Sadhguru Biography in Hindi
सद्गुरु की जीवनी हिन्दी मे –
sadhguru जिन्हे भारत के साथ पूरे विश्व मे एक योग गुरु ओर समाजसेवी के रूप जानते है आज के हम इस आर्टिकल में हम बात करेंगे एक ऐसे सिद्ध पुरुष के बारे में जो अपनी बातों, वचनों तथा ज्ञान के द्वारा लोगों की अंधकार मय जीवन ज्योति को प्रकाश की ओर ले जाने का कार्य कर रहे हैं। एक ऐसे योग गुरु जो अपने योग के द्वारा मनुष्य के जीवन को रोगमुक्त तो कर ही रहे हैं साथ ही अनोखी योग मुद्राओं के द्वारा लोगों के जीवन को एक नई दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं।
जी हां हम बात कर रहे हैं जगदीश वासुदेव जी की जिनको पूरा संसार sadhguru के नाम से भी जानता है।
आज के हमारे इस आर्टिकल का मुख्य उद्देश्य सद्गुरु के संपूर्ण जीवन sadhguru biography in hindi के बारे में जानना तथा यह जानने का प्रयास करना है कि कैसे एक साधारण व्यक्ति दुनिया का सबसे लोकप्रिय व्यक्ति तथा कैसे एक सामान्य व्यक्ति विश्व का योग्य गुरु व पथ प्रदर्शक बना।
अपने विचारों के द्वारा लाखों लोगों की जिंदगी को बदलने वाले सद्गुरु को जो भी सुनते हैं वह सुनते ही रह जाते हैं। सद्गुरु ने अपनी इच्छा फाउंडेशन के द्वारा अनगिनत लोगों की जिंदगी को एक नई दिशा दी है तथा लोगों को जीवन जीने के कई तरीकों से अवगत कराया है।
कौन है sadhguru
सद्गुरु के साक्षात दीदार करने के लिए लाखों लोग कतार में खड़े रहते हैं। सद्गुरु एक आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ एक लेखक भी है। इनका पूरा नाम जगदीश वासुदेव तथा बचपन में इन्हें जग्गी वासुदेव के नाम से भी पुकारा जाता था।
सतगुरु ने लोगों के कल्याण एवं जीवन को एक नई दिशा देने के लिए सन 1992 में एक नॉन प्रॉफिटेबल संस्था की स्थापना की जिसे लोग ईशा फाउंडेशन के नाम से भी जानते हैं। सद्गुरु ईशा फाउंडेशन के संस्थापक है। ईशा फाउंडेशन भारत के साथ-साथ पूरे विश्व में योग का प्रचार प्रसार करती है। सद्गुरु को सन 2017 में पदम विभूषण पुरस्कार से भी नवाजा गया है।
sadhguru का जन्म
sadhguru का जन्म 3 सितंबर 1957 में कर्नाटक के मैसूर शहर में हुआ था। सद्गुरु के बचपन का नाम जगदीश वासुदेव था। सद्गुरु के माता पिता का नाम सुशीला वासुदेव तथा डॉक्टर वासुदेव था। जगदीश अपने चार भाई बहनों में से सबसे छोटे थे। सद्गुरु की पिता इंडियन रेलवे में एक कर्मचारी थे।
sadhguru का बचपन
sadhguru बचपन से ही एक अलग सोच रखने वाले बालक थे। sadhguru की एकाग्रता शक्ति बचपन से ही बहुत तीव्र थी जिसके कारण भी बचपन में किसी भी वस्तु को देखते तो वह उसमें खो जाते थे। sadhguru को बचपन से ही प्रकृति से लगाव था यह लगाओ इतना ज्यादा था कि वह कई दिनों तक अपना समय जंगलों में बिताते थे।
बचपन से ही सद्गुरु बहुत ही जिज्ञासु प्रवृत्ति के थे, जिसके कारण उनके मन में हमेशा कोई ना कोई सवाल अवश्य चलता रहता था। परंतु उनकी सवाल कुछ ऐसे होते थे कि उनके जवाब किसी से मिल ही नहीं पाते थे क्योंकि सद्गुरु के प्रश्नों का उत्तर किसी के पास नहीं होता था।
sadhguru ने 10 वर्ष की उम्र से ही योगा करना शुरू कर दिया था जिससे उनके मन को काफी शांति मिलती थी। सद्गुरु को 16 वर्ष की उम्र से ही देश भ्रमण करना शुरू कर दिया था क्योंकि इससे उनको खुशी मिलती थी।
sadhguru ने व्यापार शुरू क्यों किया
सद्गुरु को अपनी विदेश घूमने की इच्छा को फोन करना था परंतु इस इच्छा की पूर्ति हेतु उनके पास पर्याप्त धन नहीं था। अपनी इसी इच्छा को पूरा करने के लिए सद्गुरु ने एक छोटा सा व्यापार शुरू किया। व्यापार शुरू होने के साथ ही सद्गुरु की किस्मत ने उनका साथ दिया और सद्गुरु का यह व्यापार बहुत अच्छा चलने लगा। सद्गुरु ने इस व्यापार से अच्छा खासा पैसा इकट्ठा कर लिया था।
व्यापार शुरू होने के कुछ वर्ष पश्चात सद्गुरु व्यापार से अप्रसन्न रहने लगे, क्योंकि सद्गुरु को व्यापार से बाहर की खुशी तो मिलती थी परंतु अंदर मन की खुशी उन्हें बिल्कुल नहीं मिल पाती थी। मन की शांति के लिए सद्गुरु ने ध्यान साधना शुरू करने की और अपना पहला कदम बढ़ाया। इसके लिए उन्होंने अपना सारा व्यापार अपने मित्र को सौंप कर और सब कुछ छोड़ छाड़ कर एक नए सफर की ओर निकल पड़े जहां उन्हें एक आध्यात्मिक चेतना की प्राप्ति हुई।
sadhguru की पहली योगा क्लास
जब सद्गुरु को आध्यात्मिक चेतना की प्राप्ति हुई उसके बाद उनको अपने सभी सवालों के जवाब मिलने लगे। बाद में उन्होंने सभी लोगों को योग साधना कराना शुरू कर दिया। सतगुरु ने अपनी पहली योगा क्लास 1986 में रखी थी। इसके बाद कर्नाटक, हैदराबाद जैसी अलग-अलग जगहों पर जाकर योगा सिखाया तथा उनसे प्राप्त धनराशि को एक संस्था में दान कर दिया।
ईशा फाउंडेशन की नींव – sadhguru
सतगुरु ने अपनी पहली योगा क्लास के बाद कई जगहों पर अपनी योगा पर आशाओं का आयोजन किया और प्राप्त धनराशि को संस्था मे दान करते रहे । इसी क्रम को नित्यक्रम बनाने तथा योग का प्रचार करने के लिए सद्गुरु ने सन 1993 में ईशा फाउंडेशन की स्थापना।
सद्गुरु का उद्देश्य था कि ईशा फाउंडेशन के जरिए स्वयं को दुनिया के हर कोने कोने तक पहुंचाएं जिससे वे भारतीय योग संस्कृति को विदेशों में भी बढ़ा सकें। इसी उद्देश्य को लेकर सतगुरु ने भारत सहित संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ,इंग्लैंड ,लेबनान ,सिंगापुर तथा आस्ट्रेलिया में अपना योगा कार्यक्रमों का आयोजन करने लगे। साथ ही सद्गुरु अपने वचनों के द्वारा लोगों के जीवन का भी पथ प्रदर्शन करने लगे।
sadhguru एक लेखक
सद्गुरु योग गुरु तथा आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ एक लेखक भी हैं। सद्गुरु ने कुल 8 भाषाओं में लगभग 100 से भी ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित की है। सद्गुरु की बचपन से ही देखन में अधिक रुचि थी इसी रुचि के कारण आज तक उन्होंने कई पुस्तकें लिखी है। सतगुरु ने अपनी पुस्तकों में स्वास्थ्य धर्म तथा आध्यात्मिक विचारों को शामिल किया है। इनके साथ ही सतगुरु ने अपने विचारों के जरिए लोगों की जिंदगी को एक नई सोच प्रदान करने का भी कार्य किया है। सद्गुरु की पुस्तके न्यूयॉर्क की बेस्ट सेलर टाइम बुक में भी अपना स्थान शामिल कर चुकी है।
sadhguru के उद्देश्य
सद्गुरु का मुख्य उद्देश्य लोगों में आध्यात्मिक चेतना को जगाना है ताकि उनको आत्मा का ज्ञान हो सके। इस आत्मा की ज्ञान के लिए सद्गुरु द्वारा कई योग शिविरों का आयोजन भी किया जा रहा है। आध्यात्मिक चेतना के साथ-साथ प्रकृति के पर्यावरण को स्वच्छ करना भी सद्गुरु का मुख्य उद्देश्य है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सद्गुरु द्वारा कई मुहिमो पर कार्य किया जा रहा है इन मुहिमो में वृक्षारोपण करना , वर्षा जल को संग्रहित करना तथा नदियों को जल को स्वच्छ करना भी शामिल।
निष्कर्ष
sadhguru का जीवन जन्म से ही योग साधना मे व्यस्त रहा । इसी योग साधना के कारण ही सद्गुरु पूरे विश्व मे योग का प्रचार कर रहे है । साथ ही सद्गुरु अपने विचारों के द्वारा लोगों को एक नई सोच प्रदान की । सद्गुरु ने हमेशा लोगों के जीवन सुधार ,पर्यावरण को सवच्छ रखना ही अपना कर्तव्य समझा । आध्यात्मिक चेतना के साथ-साथ प्रकृति के पर्यावरण को स्वच्छ करना भी सद्गुरु का मुख्य उद्देश्य है।
Pingback: गायत्री मंत्र का महत्व - THE HERITAGE OF INDIA
Pingback: Sadhguru Latest News - The Heritage of india