Salasar Dham Ka Ansuna Rahasy
salasar dham पवनपुत्र हनुमान को समर्पित एक हिन्दू मंदिर है। यह राजस्थान के चूरू जिले में स्थित एक हिन्दू मंदिर है। यहाँ हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा और अश्विन पूर्णिमा पर बड़े मेलो का आयोजन होता है।
भारत का एकमात्र यही मंदिर है जहा बालाजी की दाढ़ी और मुछ है। सालासर राजस्थान राज्य के चूरू जिले का एक हिस्सा है जो जयपुर बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है। सालासर बालाजी का प्रबंधन मोहनदासजी सालासर ट्रस्ट के द्वारा किया जाता है।
बालाजी के salasar dham प्रकट होने से जुडी कथा
कहा जाता है की सर्वप्रथम बालाजी ने अपने भक्त मोहनदास की भक्ति से प्रसन होकर मूर्ति के रूप में प्रकट होने का वचन दिया था।
आसोटा गांव में एक जाट अपने खेतो की बुआई कर रहा था तभी उसके हल की नोक जमीन में किसी पत्थर से टकरा जाती है। तब वो अपने हाथो से मिटटी को हटाकर हल की नोक को निकलता है। तो उसे वह पत्थर मिलता है जिससे हल की नोक टकराई थी। पत्थर निकाल कर मोहनदास अपने कपड़ो से पत्थर को साफ करता है तो उसे उस पत्थर में बालाजी की छवि नजर आती है ।
बालाजी की छवि देखकर जाट ने भक्ति भाव से उस पत्थर को स्वच्छ जल से धोया और पूजा करने लगा। परन्तु उसके पास बालाजी को भोग लगाने के लिए कुछ नहीं ,तो वह सोचने लगा की बालाजी को किसका भोग लगाऊ।
इतने में वहा उसकी पत्नी खाना लेकर आ जाती है । खाने में उसके बाजरे की रोटी का चूरमा आया हुआ होता है जिसे वो बालाजी को भोग लगा देता है। उसी दिन के बाद से ही बालाजी को बाजरे की रोटी का चूरमे का भोग लगाया जाता है।
salasar dham में किस तरह प्रकट हुए दाढ़ी मूंछ वाले बालाजी
जिस दिन बालाजी की मूर्ति मिली थी उसी दिन आसोटा के मोहनदास को सपने में बालाजी ने दाढ़ी मूंछ में दर्शन दिए और मूर्ति को salasar dham पहुचाने के लिए कहा। तथा मोहनदास को यह हिदायत दी की जहा पर इस मूर्ति को तू रखेगा वही पर में स्थापित हो जाऊंगा।
मोहनदास ने ठीक वैसा ही किया और मूर्ति को सालासर में स्थापित कर दिया। पुरे भारत में एकमात्र यही मंदिर है जहा हनुमान जी की दाढ़ी मूछे है। इसके पीछे भी एक मान्यता है की मोहनदास को इसी रूप में दर्शन दिए थे तो मोहनदास ने इसी रूप में मूर्ति स्थापित करने का वर बालाजी से प्राप्त किया था।
salasar dham बालाजी के कुछ अनसुना सच
कहा जाता है की बालाजी के मंदिर के निर्माण में मुस्लमान कारीगर भी शामिल थे जिनमे से प्रमुख है नूर मोहम्मद और दाऊ।
salasar dham में बालाजी का धूणा बहुत ही चमत्कारी मन जाता है। सुनने आता है क मोहनदास जी ने ३०० साल पहले जिस धुनि को जलाया वो आज भी जल रही रही है ।
salasar dham बालाजी को पान का बीड़ा क्यों चढ़ाया जाता है
यहाँ के लोगो का मानना है की पान का बीड़ा चढाने से बालाजी उनकी मनोकामना पूर्ण करते है। बीड़ा उठाना का शाब्दिक अर्थ होता है की किसी भी कार्य को पूर्ण करने का उत्तरदायित्व अपने ऊपर लेना।
बालाजी पर पान का बीड़ा चढाने का अर्थ होता है की आप अपनी इच्छाओ को बालाजी को समर्पित कर रहे है। अब बालाजी की यह जिम्मेवारी है की वही आपकी मनोकामना को पूर्ण करे। इसलिए salasar dham बालाजी को पान का बीड़ा चढ़ाया जाता है।
सालासर बालाजी को भोग में की चढ़ाया जाता है
salasar dham हनुमान जी को बाजरे की रोटी से बना चूरमा ,लड्डू ,पान का बीड़ा ,सुपारी,लौंग ,इलायची का भोग लगाया जाता है।
शनिवार के दिन बालाजी को लौंग ,सुपारी और इलायची का भोग लगाने से शनि का क्रोध दूर हो जाता है।
तथा सरसो के तेल में लौंग डालकर दीपक जलाकर बालाजी की पूजा आराधना करने से संकट दूर होते है तथा धन लाभ होता है। मंगलवार को चने का भोग लगाने से मंगल का दोष दूर होता है।
salasar dham मंदिर की आरती समय सारिणी
सालासर बालाजी मंदिर के कपाट सुबह ४:३० बजे खुलते है।
बालाजी की मंगला आरती प्रातः काल ५ बजे होती है।
बालाजी सुभह १०:३० बजे भोग लगाया जाता है। सांयकाल ६ बजे मोहनदास जी की आरती की जाती है।
बालाजी की साम ७:३० बजे सांयकालीन आरती की जाती है।
सालासर बालाजी को रात्रि ८ बजे बाल भोग लगाया जाता है।
बालाजी की शयन आरती का समय रात्रि १० बजे होता है।
salasar dham सालासर बालाजी के भजन
झालर संख नगाड़ा बाजे रे,
सालासर रा मंदिर में हनुमान विराजे हो ।
हनुमान विराजे हो सदा बजरंग विराजे र।।
झालर संख नगाड़ा बाजे रे,
सालासर रा मंदिर में हनुमान विराजे हो ।।
भारत राजस्थान में जी सालासर एक धाम ,
सूरज शामी बनो देवरों बालाजी रो धाम।।
दूर देश सु आवे जातरी।,महिमा अपरम्पार
झालर संख नगाड़ा बाजे रे,
सालासर रा मंदिर में हनुमान विराजे हो ।
हनुमान विराजे हो सदा बजरंग विराजे र।।
झालर संख नगाड़ा बाजे रे,
सालासर रा मंदिर में हनुमान विराजे हो ।।
आसमान में थारी लाल ध्वजा फहरावे
नारेला की गिनती कोनी सुमरन छत्र अपार ,
थारे जात जडूला चढ़े ,चढ़े चूरमा
सालासर के मंदिर में हनुमान विराजे रे॥
झालर संख नगाड़ा बाजे रे,
सालासर रा मंदिर में हनुमान विराजे हो ।
हनुमान विराजे हो सदा बजरंग विराजे र।।
झालर संख नगाड़ा बाजे रे,
सालासर रा मंदिर में हनुमान विराजे हो ।।
हो राम दूत अंजनी के लाल का धरो हमेशा ध्यान,
सेवक तेरे चरणों का चाकर रखजो लाज हनुमान।
सालासर के मंदिर में हनुमान विराजे रे॥
झालर संख नगाड़ा बाजे रे,
सालासर रा मंदिर में हनुमान विराजे हो ।
हनुमान विराजे हो सदा बजरंग विराजे र।।
झालर संख नगाड़ा बाजे रे,
सालासर रा मंदिर में हनुमान विराजे हो ।।
सालासर वाले ने कर दिया कमाल ,
जो भी आया दर पे कर दिया मालामाल ।
मेंहदीपुर वाले ने कमाल कर दिया,
जो भी आया दर पे मालामाल कर दिया॥
सालासर वाले ने कर दिया कमाल ,
जो भी आया दर पे कर दिया मालामाल ।
सालासर वाले ने कर दिया कमाल।।
दानियो में दानी मेरा सालासर वाला,
बड़ा दिलदाार सारे जग का रखवाला।
सुन करके अर्जी सबका काम कर दिया,
जो भी आया दर पे कर दिया मालामाल ॥
सालासर वाले ने कर दिया कमाल ,
जो भी आया दर पे कर दिया मालामाल ।
सालासर वाले ने कर दिया कमाल।।
दीनो को सहारा देके सुख बरसाता,
जिसका न कोई उसे गले से लगाता।
भगतों का पूरा हर काम कर दिया,
जो भी आया दर पे कर दिया मालामाल ॥
सालासर वाले ने कर दिया कमाल ,
जो भी आया दर पे कर दिया मालामाल ।
सालासर वाले ने कर दिया कमाल।।
मान सम्मान दे, भरे भंडारे,
सालासर बाबा सबकी बिगड़ी सँवारे।
दुष्टो का तो हाल ही बेहाल कर दिया,
जो भी आया दर पे कर दिया मालामाल ॥
सालासर वाले ने कर दिया कमाल ,
जो भी आया दर पे कर दिया मालामाल ।
सालासर वाले ने कर दिया कमाल।।
जो भी आया दर पे कर दिया मालामाल ॥
सालासर वाले ने कर दिया कमाल ,
जो भी आया दर पे कर दिया मालामाल ।
सालासर वाले ने कर दिया कमाल।।