Banswara- 100 द्विपो का नगर
33 जिलों की 33 कहानियो की इस सीरीज में अब हम पहुंच चुके है Banswara इस आर्टिकल में जानेगे बांसवाड़ा का इतिहास तथा बांसवाड़ा किसने बसाया |
Banswara इस जिले के बारे में आपने काफी कम सुना होगा बांसवाड़ा हमारे राजस्थान का एक जिला है, यह दक्षिण भाग में स्थित है बांसवाड़ा से भारत के दो राज्यों की सीमा लगती है , गुजरात और मध्यप्रदेश सबसे निकट है |
बांसवाड़ा की स्थापना भील राजा बासिया भील ने की थी। भील राजा बासिया के नाम पर ही बांसवाड़ा का नामकरण किया गया था। बांसवाड़ा को सौ द्वीपों का नगर भी कहा जाता है। बांसवाड़ा परमार वंश के शासको की राजधानी रहा ,उस समय बांसवाड़ा को उत्थुनक के नाम से भी जाना जाता था।
बांसवाड़ा का लघु परिचय Banswada short history
Banswara राजस्थान के दक्षिण दिशा मे बसा हुआ शहर है । बांसवाड़ा की नीव महाराजा जगमाल सिंह ने रखी थी । बांसवाड़ा जयपुर से 530 km और उदयपुर से 160 km पर बसा हुआ है । 2011 के अनुसार बांसवाड़ा की जनगणना 1797485 हे, बांसवाड़ा मे कुल 11 तहसील, 346 ग्रामपंचायत तथा 1500 गाव स्थित यही ।
बांसवाड़ा मे पूरे राजस्थान मे सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन किया जाता है , तथा राजस्थान मे sarwadhik वर्षा होने वाला दूसरा जिला है । बांसवाड़ा मे सर्वाधिक बीड़ी बनाने मे प्रयुत तिमरु का उत्पादन यही किया जाता है । बांसवाड़ा को “सौ द्वीपों का नगर” भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ से होकर बहने वाली मही नदी में अधिकाधिक द्वीप हैं।

बांसवाड़ा का इतिहास – Banswada history
बांसवाड़ा राजस्थान का एक एसा प्रमुख जिला है, जो दक्षिणी भाग से गुजरात और मध्य प्रदेश की सीमा से लगता है। बांसवाड़ा जिले को राजस्थान का चेरापूंजी भी कहते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार बांसवाड़ की उत्पत्ति राजा पुत्रका द्वारा की गई थी। वैज्ञानिक इतिहास की माने तो बांसवाड़ा, राजस्थान का इतिहास 490 ईसा पूर्व के आसपास शुरू हुआ ।
जब मगध के राजा अजातशत्रु अपनी राजधानी को पहाड़ी क्षेत्र से और अधिक सामरिक रूप से स्थित करना चाहते थे। गौतम बुद्ध अपने जीवन के अंतिम वर्ष में इस स्थान से गुजरे थे। वर्तमान की स्थापना एक भील राजा वाहिया चरपोटा द्वारा की गई थी। वाहिया को राजा बांसिया भील भी कहा जाता था उस उसी के नाम पर इस शहर का नाम पड़ा । 1530 में इस क्षेत्र का बांसवाड़ा राजवाड़े के रूप में किया गया था और बांसवाड़ा इसकी राजधानी हुआ करता था । 1948 में राजस्थान में शामिल होने से पहले यह डूंगरपुर राज्य का एक भाग हुआ करता था।
बांसवाड़ा का नामकारण और स्थापना –
बांसवाड़ा वर्तमान की स्थापना एक भील राजा वाहिया चरपोटा द्वारा की गई थी। वाहिया को राजा बांसिया भील भी कहा जाता था उस उसी के नाम पर इस शहर का नाम पड़ा। सन 1530 में इस क्षेत्र का बांसवाड़ा राजवाड़े के रूप में किया गया था और बांसवाड़ा इसकी राजधानी हुआ करता था। 1948 में राजस्थान में शामिल होने से पहले यह डूंगरपुर राज्य का एक भाग हुआ करता था।
बांसवाड़ा के प्रमुख पर्यटक स्थल Banswara visiting places
बांसवाड़ा अपने गौरवशाली इतिहास और संस्कृति , राजसी इमारतों के लिए भी प्रसिद्ध है । बांसवाड़ा अपने किलों, महलों और हवेलियों के लिए जाना जाता है। बांसवाड़ा शहर आने वाले पर्यटकों के लिए मुख्य केंद्र के रूप में कार्य करता है । बांसवाड़ा अपने कई सारे विशाल किले, प्राचीन मंदिर और संस्कृती के लिए जाना जाता हे, इन्हे देखने के लिए विदेसी यात्री लंबी दूरिया तय करते हे । यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थल आगे दिखये गए है
आनंद सागर झील -Banswara
Banswara में कई झीले है जिनमें से आनंद सागर झील राजस्थान की कृत्रिम झीलों में से एक है। इस झील का निर्माण वहा के महारावल जगमाल सिंह की रानी लच्छी बाई के द्वारा करवाया गया था। यह राजस्थान की मीठे पानी की कृत्रिम झील है। आनंद सागर झील के चारो और कल्पवृक्ष के पेड़ो का जंगल है। यहाँ के लोगो का कहना है की यहाँ पर जो भी इच्छा मांगी जाती है ,वो पूरी होती है।
अब्दुल्ला पीर दरगाह – Banswara
अब्दुल्ला पीर की दरगाह बांसवाड़ा का एक आकर्षक स्थल है। यह दरगाह बोहरा मुस्लिम संतो का एक प्रसिद्द स्थल है। इसे अब्दुल रसूल की दरगाह के नाम से भी जाना जाता है। अब्दुल्ला पीर की दरगाह चारो और से बागो से गिरा हुआ है ,साथ ही इस दरगाह के निर्माण में संमरमर के पत्थरो का उपयोग किया गया है जो इसकी सुंदरता को और बड़ा देते है।
तलवाड़ा मंदिर – Banswara
बांसवाड़ा में स्थित तलवाड़ा आस्था और आध्यात्मिकता का प्रमुख केंद्र है। यहाँ पर अनेक प्रकार के देवी देवताओ के मंदिर बने हुवे है। जिनमे से द्वारकाधीश का मंदिर ,सूर्य मंदिर ,अमलीया गणेश जी का मंदिर ,जैन मंदिर प्रमुख है। तलवाड़ा में सिद्धि विनायक का एक प्रमुख मंदिर है जिसे अमलिया गणेश जी के नाम से जाना जाता है।
कल्पवृक्ष – Banswara
कल्पवृक्ष का नाम कोण नहीं जानता यह वही वृक्ष है जो समुन्द्र मंथन के समय प्राप्त हुआ था। यह पीपल और वट वृक्ष की भाति ही एक विशालकाय वृक्ष है। यह वही वृक्ष है जिसे भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी के लिए देवराज इंद्र से जीता था। इस वृक्ष के बारे में यह भी कहा जाता है की इस वृक्ष से जो भी माँगा जाता है उसकी इच्छा जरूर पूरी होती है। और यह भी कहा जाता है की इस वृक्ष की पूजा करने से सभी विकार दूर होते है। यह एक प्रकार का दुर्लभ वृक्ष है।
रामकुंड – Banswara
रामकुंड का सम्बन्ध भगवान् राम से बताया जाता है। रामकुंड के बारे में बताया जाता है की भगवान् श्री राम वनवास के समय इसी जगह पर रुके थे। यह स्थान तलवाड़ा से 3 KM दूर स्थित है। यह स्थान चारो और से घाटियों और पहाड़ियों से गिरा हुआ है। यह स्थान बहुत ही आकर्षक और हरियालिओ से गिरा हुआ है।
माहि बांध – Banswara
बांसवाड़ा और राजस्थान की जल की समस्या को दूर करने के लिए बनाया गया यह बांध क्षेत्र का सबसे बड़ा बांध है। यह बांध माहि नदी पर बना हुआ है जिसे माहि सागर बांध परियोजना भी कहा जाता है। यहाँ पर लोग गुमने आते है तथा यहाँ की यादो को अपने मोबाइल में कैद करके ले जाते है।
माही बजाज सागर परियोजना की संकल्पना 60 के दशक के आखिरी सालों में शुरू हुई थी। इस महत्वाकांक्षी, बहुउद्देशीय, अंतरराज्यीय परियोजना का आधारशिला 1960 में भारत सरकार के तत्कालीन वित्त मंत्री दिवंगत श्री मोरारजी देसाई द्वारा रखी गई थी। माही बांध परियोजना का नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रीय नेता स्वर्गीय श्री जमनालाल बजाज के नाम पर रखा गया था।
माही नदी मध्य प्रदेश में धार जिले के सरदारपुरा गांव से निकलती है और मध्यप्रदेश , राजस्थान और गुजरात से होकर में गुजरात राज्य की खंभात की खाड़ी में मिलती है। पानी की क्षमता की दृष्टि से, माही नदी बेसिन राजस्थान राज्य के पंद्रह अच्छी तरह से परिभाषित और भेदभाव वाली नदी घाटियों में तीसरी सबसे बड़ी है, नदियों में ईराव, चैप, नोरी, अनास, जाकम, सोम नदी माही के प्रमुख उपदान हैं।
त्रिपुरा सुंदरी का मंदिर – Banswara
आदि शक्ति के पीठो में से एक त्रिपुरा सुंदरी का मंदिर राजस्थान के बांसवाड़ा – डूंगरपुर मार्ग पर स्थित है। यह मंदिर त्रिपुरा देवी को समर्पित है। त्रिपुरा सुंदरी देवी को तरतई माता के नाम से भी जाना जाता है। त्रिपुरा देवी के मंदिर में एक काले पत्थर की मूर्ति की पूजा की जाती है ,जिसकी आठ भुजाये है। यह यहाँ का सबसे मनोरम मंदिर है।
मानगढ़ धाम – Banswara
मानगढ़ को बलिदानियों का धाम भी कहा जाता है। मानगढ़ को राजस्थान का जलियावाला बाग़ भी कहा जाता है। इसके बारे में बताया जाता है की गुरु गोविन्द सिंह ने अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी जहा उनके साथ 1500 राष्ट्रभक्तो को अंग्रेजो ने एकसाथ गोलिया चलाकर मौत के घात उतार दिया था। मानगढ़ पर प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर मेले का आयोजन किया जाता है।
घोटिया अम्बा मंदिर Banswara
बांसवाड़ा से लगभग 35 km दूर घोटिया अम्बा को महाभारत काल के दौरान पांडवों के छुपने का स्थान माना जाता था। घोटिया अम्बा को जिले के सभी पर्यटन स्थलों के बीच एक विशिष्ट महत्व मिला है। यहाँ के स्थानीय लोगो को पूर्ण विश्वास हैं कि आम का पेड़ (जिसे स्थानीय बोली में अंबा कहा जाता है) पांडवो द्वारा लगाया गया था जिसे घोटिया अम्बा का नाम दिया गया।
हर साल हिंदू माह चैत्र में एव विशाल मेला लगाया जाता है जहां राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के तीर्थयात्रि बड़ी संख्या में आते हैं। घोटिया अम्बा मंदिर के पास एक केला पानी नामक स्थान है। केले का अर्थ केला और माना जाता है कि इस जगह पर पांडवो ने केलों के पत्तो पर ऋषियों और संतों को खाना खिलाया था। इस के अतिरिक्त बांसवाड़ा शहर के आसपास देखने और घुमने लायक कई आकर्षित स्थान है।
डेलाब झील Banswara
डेलाब झील एक खूबसूरत झील है। आनंद लेने के लिए यह एक स्थानीय लोगों की प्रसिद्ध जगह है। झील के किनारे बादल महल नामक एक महल है। यह महल पूर्वी शासकों के गर्मियों का रीसॉर्ट पुराने समय मे हुआ करता था और साथ ही यह बांसवाड़ा का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थलो मे से एक है।
जगमेर हिल्स Banswara
बांसवाड़ा शहर से 15 km दूर माही डैम रोड पर जगमेरू पहाड़ी ने नए पिकनिक स्पाॅट के रूप में पहचान बनाई है। माही नदी के किनारे ऊंची-ऊंची पहाड़ियां मानसून के कारण हरी-भरी हो गई हैं। इन्हीं में करीब एक 1300 मीटर सबसे ऊंची है जगमेरू की पहाड़ी। जिसका नाम बांसवाड़ा के प्रथम राजा जगमाल सिंह के नाम पर पड़ा। यहां पर रविवार को शहर के कई लोग परिवार समेत पिकनिक मनाने पहुंचे।
कागदी पिकअप बांध Banswara
बांसवाड़ा शहर का मुख्य पेयजल स्रोत होने के साथ ही कागदी पिकअप वियर पर्यटन का मुख्य केन्द्र भी है। यहां मानसून के दौरान खोले गए कागदी के गेटों से उफन रही अथाह जलराशि के कारण लोग यहां खिंचे चले आ जाते हैं। छुट्टटी के दिनों में तो यहां मेले का नजारा रहता है। माही बांध के बेकअप के सहारे करीब 40 साल पुराना इतिहास समेटे यह कागदी पिकअप वियर शहर का खूबसूरत पर्यटन एवं रमणीय स्थल है।
अरथूना मंदिर Banswara
अरथुना मंदिर राजस्थान के बांसवाडा जिले में स्थित है यह एक छोटा शहर है। अर्थुना 11वीं, 12वीं और 15वीं सदी से जुड़े नष्ट हिंदू और जैन मंदिरों के लिए जाना जाता है। यह 11वीं शताब्दी के दौरान वागड के परमारा शासकों की राजधानी थी। उन्होंने एक साथ जैन और शैव धर्मों का संरक्षण किया, जिससे उन्होंने कई शिव मंदिरों का निर्माण किया।
अरथुना में कई प्राचीन मन्दिर और मूर्तियां खुदायी में निकली हैं जिन्हें पुरातात्विक दृष्टि से बेशकीमती एवं दुर्लभ माना जाता है,यहां के मन्दिरों में शैव, वैष्णव, जैन आदि सम्प्रदायों का समन्वय मिलता है।अरथुना में प्राचीन मण्डलेश्वर शिवालय मुख्य है, इसके अलावा विष्णु, ब्रह्माजी, महावीर आदि की मूर्तियों वाले मन्दिर हैं। यहां के मण्डलेश्वर शिवालय में गर्भगृह सभा मण्डप से काफी नीचे है जिसमें 2 फीट का बडा शिवलिंग है जिसकी जलाधारी तीन फीट गोलाई वाली है। इस मन्दिर का निर्माण दक्षिण भारतीय शैली में हुआ है।
बांसवाड़ा का वातावरण
बांसवाड़ा का मॉसम का अनुमान लगाना असंभव हे क्युकी यहा कभी बारिश का मॉसम हो जाता हे, बांसवाड़ा का वातावरण हमारे मन को शांत करने के लिए प्राप्त है ।
बांसवाड़ा के लोकगीत Banswara lokgeet
बांसवाड़ा मे कई लोकगीतों का प्रचलन है जिनमे काली कँदुरी सपाट लागी,रातों रुमालियों,ले पटेलन दरूडो,मारी बेन ते बागीदारी गई हे तू केने पनवा आयो हे जमाई,वागडी गित,, वर और लाड़ी के फैरै लेते हुए प्रमुख है ।
बांसवाड़ा की प्रसिद हॉटले Banswara famous hotel
बांसवाड़ा की प्रसिद हॉटलो मे होटल नक्षत्र , सूर्या पेलस ,होटल रेलक्ष इन ,होटल गणपती,दीप होटल,राज महल एंड होटल आदि प्रमुख है ।
यह थी हमारे प्यारे बांसवाड़ा की छोटी सी कहानी।
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लोगों द्वारा पूछे गए प्रसन –
बांसवाड़ा से जोधपुर की दूरी ?
बांसवाड़ा से जोधपुर की कुल दूरी 401 km है ।
बांसवाड़ा से जैसलमेर की दूरी ?
बांसवाड़ा से जैसलमेर की कुल दूरी 655 km है ।
बांसवाड़ा से जयपुर की दूरी ?
बांसवाड़ा से जयपुर की दूरी 506 km है ।
बांसवाड़ा से उदयपुर की दूरी ?
बांसवाड़ा से उदयपुर की दूरी 156 km है ।
बांसवाड़ा से दिल्ली की दूरी ?
बांसवाड़ा से दिल्ली की कुल दूरी 794 km है ।
बांसवाड़ा का पिनकोड़ क्या हे ?
बांसवाड़ा का पिनकोड़ 503187 है ।
बांसवाड़ा का क्षेत्रफल कितना हे ?
बांसवाड़ा का क्षेत्रफल 5,037 वर्ग km है ।
बांसवाड़ा स्थापना कब ओर किसने की ?
बांसवाड़ा की स्थापना सन 1527 ई मे जगमाल दास ने की थी ।
निष्कर्ष
बांसवाड़ा राजस्थान के दक्षिण दिशा मे बसा हुआ है । बांसवाड़ा की नीव महाराजा जगमाल सिंह ने रखी थी, बांसवाड़ा जयपुर से 530 km ओर उदयपुर से 160 km पर बसा हुआ है । 2011 के अनुसार बांसवाड़ा की जनगणना 1797485 हे, बांसवाड़ा मे कुल 11 तहसील, 346 ग्रामपंचायत तथा 1500 गाव स्थित है । यहा पूरे राजस्थान मे सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन किया जाता है । राजस्थान मे सार्वदिक वर्षा होने वाला दूसरा जिला है । बांसवाड़ा को “सौ द्वीपों का नगर” भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ से होकर बहने वाली मही नदी में अधिकाधिक द्वीप हैं।