Tejaji Maharaj ka Jivan Parichay

Tejaji Maharaj ka Jivan Parichay

राजस्थान, मध्यप्रदेश, और गुजरात में लोक देवता के रूप में पूजे जाने वाले वीर तेजाजी की कहानी बहुत प्रेरणादायक है। उनकी जीवनी में वे अपने परिवार, समाज, और कृषि के क्षेत्र में दिए गए योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। इस लेख में हम वीर तेजाजी की कहानी, उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझेंगे।

Tejaji Maharaj ka Jivan Parichay
Tejaji Maharaj ka Jivan Parichay

Tejaji  का लघु परिचय

वीर तेजाजी महाराज को राजस्थान में लोक देवता के रूप में पूजा जाता है। राजस्थान के अलावा Tejaji  को मध्यप्रदेश तथा गुजरात मे भी लोकदेवता  के रूप में पूजा जाता है। Tejaji को वचन पालक भी कहा जाता है क्योंकि इन्होंने अपने वचन पालन के लिए अपने प्राणों को नागराज को उपहार स्वरूप दे दिया था । इन्होंने गायों की रक्षा के खातिर शत्रुओ से अकेले लोहा लिया था । 

तेजाजी महाराज का जीवन परिचय

गऊ रक्षक तेजाजी महाराज का जन्म 29 जनवरी 1074 के दिन राजस्थान के नागौर जिले के खरनाल गाव मे हुआ था । इनके पिता का नाम ताहर देव तथा माता का नाम रामकावरी था । तेजाजी धौलिया जाट  परिवार से संबंध रखते थे । Tejaji महाराज के पिताजी खरनाल के जागिरदार थे , जिनके अंतर्गत चोबिस गाव आते थे । शुरुवात मेताहर देव के कोई संतान नहीं थी जिसकी वजह से उन्होंने  दूसरा विवाह किया। उससे उनको पांच पुत्र और एक पुत्री का जन्म हुआ। उसके बाद तेजाजी और तेजाजी की बहन का जन्म हुआ।

विवाह और परिवारिक विवाद

तेजाजी का विवाह बचपन ने पेमल से हुआ था, लेकिन विवाह के बाद उनमें और उनकी पत्नी के परिवार के बीच विवाद हुआ। इस विवाद से वे दोनों बिखरे हुए थे । पेमल के मामा धोलिया जाट से नफरत करते  थे जिसकी वजह से उनको धोलिया जाट परिवार भी पसंद नहीं था। लेकिन बाद में परिवारों के बीच समझौता हो गया।

तेजाजी का कृषि और सामाजिक योगदान

वीर तेजाजी को बचपन से ही कृषि का बहुत ज्ञान था। उन्होंने कृषि में नई विधियाँ प्रस्तुत कीं और किसानों को उनके खेतों की खुशहाली के लिए उन्नत तकनीकों का प्रयोग करने की सलाह दी। वे समाज के हर कार्य में तैयार रहते थे और अपने सामाजिक कर्तव्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित करते थे। पहले जो बीज खेती के लिए उछाले जाते थे वो अब तेजाजी की तकनीकी ज्ञान के कारण हल की सहायता से बालू के नीचे दबाए जाते है ।

उत्तराधिकारियों का प्रताड़ना और उनकी आत्मा का विश्वास

तेजाजी ने अपने जीवन में उत्तराधिकारियों के अत्याचार का सामना किया। उनकी आत्मा में विश्वास रखने और अपने सिद्धांतों पर चलने के कारण, वे उस समय के सामाजिक प्रतिष्ठा के बावजूद भी उच्च सोच वाले व्यक्ति थे।

तेजाजी के वचन: नारी की रक्षा और जीवन की महिमा

वीर तेजाजी ने अपने वचनों में समाज सेवा, नारी की रक्षा, और सत्य की भावना को ऊंचा किया। उन्होंने गायों की रक्षा के लिए सांप से दिया वचन, जो उनकी सच्ची निष्ठा और समाजिक जिम्मेदारी को दर्शाता है।

तेजाजी का महत्त्व: शिव के अवतार से जुड़ा राजस्थानी धरोहर

राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, और अन्य राज्यों में वीर तेजाजी को शिव के ग्यारहवां अवतार के रूप में पूजा जाता है। उनके मंदिर और जन्म स्थलों पर तेजा दशमी के मेले का आयोजन होता है।

तेजाजी का अंतिम संघर्ष: समाज सेवा के प्रति निष्ठा का परिचय

वीर तेजाजी के जीवन का अंतिम संघर्ष उनकी वचन निभाने की प्रतिज्ञा के साथ हुआ। उन्होंने अपनी जीभ पर डस लेने के बावजूद गौरक्षा के लिए बलिदान दिया।

तेजाजी के वचन: एक अनमोल सन्देश

वीर तेजाजी के वचन न सिर्फ एक कहानी हैं, बल्कि एक संदेश भी हैं। उनके बलिदान और समाज सेवा में योगदान ने उन्हें लोकदेवता का दर्जा दिलाया।

समाप्ति

Tejaji की कहानी अत्यंत प्रेरणादायक है। उन्होंने अपने जीवन में कृषि और समाज सेवा के क्षेत्र में अपना योगदान दिया। उनका जीवन हमें सिखाता है कि संघर्ष के बावजूद भी हमें अपने निश्चित लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए।

निष्कर्ष

Tejaji ने अपने जीवन में बहुत से संघर्षों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनकी जीवनी हमें यह सिखाती है कि संघर्ष और उन्हें पार करने की क्षमता ही हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफलता दिलाती है।इस अनूठी कहानी और तेजाजी के वचनों की अनमोलता को समझते हुए, हमें समाज सेवा की महत्ता और सत्यता के मूल्य को समझना चाहिए। तेजाजी की कहानी हमें सिखाती है कि वचनों को पूरा करने के लिए हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और सत्य और सेवा में निष्ठा बनाए रखनी चाहिए।

 

 

 

 

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