ओरछा || बुंदेलखंड की अयोध्या

ओरछा || बुंदेलखंड की अयोध्या

भारतीय सांस्कृतिक विरासत में बुंदेलखंड का एक अनमोल जिला  है – ओरछा। यहाँ का रामराजा मंदिर एक अद्वितीय स्थल है जो भारतीय इतिहास और पौराणिक कथाओं में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। ओरछा, बुंदेलखंड की अयोध्या के रूप में प्रसिद्ध है, जहां राम की पूजा राजा के रूप में होती है।

इस लेख में हम इस महान स्थल के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे और इसका महत्त्व समझेंगे।

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ओरछा का लघु परिचय 

यह  मध्य प्रदेश राज्य के बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित है। यह जागरूकता का सेंटर है जो अपने ऐतिहासिक महलों, मंदिरों और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। ओरछा झाँसी से 20 किलोमीटर, टीकमगढ़ से 80 किलोमीटर और छतरपुर से 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

ओरछा का ऐतिहासिक महत्त्व

शास्त्रों में वर्णित है कि आदि मनु सतरूपा ने हजारों वर्षों तक तपस्या की ताकि विष्णु उन्हें बालरूप में प्राप्त करने के लिए प्रसन्न हों। विष्णु ने उन्हें आशीर्वाद दिया और त्रेता में राम, द्वापर में कृष्ण और कलियुग में ओरछा के रामराजा के रूप में अवतार लिया।

ओरछा की मनोहारी कथा

ओरछा की मनोहारी कथा रामराजा के अयोध्या से ओरछा आने की है। एक दिन ओरछा नरेश मधुकरशाह ने अपनी पत्नी गणेशकुंवरि से कृष्ण उपासना के इरादे से वृंदावन चलने को कहा। लेकिन रानी राम भक्त थीं और उन्होंने वृंदावन जाने से मना कर दिया। इस पर राजा ने उनसे कहा कि तुम इतनी राम भक्त हो तो अपने राम को ओरछा ले आओ। इसके बाद रानी ने अपने प्राण त्यागकर सरयू नदी में कूद पड़ी, जहां उन्हें रामराजा का दर्शन हुआ।

रामराजा मंदिर: अयोध्या का रूप

राम मंदिर विश्व का अकेला स्थान है जहां राम की पूजा राजा के रूप में होती है। यहां पर रामराजा अपने बाल रूप में विराजमान हैं, और इसे दूसरी अयोध्या के रूप में मान्यता प्राप्त है। जनश्रुति है कि श्रीराम दिन में यहां और रात्रि में अयोध्या में विश्राम करते हैं।

रामराजा के मंदिर का महत्त्व

राम जी  ने ओरछा चलना स्वीकार किया, लेकिन उन्होंने तीन शर्तें रखीं। इनमें से दो निवास हैं खास – दिवस ओरछा रहत हैं और शयन अयोध्या वास। इसी तरह संत शिरोमणि तुलसीदास भी अयोध्या में साधना रत थे। रानी ने इस मंदिर का निर्माण किया और इसे रामराजा के दर्शन की एक अनोखी घटना के रूप में माना जाता है।

एक रोमांचक घटना

राम के इस विग्रह ने चतुर्भुज जाने से मना कर दिया था। कहते हैं कि राम यहां बाल रूप में आए और अपनी मां का महल छोड़कर वो मंदिर में कैसे जा सकते थे। राम आज भी इसी महल में विराजमान हैं और उनके लिए बना करोड़ों का चतुर्भुज मंदिर आज भी वीरान पड़ा है। यह मंदिर आज भी मूर्ति विहीन है।

मंदिर का धारोहरिक महत्त्व

रामराजा मंदिर के चारों तरफ हनुमान जी के मंदिर हैं। यहां राम ओरछाधीश के रूप में मान्य हैं। यहां राम की पूजा राजा के रूप में होती है और उन्हें सूर्योदय के पूर्व और सूर्यास्त के पश्चात सलामी दी जाती है।

ओरछा के अन्य धरोहर

ओरछा की अन्य बहुमूल्य धरोहरों में लक्ष्मी मंदिर, पंचमुखी महादेव, राधिका बिहारी मंदिर, राजामहल, रायप्रवीण महल, हरदौल की बैठक, हरदौल की समाधि, जहांगीर महल और उसकी चित्रकारी प्रमुख हैं।

आर्किटेक्चरल शैली

रामराजा मंदिर ओरछा की भव्य और अलौकिक वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है। यह मंदिर मिश्रित शैली में निर्मित है, जिसमें हिन्दू और मुग़ल वास्तुकला के संगम का अद्वितीय विहंगम दृश्य प्रदर्शित होता है। इसकी उच्च स्तरीय स्तम्भ, विशालकाय प्रवेशद्वार और विस्तारवादी आकृति इसे अनूठा बनाते हैं। मंदिर का सम्पूर्ण निर्माण मार्बल और पत्थरों से किया गया है, जो उसकी सुंदरता को और बढ़ाता है।

सांस्कृतिक महत्त्व

रामराजा मंदिर का महत्त्व उसकी विशेष पूजा पद्धति और त्योहारों में व्यक्त होता है। यहां पर प्रतिदिन सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद भगवान राम को सलामी दी जाती है। रामराजा मंदिर के त्योहार वर्षभर आयोजित होते हैं, जिनमें विशेष पूजा-अर्चना और समारोह शामिल होते हैं। यहां के त्योहारों में लोक नृत्य, संगीत और परंपरागत कलाएं भी शामिल होती हैं जो यात्रियों को स्थानीय संस्कृति का अनुभव करने का मौका देती हैं।

यात्रा अनुभव

रामराजा मंदिर ओरछा का प्रमुख पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ धारोहरिक तौर पर भी एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है। मंदिर की विशेषता यहां के समय-समय पर आयोजित त्योहारों, पूजाओं और संस्कृति के माहौल में है। यहां का वातावरण परंपरागत, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयामों से भरपूर है, जो यहां के यात्रियों को एक अनूठे अनुभव का संदेश देते हैं।

महत्त्वपूर्ण जानकारी

रामराजा मंदिर व्यक्तिगत और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण होता है। इसे भगवान राम का एक अनूठा स्थल माना जाता है, जहां उन्हें राजा बीर सिंह द्वारा नागराजा के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर की अनूठी पूजा पद्धति और उसमें हर दिन होने वाली आराधना इसे अद्वितीय बनाती है।

विशेष पूजा और उत्सव

रामराजा मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और अन्य धार्मिक आयोजन हर दिन आयोजित होते हैं। विशेष त्योहारों पर जैसे कि रामनवमी, दीपावली, और महाशिवरात्रि जैसे धार्मिक उत्सव यहां पर बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।

 

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