नीम करोली बाबा – neem karoli baba
neem karoli baba भारत के सिद्ध पुरुषों मे से एक थे इन्हे भारत के काफी लोग जानते है। आज के इस आर्टिकल मे हम नीम करोली बाबा के जीवन तथा उनके आश्रम कैंची धाम के चमत्कार के बारे मे जानेगे ।
नीम करोली बाबा की प्रसिद्धि देश विदेश मे व्याप्त थी ओर उन से मिलने विराट कोहली ,स्टीव जॉब्स तथा facebook के मालिक भी यहा दर्शन करने आए ओर उनकी कहानियों के बारे मे भी इसी आर्टिकल मे जानेगे ।
नीम करोली बाबा का जीवन परिचय – neem karoli baba biography in hindi
नीम करोली बाबा का पूरा नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा है नीम करोली बाबा का जन्म 1900 के आसपास भारत के उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गाँव में एक धनी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। नीम करोली बाबाका 11 वर्ष की उम्र में ही उनका विवाह कर दिया गया था नीम करोली बाबा का इस जीवन से मन ऊब चूका था और वे घर को छोड़कर बहुत दूर जा चुके थे, नीम करोली बाबा के पिताजी के आग्रह करने पर वो फिर घर लोट आये फिर उनके दो बेटे और एक बेटी हुई ।
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नीम करोली बाबा कौन थे ? – neem karoli baba ki kahani
करोली बाबा को हनुमान जी का ही रूप माना जाता है बाबा नीम करोली वृंदावन की भूमि पर बहुत प्रसिद्ध हुए हाल ही के कुछ दिनों में पुरे देश मे यह चर्चा का विषय बन गया हे जब क्रिकेटर विराट कोहली और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा अपनी बेटी के साथ बाबा नीम करोली के एक आश्रम स्थान पहुंचे। इस बीच नीम करोली बाबा को जानने को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है। इस खबर में आपकी जिज्ञासा और मन में उठे तमाम सवालों के जवाब मिल जाएंगे।
नीम करोली बाबा को बीच रास्ते उतारने पर ठप्प पड़ गई ट्रेन ? – neem karoli baba train story
एक बार नीम करोली बाबा ट्रेन मे बिना टिकट चड़ गए फिर इसके बाद जो हुआ उसने सभी को हिला दिया। बाबा को ट्रेन से उतारने के बाद ट्रेन दोबारा चालू ही नहीं हो पाई। बाद में जब कुछ लोगों ने बाबा को वापस ट्रेन में बुलाने के लिए कहा, तो बाबा ने शर्त रखी कि रेलवे साधुओं का सम्मान करे और जिस जगह बाबा उतरे हैं, वहां एक रेलवे स्टेशन बनवाया जाए। क्योंकि, यात्रियों को स्टेशन के लिए बहुत दूर चलना पड़ता था।| नीम करोली बाबा के चढ़ते ही ट्रेन तुरंत चालू हो गई। फिर वहा नीम करोली नाम से स्टेशन बनाया गया ।
Steve Jobs से लेकर Mark Zuckerberg की नीम करोली बाबा में क्यों आस्था थी ?
नीम करोली बाबा के पास अद्भत शाक्तिया थी साल 1974 में स्टीव जॉब्स अपने दोस्त डैन कोट्टके के साथ नीम करोली बाबा के दर्शन के लिए पहुचे वहा उस दौरान हिंदू धर्म और भारतीय आध्यात्मिकता का अध्ययन करने के लिए भारत आए थे। इसके बाद स्टीव जॉब्स से प्राभिवत होकर फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी 2015 में बाबा नीम करोली के कैंची धाम आश्रम पहुंचे थे। इसके अलावा, हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स भी उनसे प्रभावित हुई थी, नीम करोली बाबा के कैंची धाम आश्रम पहुंचने बाद मानो इनकी जीवन एक दम से सफल बन गया हो |
नीम करोली बाबा का आश्रम कहा है ? -neem karoli baba ka aashram
नीम करोली बाबा का दूसरा आश्रम उत्तर प्रदेश के वृंदावन में है। यहां नीम करोली बाबा का महासमाधि मंदिर भी है। वृंदावन बस स्टैंड से बाबा का आश्रम सिर्फ करीब 02 किमी की दूरी पर है। रेलवे स्टेशन से भी आश्रम की दूरी 02 किलोमीटर है।
नीम करोली बाबा को हनुमान जी का रूप क्यों माना जाता है ? – neem karoli baba ki kahani
एक बार एक दम्पति अपने बेटे को लेकर बहुत परेशान थे क्युकी क्योकि उनका बेटा सेना में जवान था जो काफी समय से घर नहीं लोटा था। इसकी चिंता उनको सताए जा रही थी तभी अचानक नीम करोली बाबा उस दम्पति के घर आते हे और कहते हे की मुझे भूक लगी हे कुछ खाने को दीजिये, तब वो दम्पति बाबा को देखकर हैरान हो जाते है ।
फिर खाना खाने के बाद उन्होंने वही सोने की इच्छा जाहिर की तब वो एक कंबल लेकर एक कमरे में सोने चले गए और रात भर छीलते रहे और करवट बदलते रहे ,जिससे दम्पति बहुत हैरान हुए की यह बाबा को क्या हो रहा हैं ? वो उन्हें जगा भी नहीं सकते थे नहीं तो नींद ख़राब जो जाती। फिर सुबह उठने के उस कम्बल को समेत कर गंगा में बहाने को कहा और ये भी कहा की आज से ठीक एक महीने बाद तुम्हारा वापस लोट आएगा।
बाबा के कहे अनुसार उन्होंने उस कांबले को गंगा में बहने चले गए और कांबले जरुरत से बहुत जायदा भरी होती चली जा रही थी फिर उस कंबल को बिना खोले गंगा में बहा दिया और ठीक एक महीने बाद उस दम्पति का बेटा घर लोट आया और उसने जो कहा वो सुनकर आप हैरान हो जाओगे उसने बताया की एक रात हमारे ऊपर एक टुकड़ी ने अचानक हमला कर दिया हमरे सारे साथी मारे जा चुके थे लेकिन मुझे एक भी गोली नहीं लगी मानो कोई अदृश्य शक्ति मेरी रक्षा कर रही हो और यह बात उसी रात की हे जब बाबा उस दम्पति के घर रात रुके थे।
नीम करोली बाबा की मृत्यु कैसे हुई ? Neem Karoli Baba Death
नीम करोली बाबा 11 सितंबर 1973 की एक रात neem karoli baba अपने वृंदावन स्थित आश्रम में थे। अचानक उनकी तबीयत खराब होने लगी जिसके बाद भक्तों ने आनन-फानन में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। जहां पर डॉक्टर द्वारा ऑक्सीजन मास्क लगाने के तुरंत बाद निकालकर बाबाजी ने फेंक दिया और वहां उपस्थित भक्तों से कहा कि अब मेरे जाने का समय आ गया है।
तुलसी और गंगाजल लाने का आदेश बाबा ने अपने भक्तों को दिया। इसके बाद उन्होंने तुलसी और गंगाजल को ग्रहण कर रात के करीब 1:15 पर अपने शरीर को त्याग दिया। कहते है कि बाबा अलौकिक रूप से अपने भक्तों के साथ हमेशा विराजमान रहते हैं।