatra Low budget  मे कैसे पूरी करे ?

इस आर्टिकल के अंतिम प्रारूप में जानेगे बद्रीनाथ यात्रा कम खर्च में कैसे की जाये ।

ये सवाल काफी लोगो के मन में आता हैं की हमें भी चार धाम की यात्रा करनी चाहिए परन्तु कम खर्चे में में हो जाए ।

इन सभी प्रश्नो का जवाब आपको यहाँ मिल जाएगा ।  इस पोस्ट में  हम हरिद्वार से बद्रीनाथ की यात्रा के बारे में बात करेंगे ।

आप किसी भी शहर गांव कस्बे में रहते हो तो आप ट्रेन के माध्यम से आसानी से हरिद्वार पहुंच सकते हो। 

किस समय Badrinath Yatra की जाए की खर्च कम आएगा ?

समान्य समय में बद्रीनाथ जाना थोड़ा महंगा साबित हो सकता है ,इसलिए आप बद्रीनाथ यात्रा का उचित समय निकाल  के ही जाए ।

बद्रीनाथ की यात्रा का उचित समय सितम्बर से अक्टुम्बर के बीच का सबसे उत्तम समय माना जाता है ,इस समय सबसे कम खर्च आता है। 

हरिद्वार से बद्रीनाथ यात्रा कैसे करे ? 

आप सभी को ये पता ही होगा की भारत में सबसे सस्ता ट्रेवल ट्रेन के माध्यम से ही किया जा सकता है ।

परन्तु बद्रीनाथ में किसी भी प्रकार का कोई भी रेलवे स्टेशन नहीं है और अंतिम रेलवे स्टेशन हरिद्वार ही है। 

तथा सबसे निकटतम एयर पॉट देहरादून में है वहाँ से बद्रीनाथ की दुरी लगभग 300 किमी है। यहां से टैक्सी की सेवा उपलब्ध रहती है।

बस के दवारा बद्रीनाथ यात्रा

बस से यात्रा आप अगर हरिद्वार या ऋषिकेश से चालू करते है तो इसके लिए आपको सबसे पहले हरिद्वार या ऋषिकेश आना होगा।

पहले दिन आप हरिद्वार से बस पकड़ के बद्रीनाथ धाम जा सकते है।

हरिद्वार से Badrinath Temple  का लगभग बस से किराया कितना होगा है ??

हरिद्वार से बद्रीनाथ का लगभग बस से सबसे सस्ता टिकट 580 रूपये है और यह लगभग आपको 10 hours and 20 mints में छोड़ देती है सबसे आसान तथा सस्ता ट्रेवल बस के द्वारा ही रहता है । 

हरिद्वार से बद्रीनाथ की दुरी कितनी है ? – Badrinath Temple

बद्रीनाथ  से  हरिद्वार की दुरी लगभग 315 किमी है ।  पहाड़ी इलाका होने के कारण इस सफर में बहुत ज्यादा समय लग जाता है

तथा इस रुट पे बस को सावधानी से चलना पड़ता है । 

इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखे जिस दिन आप हरिद्वार पहुंच रहे है उसी दिन शाम को जाने वाली बस का टिकट ले ले ।

क्यूकी सुबह हरिद्वार से बद्रीनाथ जाने वाली बस में जगह नहीं बच पाती है। 

कही ऐसा न हो जाए की उस दिन आपको बद्रीनाथ जाने की कोई बस मिले ही नहीं इसलिए बद्रीनाथ  जाने के लिए 1 दिन पहले टिकट बुक कर ले।

ताकि आप समय से बद्रीनाथ  पहुंच सके और रात को आप ठहरने के लिए आराम से रूम ढूंढ सकते है क्योंकी अगर आपको पहुंचने में देरी होती है तो हो सकता है ।

आपको रहने के साथ साथ खाने की कॉस्ट ज्यादा पड़ सकती है।

इसलिए जितना जल्दी बस पकड़ सके उतना ही बेहतर रहेगा। Badrinath Temple पहुंचने के बाद आप किसी सस्ते हॉस्टल या फिर टेंट में रह सकते है

क्यों की इनकी cost कम होती है और आप अच्छे खासे पैसे बचा सकते है।

आपको बद्रीनाथ में कई धर्मशाला भी मिल जायेगी आप वहाँ रूक सकते है धर्मशाला में per पर्सन का किराया 100 से लेकर 300 रूपये तक ही आएगा ये सबसे कम दाम की बात कर रहे है। होटल की कॉस्ट ज्यादा रहता है 

Badrinath Dham में सस्ते या फिर फ्री में खाना कैसे खाये ? 

Badrinath Temple में आप फ्री तथा सस्ते में आराम से भोजन कर सकते है वहाँ पे आप होटल में थाली सिस्टम से 100 तक में आराम से भरपेट खा सकते है ये सबसे बेस्ट विकल्प रहता है। 

अगर आप फ्री में खाना चाहते है तो आप लंगर जाके आराम से खाना खा सकते है वहाँ पे बहोत अच्छे quvality का भोजन करवाया जाता है।

बद्रीनाथ धाम के रोचक तथ्य  

भगवान बद्रीनाथ को बद्रि विशाल के नाम से भी जाना जाता है । 

बद्रीनाथ धाम पर शाक्षात भगवान विष्णु बद्रीनाथ के रूप मे विराजते है । 

बद्रीनाथ धाम आदि शंकराचार्य की कर्मस्थली है । 

बद्रीनाथ धाम मे शंख नहीं बजाया जाता है । 

वडप्रियाग बद्रीनाथ धाम का पुराना नाम था । 

बद्रीनाथ धाम अलनन्दा नदी के किनारे बसा हुआ है । 

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