Shri Shyam Mandir History , Khatu Shyam
Shri Shyam Mandir : हारे के सहारे श्याम बाबा का खाटू मे स्थित मंदिर विश्व मे अपनी विशेष पहचान है । यहा प्रतिवर्ष लाखों की संख्या मे श्याम बाबा के भक्त श्री श्याम मंदिर के दर्शन करने आते है । खाटू बाबा के इतिहास की अगर बात की जाए तो बाबा का संबंध महाभारत काल से मिलता है । खाटू वाले श्याम बाबा महाभारत काल मे भीम के पौत्र बर्बरीक थे , जिन्हे द्वारकाधीश श्री कृष्ण के आशीर्वाद से आज कलयुग मे पूजा जाता है ।
Shri Shyam क्या आप सभी को खाटू बाबा के महाभारत काल से कलयुग मे पूजे जाने तथा भव्य मंदिर के निर्माण की कहानी से परिचित है की खाटू बाबा khatu baba का सिर कब , कहा ,कैसे मिल और कैसे खाटू मंदिर का निर्माण हुआ ? आइए जानते है की किस प्रकार खाटू मंदिर का निर्माण हुआ ।
खाटू श्याम मंदिर का लघु परिचय Khatu Shyam
धोरा री धरती राजस्थान के सीकर जिले के एक छोटे से खाटू मे श्याम बाबा का भव्य मंदिर बना हुआ है । खाटू मे बने श्री श्याम मंदिर खाटू बाबा स्वयं विराजते है । Shri Shyam Mandir मे प्रतिवर्ष फाल्गुन मेल लगता है जिसे लक्खी मेला भी कहा जाता है । इस मेले मे प्रतिवर्ष देश के कोने कोने से श्याम बाबा के भक्त दर्शन करने आते है । यहा के लोगों का मानना है की बाबा के आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है ।
खाटू श्याम जी मंदिर khatu shyam mandir rajasthan
Shri Shyam Mandir के इतिहास की बात की जाए तो खाटू श्याम जी के मंदिर का निर्माण लगभग 1000 वर्ष पूर्व खाटू के राजा रूपसिंह के द्वारा कराया गया था । इस मंदिर के निर्माण के पीछे एक सुंदर कथा है जिसमे एक भक्त ने सपने मे श्याम बाबा की आज्ञा मान मंदिर का निर्माण कराया । आइए जानते है इस पूरी कहानी को
श्री श्याम मंदिर की कहानी khatu shyam temple
khatu shyam आज से लगभग 1000 वर्ष पूर्व खाटू पर एक परम प्रतापी राजा का शासन था ,जिनका नाम रूपसिंह था । राजा रूपसिंह की एक रानी थी जिनका नाम था नर्मदा देवी । खाटू के राजा और रानी धार्मिक प्रवृति के थे ,इनका भगवान मे बहुत विश्वास था । रूपसिंह के राज्य मे सभी प्रजागण खुश थे ।
एक समय की बात है खाटू के किसान की एक गाय रोजाना एक जगह पर अपना दूध गिराकर आ जाती थी । किसान को यह मालूम नहीं था इसलिए जब गाय शाम को किसान दुहने की कोशिश करता तो गाय दूध नहीं देती थी । ऐसा प्रतिदिन होने लगा , जिससे किसान को दूध चोरी होने की आशंका हुई ।
सच्चाई का पता लगाने के लिए किसान ने उस गाय का पीछा किया और पाया की गाय खेत मे एक जगह अपना सारा दूध गिरा देती थी । यह देखकर किसान को आश्चर्य हुआ की ऐसा कैसे हो सकता है । किसान ने इसकी सूचना राजा को देने राजदरबार पहुचा तथा राजा को पूरी घटना से अवगत कराया ।
Shri Shyam Mandir श्री श्याम बाबा का राजा के स्वप्न मे आना
किसान की बात को सुनकर राजा को लगा की ये किसान पागल हो गया है । परंतु किसान के बार बार कहने पर राजा ने दूसरे दिन उस जगह को खुदवाने का आदेश दिया । रात्री विश्राम के समय राजा रूपसिंह को एक सपना आया जिसमे श्याम बाबा ने दर्शन दिए और कहा की वह कोई ओर नहीं मै ही हु आप मुझे वह से निकालकर एक जगह स्थापित करे और एक मंदिर का निर्माण करे ।
थोड़ी ही देर मे राजा का स्वप्न टूट गया और राजा की नींद खुल गई । रूपसिंह ने सोचा सपना था ऐसा थोड़े ही होगा । राजा सुबह होते ही किसान के साथ उस जगह के लिए निकल पड़े ।
shri khatu shyam ji मे कैसे मिला श्याम बाबा की सिर
राजा रूपसिंह किसान के बताए स्थान पर जाते है तो देखते है की गाय स्वतः ही अपना दूध वहा गिरा रही है । राजा ने अपने सैनिकों को आदेश दिया की इस स्थान की खुदाई शुरू करे । जैसे ही सैनिक खुदाई का काम शुरू करते है तब जमीन से एक आवाज आती है ” आराम से खोदना मे यहा हु , मेरा नाम बर्बरीक है मुझे भगवान श्री कृष्ण ने कलयुग मे श्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था । आप आराम से मुझे यहा से निकाल कर खाटू मे स्थापित करे ।
जमीन से यह सुनकर राजा को अपने सपने का आभाष हुआ की वो सपना सच था । राजा ने धीरे धीरे खुदाई कर शीश को बाहर निकाल कर श्याम बाबा की जयजयकार करने लगे ।
श्री श्याम मंदिर का निर्माण shree khatu shyam mandir
शीश मिलने पर राजा रूपसिंह ने वैसा ही किया जैसा श्याम बाबा ने कहा था । सन 1027 मे राजा रूपसिंह ने खाटू मे खाटू श्याम जी का एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया जहा श्याम बाबा के शीश स्थापित किया और उसी शीश के उपर प्रतीक के रूप मे श्याम बाबा का शीश बनाकर स्थापित किया । तभी से श्याम बाबा को खाटू श्याम जी के नाम से पुकार जाने लगा ।
राजा रूपसिंह चौहान के बाद Shri Shyam Mandir का सन 1720 मे दीवान अभयसिंह के द्वारा पुनः निर्माण कराया था ।
shri khatu shyamखाटू श्याम मंदिर की वास्तुकला
श्री श्याम बाबा के खाटू मंदिर की वास्तुकला लोगों का मुख्य आकर्षण है । खाटू मंदिर की वास्तुकला मे राजस्थान की हस्त कला की एक सुंदर छवि देखने को मिलती है । मंदिर मे बने सुन्दर झरोखे तथा गुंबन्ध मंदिर की सुंदरता को चार चाँद लगाते है । मंदिर मे कीये गए संगमरमर का उपयोग एक सुंदर शांत वातावरण का माहौल बनाता है ।
खाटू श्याम मंदिर मे की गई बारीक नक्काशी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है । फिर श्याम बाबा के शीश के दर्शन करीब से मिल जाए तो मानो आत्मा तृप्त हो गई हो ।
shyam mandir खाटू श्याम मंदिर की मान्यता
श्री श्याम बाबा को त्याग और भक्ति का प्रतीक माना जाता है । यहा के लोगों की यह मान्यता है की श्याम बाबा से जो कुछ भी मांगा जाता है उसे बाबा अवश्य पूरा करते है । खाटू बाबा के भक्त श्री श्याम मंदिर मे अपनी मनोकामनाओ की अर्जी लगाते है । श्याम बाबा के भक्त अपनी मनोकामना के प्रतीक के रूप मे बाबा को मयूर पंख चढ़ाते है । बाबा के आने वाले सभी भक्तों को बाबा संयम तथा धैर्य प्रदान करते है क्योंकि श्याम बाबा हारे के सहारे है ।
shree shyam kund श्री श्याम कुंड
Shri Shyam Mandir मे स्थित श्याम कुंड की यह मान्यता है की यह वही स्थान है जहा पर खाटू का श्याम जी का शीश मिला था । कहा जाता है की जब महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था तब भगवान श्री कृष्ण ने शीश के दानी बर्बरीक का शीश रूपवती नदी मे बहा दिया था । नदी मे तैरते हुवे बर्बरीक का शीश श्याम कुंड मे आ गिरा था । तथा यही से श्याम बाबा का शीश मिला था ।
सीकर के खाटू मे स्थित श्याम कुंड के जल को बहुत ही पवित्र माना जाता है । यहा के लोगों का कहना है की श्याम कुंड का जल गंगा जल के समान पवित्र है । यहा के जल से नहाने से समस्त रोग मीट जाते है तथा भक्तों की समस्त मनोकामनाए पूर्ण होती है । श्याम कुंड के विषय मे यह कहा जाता है की कुंड मे पानी सीधा पाताल लोक से आता है ।
khatu mandir खाटू मंदिर से जुड़े कुछ तथ्य
श्याम बाबा को विश्व का दूसरा सबसे बड़ा धनुर्धर भी कहा जाता है ।
खाटू श्याम को मोरछी धारी भी कहा जाता है ।
श्री श्याम बाबा के पास ब्रम्हांड को खत्म करने का सामर्थ्य था ।
श्याम बाबा को हारे का सहारा भी कहा जाता है क्योंकि श्याम बाबा ने हारने वाले दल का साथ दिया था ।
Shri Shyam Mandir की जयपुर से दूरी लगभग 90 किलोमीटर है ।
लोगों द्वारा पूछे गए प्रश्न – Shri Shyam Mandir
खाटू श्याम जी को हारे का सहारा क्यों कहा जाता है?
श्री श्याम बाबा को हारे का सहारा कहा जाता है क्योंकि श्याम बाबा ने हारने वाले दल का साथ दिया था तथा श्याम बाबा ने निर्बलों की हमेशा सहायता करने का प्रण लिया था ।
खाटू श्याम भगवान कौन से हैं?
श्याम बाबा को भगवान श्री कृष्ण का अवतार कहा जाता है तथा श्याम बाबा महाभारत काल मे गधाधर भीम के पौत्र बर्बरीक थे ।
खाटू श्याम जी की मृत्यु कैसे हुई?
श्याम बाबा ने मोक्ष पाने के लिए तथा धर्म की रक्षा के लिए अपना शीश द्वारकाधीश श्री कृष्ण को दान मे दे दिया था ।
खाटू श्याम का पुराना नाम क्या था?
खाटू श्याम जी का पूरा नाम खाटू श्याम ही है जो महाभारत काल मे बर्बरीक थे ।
श्याम बाबा के भक्त बाबा को हारे का सहारा , शीश के दानी , तीन बाण धारी भी कहते है
खाटू श्याम जी के मंदिर तथा बर्बरीक से खाटू श्याम जी का इतिहास जानने के लिए यह क्लिक करे
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