kedarnath shiv mandir भारत जैसे धार्मिक देश में लोग मंदिरों को बहुत महत्व देते हैं। भारत हिंदू राष्ट्र होने के कारण यहां पर देवी देवताओं के मंदिर बने हुए हैं। जिनमें चार धाम, सप्त पुरी, 12 ज्योतिर्लिंग तथा शक्ति पीठ प्रमुख हैं। भारत के लोग मानते हैं कि चार धाम की यात्रा करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है तथा सभी पाप धुल जाते हैं। आज हम किन्ही चार धामों में से एक केदारनाथ के बारे में जानेंगे।
केदारनाथ भारत के चार धामों में से एक है। यह भगवान शिव को समर्पित मंदिर है। केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह हिंदुओं का सबसे प्रमुख तथा प्रिय मंदिर है। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से भी एक हैं । यहां की प्रतिकूल जलवायु के कारण इस मंदिर में भक्तों के दर्शनों के लिए अप्रैल से नवंबर माह तक मंदिर खोला जाता है।

केदारनाथ-kedarnath मंदिर का इतिहास
केदारनाथ मंदिर हिंदुओं के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। यह मंदिर भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इसका इतिहास बहुत पुराना है। केदारनाथ मंदिर के इतिहास के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं जिनमें से पांडव तथा भगवान शिव की कथा प्रमुख हैं।
पहली कथा :- इस कथा के अनुसार पांडवों की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपने भाइयों की हत्या के पाप से मुक्त करवाया था। माय तो है कि महाभारत के युद्ध में पांडवों द्वारा अपने भाइयों का नरसंहार हुआ था । पांडवों को अपनी द्वारा यह गए नरसंहार का पश्चाताप हुआ। इस पाप का पश्चाताप करने के लिए वह भगवान शिव को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद पाना चाहते थे ताकि वे इस पाप का पश्चाताप कर सकें। परंतु भगवान शिव कानपुर से नाराज थे।
पांडव भगवान शिव के दर्शन के लिए कहां पहुंचे परंतु भगवान शिव ने पांडवों को दर्शन नहीं दिए। तत्पश्चात पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हिमालय जाने का निर्णय लिया। परंतु भगवान शिव ने वहां पर भी उनको दर्शन नहीं दिए। बाद में पांडव भगवान शिव को ढूंढते ढूंढते केदारनाथ पहुंचे।
भगवान शिव ने केदारनाथ-kedarnath पहुंचकर बैल का रूप धारण किया और बैलों के झुंड में छिप गये । परंतु पांडवों की शिव दर्शन की लालसा में भगवान शिव को बैंलो के झुंड में से पहचान लिया। भगवान शिव ने पांडवों की भक्ति से प्रश्न होकर उन्हें साक्षात रूप में दर्शन दिया और उन्हें आशीर्वाद दिया कि वे अपने भाइयों की हत्या के पाप से मुक्ति हो जाएगी ।
शिव पुराण के अनुसार यह कहा जाता है कि केदारनाथ-kedarnath में जो तीर्थयात्री आते हैं स्वर्ग की प्राप्ति होती है तथा उनके सारे पर धुल जाते हैं। केदारनाथ का संबंध सिधा स्वर्ग से बताया जाता है।
दूसरी कथा :- केदारनाथ-kedarnath के इतिहास से जुड़ी दूसरी कथा का संबंध नर और नारायण से बताया जाता है। कहा जाता है कि केदारनाथ की स्थापना का संबंध नर नारायण से बताया जाता है। नर नारायण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या कई सालों से लगातार कर रहे थे। उनकी उसी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने नारायण को दर्शन दिए। तथा आशीर्वाद दिया कि वह केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में यहां पर सदैव वास करेंगे।
केदारनाथ मंदिर का निर्माण कब तथा किसने करवाया था?
कहा जाता है कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने करवाया था। यह भी बताया जाता है कि केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे पांडवों ने एक मंदिर बनाया था लेकिन वह मंदिर वक्त की मार को नहीं झेल पाया।
केदारनाथ-kedarnath मंदिर की विशेषता क्या है?
केदारनाथ मंदिर अपने बनावट के कारण विश्व प्रसिद्ध है। केदारनाथ मंदिर को बनाने मे पत्थरों को एक दूसरे से जोड़ने के लिए इंटरलॉकिंग तरीके का प्रयोग किया गया है। इसी कारण यह मंदिर मजबूती से आज भी अपने उसी स्वरूप में खड़ा है। यह मंदिर तीनों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है । यहां पर पांच नदियों का संगम भी होता है जिसमें मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्ण गौरी आदि हैं।
केदारनाथ-kedarnath में किसकी मूर्ति है?
केदारनाथ धाम में भगवान शिव की मूर्ति के अलावा आदि गुरु शंकराचार्य की मूर्ति भी बनी हुई है। इसका अनावरण माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। यह मूर्ति एक्सेला को काटकर बनाई गई है। शंकराचार्य कि इस मूर्ति की लंबाई 12 फीट है।
किस कारण नही बहा केदारनाथ मंदिर
भारत में 2013 में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्य में अचानक बाढ़ कथा कृष्णा के कारण केदारनाथ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र रहा और वहां के आसपास के मकान बाढ़ के साथ बह गए थे। परंतु केदारनाथ-kedarnath मंदिर बिल्कुल नहीं रहा इसके पीछे का मुख्य कारण मंदिर की बनावट है। केदारनाथ मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली द्वारा किया गया था। केदारनाथ मंदिर के पत्थरों को जोड़ने के लिए इंटरलॉकिंग का इस्तेमाल किया गया था।
केदारनाथ जाने का समय क्या है?
केदारनाथ की यात्रा में आपको मई और जून में अधिक भीड़ देखने को मिलेगी यदि आप ठंड और बारिश से बचना चाहते हो तो आप मई और जून में केदारनाथ मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हो क्योंकि इस समय केदारनाथ मंदिर जाने पर बारिश के साथ-साथ ठंड भी कम पड़ती है ।
केदारनाथ कैसे पहुंचा जा सकता है?
केदारनाथ पहुंचने के लिए आपको सड़क मार्ग से आप जाना चाहते हो तो नेशनल हाईवे 109 से आपको ऋषिकेश पहुंचना होगा। उसके बाद केदारनाथ के लिए बस या टैक्सी आप ले सकते हो NH334 और NH107 से केदारनाथ की यात्रा 490 किलोमीटर है जिसमें यात्रा का समय लगभग 15 घंटे के आसपास रहता है।
केदारनाथ जाने के लिए कितने किलोमीटर चढ़ाई करनी पड़ती है?
केदारनाथ की पैदल यात्रा केवल 21 किलोमीटर की है जो सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक 5 किलोमीटर और गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर तक का सफर 16 किलोमीटर पैदल यात्रा करके पहुंचा जाता है।
केदारनाथ-kedarnath की विशेष आरती
जय केदार उदार शंकर, मन भयंकर दुख हरम्
गौरी गणपति स्कंद नंदी श्री केदार नमाम्यहम्।
शैली सुंदर अति हिमालय शुभ मंदिर सुंदरम्
निकट मंदाकिनी सरस्वती जय केदार नमाम्यहम्।
उदक कुंड है अधम पावन रेतस कुंज मनोहरम्,
हंस कुंड समीप सुंदर जे केदार नमाम्यहम्।
अन्नपूर्णा सह अर्पणा काल भैरव शोभितम्,
पंच पांडव द्रोपदी सम जे केदार नमाम्यहम्।
शिव दिगंबर भस्मधारी अर्द्धचंद्र विभुषितम्
शीश गंगा कंठ फणिपति जै केदार नमाम्यहम्।
कर त्रिशूल विशाल डमरू ज्ञान गान विशारद्
मदमहेश्वर तुंग ईश्वर रूद्र कल्प गान महेश्वरम्।
पंच धन्य विशाल आलय जे केदार नमाम्यहम्
नाथ पावन है विशालम् पुण्यप्रद हर दर्शनम्
जय केदार उदार शंकर पाप ताप नमाम्यहम्।
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