Dwarka || Shri Krishna Nagri

Dwarka || Ek Devbhumi

Dwarka हिंदुओं की तीर्थ स्थली है तथा यह सात पुरियों में से भी एक मानी जाता है। यह भगवान श्रीकृष्ण की कर्मभूमि है।

द्वारिका भारत के गुजरात राज्य के द्वारिका जिले में  गोमती नदी अरब सागर किनारे पश्चिमी तट पर बसा हुआ एक नगर हैं ।

द्वारका के दर्शनीय स्थल 

  1. गोमती द्वारिका (भेंट द्वारका)
  2. निष्पाप कुंड
  3. रणछोड़ जी मंदिर
  4. रुकमणी मंदिर
  5. नागेश्वर मंदिर
  6. ओखा
  7. विश्वकर्मा मंदिर
  8. .कुशेश्वर महादेव मंदिर
  9. शारदा मठ
  10. हनुमान मंदिर
  11. गोपी तालाब 
Dwarka || Shri Krishna Nagri
Dwarka || Shri Krishna Nagri

द्वारिकापुरी का अनसुना इतिहास

dwarka  से जुड़ा ऐसा सच जो आज भी लोगों को नहीं पता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार यह माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण मथुरा में निवास करते थे।

मथुरा नरेश कंश के वध करने के बाद श्री कृष्ण ने अपने दादा उग्रसेन को मथुरा की राजगद्दी पर बिठाया। फिर समय के साथ साथ श्री कृष्ण ने मथुरा का राज्य संभाला। 

यह बाद कंश के ससुर जरासंध को राज नहीं आई मथुरा पर हमला करने की ठानी तथा एक बड़ी सेना लेकर मथुरा पर आक्रमण कर दिया।

परन्तु वो ये नहीं जानता था की वो भगवान से दुश्मनी कर रहा है ,आखिर उसे मुकि कहानी पड़ी।

परन्तु श्री कृष्ण ने उस पर दया करके छोड़ दिया। फिर भी वह नहीं माना और फिर से मथुरा पर आक्रमण किया और फिर पुनः हार गया।

जरासंध श्री कृष्ण के द्वारा हार जाने के बाद भी वह लगातार युद्ध करता रहा , जितनी बार हारता उतनी ही बार नए जोश के साथ पुनः युद्ध को तैयार हो जाता। 

श्री कृष्ण ने क्यों छोड़ी द्वारका 

जरासंध के इन्ही आक्रमणों से परेशान होकर भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा को छोड़ देने का निर्णय लिया ,ताकि वो अपने प्रजा की रक्षा कर सके।

मथुरा को त्यागने का विचार करते समय श्री कृष्ण भगवान देव शिल्पी को याद करते है और एक नयी नगरी के निर्माण करने का आदेश देते है।

विश्वकर्मा जी श्री कृष्ण की नगरी के निर्माण कार्य शुरू करने के लिए कल्पना शक्ति का आह्वान करते है तथा नगरी की रूपरेखा निर्माण में मदद मांगते है।

कल्पना शक्ति के आशीर्वाद से देवशिल्पी के मन में एक भव्य नगरी की सुन्दर आकृति दिखने लगती है।

नगरी के निर्माण के लिए देव शिल्पी समुन्द्र देव से प्राथना करते है की हे समुन्द्र देव मुझे श्री द्वारकाधीश के लिए एक भव्य महल का निर्माण करना है। 

जिसके लिए मुझे आपकी भूमि का एक टुकड़ा चाहिए तथा भगवान श्री कृष्ण की लीला पूर्ण हो जाने पर ये जमीन आपको पुनः लौटा दी जाएगी।

देवशिल्पी की प्रार्थना को स्वीकार कर समुन्द्र देव शिल्पी को भूमि प्रदान करते है। देवशिल्पी अपनी रचना शक्ति से एक भव्य महल का निर्माण करते है, जिसे द्वारकापुरी के नाम से जाना जाता है ।

इस महल की सुंदरता मन को मोह लेने वाली थी। 

Dwarka से जुड़े रोचक तथ्य

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार द्वारिकापुरी में एक ऐसी सभा थी जिसमें बैठने वाले सदस्यों को भूख और प्यास की इच्छा नहीं होती थी ।

द्वारिकापुरी में रहने वाली आम जनता में धन की किसी भी प्रकार की कोई भी कमी नहीं थी ।

वैज्ञानिक खोज के अनुसार आज भी द्वारका के अवशेष समुन्द्र के अंदर समाए हुवे है । 

द्वारका का भूभाग भगवान श्री कृष्ण ने समुन्द्र देव से प्राप्त किया था । 

भगवान श्री कृष्ण की नगरी द्वारिका गोमती नदी तथा अरबसागर के तट पर बसी हुई है । 

Dwarka in gujarat भगवान श्री कृष्ण के बाद द्वारिका धाम का क्या हुआ?

भगवान श्री कृष्ण ने द्वारिकापुरी बसाते समय समुद्र देव से यह वचन दिया था की जब तक वह धरती पर हैं तब तक यह भूमि उनके पास रहेगी ।

तथा उनकी लीला समाप्त होने पर यह भूमि उनको वापस लौटा दी जाएगी ।

अतः भगवान श्री कृष्ण के वचन स्वरूप उनकी मृत्यु के पश्चात समुद्र देव द्वारा दी गई भूमि वापिस समुद्र में समा गई।

वर्तमान में dwarka के अवशेष समुद्र से पुरातत्व वैज्ञानिकों को प्राप्त हो रहे हैं ।

पुरातत्व वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी तक Dwarka जो कि समुद्र में समा गई थी उसकी सिर्फ 1% खोज हुई है।

सोमनाथ से द्वारिका की दूरी कितनी है ?

भगवान श्री कृष्ण की नगरी द्वारिका सोमनाथ से लगभग 237 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । 

द्वारकाधीश की आंखे क्यों बंद है ?

गुजरात की द्वारका मे स्थित श्री द्वारकाधीश मंदीर मे भगवान द्वारकाधीश की मूर्ति की आंखे इसलिए बंद है क्योंकि द्वारकाधीश की मूर्ति अधूरी बनी हुई है । 

भगवान द्वारकाधीश की कितनी पत्निया थी ?

भगवान श्री कृष्ण / द्वारकाधीश की कुल 16000 रानिया तथा 8 पट रानिया थी । 

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1 thought on “Dwarka || Shri Krishna Nagri”

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