नेताजी सुभाषचंद्र बोस || अंडमान की आजादी
हमारे इतिहास में 30 दिसंबर 1943 का दिन महत्वपूर्ण है। इस दिन नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अंडमान निकोबार के पोर्ट ब्लेयर में स्वतंत्रता का झंडा फहराया। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्त्वपूर्ण प्रयोग रही।
नेताजी की स्वतंत्रता की घोषणा
15 अगस्त 1947 को हमारे देश को अंग्रेजों से मुक्ति मिली थी, लेकिन इससे पहले नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अंडमान निकोबार के पोर्ट ब्लेयर में स्वतंत्रता की घोषणा की थी। उन्होंने अंडमान में ‘आजाद हिन्द फौज’ की स्थापना की और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।
आजाद हिन्द फौज: स्वाधीनता की राह
नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अपने संघर्षों और समर्थन से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। उन्होंने 30 दिसंबर 1943 को पोर्ट ब्लेयर में एक ऐतिहासिक पल को जन्म दिया, जब आजाद हिन्द फौज ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह से अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंका और स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया।
आजाद हिन्द फौज का उद्भव
1942 में नेताजी ने जापान में स्थापित की थी आजाद हिन्द फौज। उनका उद्देश्य था अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष करके भारत को स्वतंत्र करना। वे समझते थे कि आंदोलन से स्वतंत्रता मिलना संभव नहीं है, बल्कि उसके साथ साथ सशस्त्र संघर्ष भी आवश्यक है।
नेताजी के विचार और उनके प्रयास
सुभाषचंद्र बोस का यह मानना था कि द्वितीय विश्व युद्ध में भारत के योगदान से भारत को एक अद्भुत मौका मिल सकता है। वे भारतीय सैनिकों की निरर्थक मौत को बचाना चाहते थे और अपने देश को स्वतंत्रता की राह पर ले जाना चाहते थे।
नेताजी के दृष्टिकोण और प्रयास
बोस का मानना था कि आंदोलनों के साथ-साथ सशस्त्र संघर्ष भी जरूरी है। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में भारत के सैनिकों को निरर्थक मौत से बचाने के लिए आजाद हिन्द फौज की स्थापना की थी।
स्वतंत्रता के लिए संघर्ष
नेताजी बोस का मानना था कि स्वतंत्रता के लिए सिर्फ आंदोलन ही काफी नहीं है, बल्कि सशस्त्र संघर्ष भी आवश्यक है। इसीलिए उन्होंने आजाद हिन्द फौज को विकसित करते हुए भारतीय स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।
अंडमान में आजादी का झंडा
1943 के दिसंबर महीने में, आजाद हिन्द फौज ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह से अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेका और स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्त्वपूर्ण पल था।