Bhilwara ki kahani

Bhilwara ki kahani

राजस्थान के 33 जिलों की  33  कहानियों में हम पहुंच चुके हैं भीलवाड़ा। भीलवाड़ा राजस्थान की वस्त्र नगरी के नाम से जाना जाता है। राजस्थान का प्रसिद्ध शहर होने के साथ-साथ भीलवाड़ा राजस्थान का जिला भी है। यहां पर बने कपड़े विश्व में अपनी अलग ही पहचान रखते हैं। भीलवाड़ा उदयपुर से मात्र 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तथा राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर से जिसे Pink city या गुलाबी नगरी कहा जाता है जो  247 किलोमीटर दूर स्थित है।

इस आर्टिकल में हम भीलवाड़ा के इतिहास प्रसिद्ध कहानी , जगहों तथा प्रसिद्ध भोजन के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही हम भीलवाड़ा की संस्कृति, रहन – सहन तथा उनके खान – पान को समझाने एवं अनुभव कराने का भी प्रयास करेंगे।

किसी भी स्थान या वस्तु के बारे में विस्तार से जानने से पहले हमें उसके बारे में लघु जानकारी होना अति आवश्यक है क्योंकि लघु जानकारी उसको समझने के लिए सहायक सिद्ध होती है। आइए चलते हैं भीलवाड़ा की ओर।

भीलवाड़ा का लघु परिचय

राजस्थान की Textile City के नाम से जाना जाने वाला भीलवाड़ा अपने यहां बने कपड़ों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। राजस्थान के दक्षिण में स्थित भीलवाड़ा मध्य प्रदेश का पड़ोसी जिला है जो 10455 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ हैं। भीलवाड़ा राजस्थान के चित्तौड़गढ़, राजसमंद, बूंदी, अजमेर,  टोंक जिलों का पड़ोसी जिला है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भीलवाड़ा राजस्थान का 15 वा सबसे बड़ा जिला है। भीलवाड़ा की कुल जनसंख्या 240 8523 है।

Bhilwara ki kahani
Bhilwara ki kahani

भीलवाड़ा का नामकरण

भीलवाड़ा का नामकरण 11 वीं सदी में भील जाति की आधार पर किया गया था। भीलवाड़ा के नामकरण के पीछे कुछ इतिहासकारों का मानना है कि भीलवाड़ा में मेवाड़ राज्य के  भिवाड़ी सिक्के बनाए जाते थे, जिसके कारण इसका नाम भीलवाड़ा रखा गया। वर्तमान समय में भीलवाड़ा राजस्थान के  मैनचेस्टर के नाम से भी विख्यात है। इसके अलावा भीलवाड़ा को कई नामों से जाना जाता है जिनमें zoo of minerals, अभ्रक नगरी, तालाबों का शहर तथा technology city की शामिल है।

भीलवाड़ा का इतिहास – Bhilwara history

भीलवाड़ा के अगर इतिहास की बात की जाए तो भीलवाड़ा कभी सियासत नहीं रहा। भीलवाड़ा पुलिया रियासत का एक हिस्सा  था जो वर्तमान में शाहपुरा के नाम से विख्यात है। भीलवाड़ा मेवाड़ राज्य के अधीन रह चुका है जो समय बीतने के साथ-साथ सन 1631 में मुगलों के अधीन चला गया। भीलवाड़ा में एक बिजोलिया नामक स्थान था जो मेवाड़ का केंद्र माना जाता था। मुगल शहंशाह शाहजहां तथा सुजान सिंह ने पुलिया रियासत को शाहपुरा में बदल दिया था।

भीलवाड़ा 1948 स्वतंत्रता से पहले मेवाड़ की रियासत यानी उदयपुर के अधीन था, परंतु स्वतंत्रा  प्राप्ति के पश्चात जब राजस्थान का एकीकरण किया गया तब भीलवाड़ा को राजस्थान के जिले के रूप में शामिल कर दिया गया था। भीलवाड़ा का संबंध महाराणा प्रताप से बताया जाता है। जब महाराणा प्रताप  और मुग़ल बादशाह अकबर के बीच हल्दीघाटी का युद्ध शुरू हुआ था तब भील  जनजाति के लोगों ने महाराणा प्रताप की युद्ध में सहायता की थी। इसी भील  जनजाति के राणा पूंजा भील जैसे  परम प्रतापी शूरवीर हुए जिन्होंने अकबर से लोहा लेते हुए महाराणा प्रताप का साथ दिया तथा महाराणा प्रताप की मृत्यु के बाद महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह के राज्य संचालन में भी मदद की।

भीलवाड़ा को टेक्सटाइल नगरी क्यों कहा जाता है

भीलवाड़ा को राजस्थान की Textile City भी कहा जाता है क्योंकि यहां प्रतिवर्ष 2100 करोड रुपए का टर्नओवर अकेले कपड़ा उद्योग से ही मिलता है। भीलवाड़ा में कपड़ा उद्योग सन 1936 से शुरू हुआ था, जो समय के साथ साथ सन 2006 में 300 फैक्ट्रियों से भी ज्यादा में बदल गया। कपड़ा उद्योग की वजह से भीलवाड़ा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विशेष पहचान मिली है जिसके कारण आज भीलवाड़ा चीन, बांग्लादेश जैसे 60 से भी अधिक देशों में कपड़ा निर्यात करता है। सन 2009 में भीलवाड़ा को Textile City  का खिताब मिला।

भीलवाड़ा की प्रमुख नदियां

भीलवाड़ा को अगर नदियों के शहर की उपाधि दी जाए तो इसमें कोई दोराय नहीं है। भीलवाड़ा में आपको हर जगह नदी – नाले और झरने देखने को मिल जाते हैं। भीलवाड़ा की प्रमुख नदी बनास नदी है जो खमनोर की पहाड़ियों से होते हुए चंबल नदी में मिल जाती। इसके अलावा यहां बहुत सारी नदियां हैं जिनमें मेडज, मेज – मेनाल, खारी तथा कोठारी है। नदियों के अलावा भीलवाड़ा में आपको बांध तथा तालाब की देखने को मिल जाते हैं जिनके मनोरम दृश्यों का लाभ उठाने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं।

भीलवाड़ा की प्रमुख भाषा

भीलवाड़ा की अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न – भिन्न बोलियां बोली जाती है जिनमें मेवाड़ी, हिंदी, राजस्थानी तथा खराड़ी भाषा प्रमुख हैं। सभी बोलियों में राजस्थानी का प्रचलन सबसे अधिक है।

भीलवाड़ा R.T.O. – Bhilwara R.T.O.

भीलवाड़ा की जनसंख्या तथा क्षेत्रफल अधिक होने के कारण यहां पर दो R.T.O.हैं पहला Bhilwara दूसरा है शाहपुरा।
भीलवाड़ा R.T.O. का वाहन रजिस्ट्रेशन नंबर RJ06 से प्रारंभ होता है जबकि शाहपुरा का R.T.O. नंबर RJ51 है।

भीलवाड़ा में पाए जाने वाले खनिज

भीलवाड़ा में अगर खनिज संपदा की बात की जाए तो यहां महत्वपूर्ण खनिजों के भंडार हैं। इन खनिजों में तांबा ,सीसा, जस्ता ,बेरिलियम तथा यूरेनियम प्रमुख है। ये सभी खनिज बहुतायत मात्रा में भीलवाड़ा की खदानों में पाए जाते हैं। इन खनिजों के अलावा भीलवाड़ा की ईट भी काफी प्रसिद्ध है जो राजस्थान के कई इलाकों में निर्यात की जाती है।

भीलवाड़ा की प्रमुख फसलें

भीलवाड़ा की खेती के बारे में बात की जाए तो यहां अदरक का बहुत अधिक मात्रा में उत्पादन किया जाता है। भीलवाड़ा में हल्की काली व लाल मिट्टी पाई जाती है। भीलवाड़ा में मुख्यतया मक्का ,ज्वार तथा मूंगफली की खेती की जाती। bhilwara  में अदरक के सर्वाधिक उत्पादन की कारण  राजस्थान का नंबर 1 अदरक उत्पादक जिला हैं ‌।

भीलवाड़ा के सबसे सम्मानित व्यक्ति 

भीलवाड़ा की कई प्रसिद्ध व्यक्ति हैं जो Bhilwara की शान बने हुए हैं। इन व्यक्तियों में कुछ ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने पूरे देश में अपनी कला का डंका बजा रखा है जिनके कारण आज उनको  को पूरा देश जानता है।

अभिजीत गुप्ता

भीलवाड़ा की शान कहे जाने अभिजीत गुप्ता  शतरंज के बेताज बादशाह है। इनका जन्म भीलवाड़ा की धरती पर हुआ था। अभिजीत गुप्ता ने पांच कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप जीती है। अभिजीत गुप्ता को शतरंज में मात देने के लिए अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते हैं।

श्री लाल जोशी

भीलवाड़ा के श्री लाल जोशी को भीलवाड़ा के सर्वश्रेष्ठ पेंटर की उपाधि प्राप्त है। श्री लाल जोशी का जन्म भीलवाड़ा में हुआ था। श्री लाल जोशी को हल्दीघाटी ,रानी पद्मिनी ,पृथ्वीराज चौहान ,ढोला मारु के चित्र बनाने की वजह से राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री से नवाजा जा चुका है।

भीलवाड़ा की पर्यटन स्थल – Bhilwara visiting places

अगर आप भीलवाड़ा घूमने के लिए आ रहे हैं तो आपको इन पर्यटक स्थलों का भ्रमण नहीं किया है तो आपका Bhilwara आना व्यर्थ सा हो जाता है। यह पर्यटन स्थल भीलवाड़ा का हृदय हैं जिनको देखने से आपकी भीलवाड़ा की यात्रा संपूर्ण हो जाती हैं आइए जानते हैं इन पर्यटन स्थलों के बारे में

बदनोर का किला – Badnor fort

बदनोर जिला भीलवाड़ा की आन बान शान होने के साथ-साथ धरोहर है। सात मंजिला बदनोर का किला भारतीय वास्तुकला तथा हस्तकला का एक अद्भुत होता है। भीलवाड़ा के बदनोर किस किले का निर्माण सन 1584 ईसवी में करवाया गया था।

तिलस्वा महादेव मंदिर – Tilswa mahadev temple

तिलस्वा महादेव मंदिर भीलवाड़ा का सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। तिलस्वा महादेव मंदिर की मान्यता है कि यहां की मिट्टी को शरीर पर लगाने से किसी भी प्रकार की चर्म रोग की बीमारी में जड़ से नष्ट हो जाती है। महादेव के भक्त दूर-दूर भोले बाबा के दर्शनों को आते हैं।

सवाई भोज मंदिर – Sawaibhoj temple

सवाई भोज मंदिर लगभग 11 वर्ष पुराना है जो देवनारायण भगवान को समर्पित है। देवनारायण की फड़ राजस्थान की बहुत प्रसिद्ध फड़ है ‌। देवनारायण की फड़ राजस्थान की सबसे लंबी तथा प्राचीन फड़ है। सवाई भोज मंदिर 24 बगड़ावत भाइयों में से एक को समर्पित है इसलिए सवाई भोज मंदिर कहा जाता है। यहां पर प्रतिवर्ष भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी  को एक मेले  का आयोजन होता है जिसमें हजारों की संख्या में भक्त  दर्शन के लिए आते हैं।

चारभुजा मंदिर – Chaarbhuja temple

चारभुजा मंदिर भीलवाड़ा की कोटड़ी में बना हुआ एक सुंदर मंदिर है। इस मंदिर के निर्माण में सफेद मार्बल का प्रयोग किया गया है जो बहुत ही सुंदर है। यह  भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां चारभुजा नाथ की दान देते हुए की प्रतिमा जबकि अन्य मंदिरों में चारभुजा नाथ दान लेते हुए की मूर्ति है।

गोवटा बांध – Gowta dam

भीलवाड़ा की मांडलगढ़ में  स्थित गोवटा बांध अपने आप में नहीं एक अनोखा बांध है। जब वर्षा ऋतु में बारिश के कारण यह बांध पूर्ण रूप से पानी से भर जाता है और पानी बांध के ऊपर से बहने लगता है तब इस बांध का नजारा कुछ अलग ही होता है। बांध के ऊपर से बह रहे पानी को देखकर ऐसा लगता है कि मानो दूध का झरना बह रहा हो। इसी दूध के झरने का नजारा देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

त्रिवेणी संगम Triveni sangam

भीलवाड़ा में स्थित बेडच, मेनाल तथा बनास नदियों के त्रिवेणी संगम को राजस्थान का मिनी पुष्कर या भीलवाड़ा का हरिद्वार काहे जाने में कोई आपत्ति नहीं है। त्रिवेणी संगम का दृश्य बहुत ही मनोरम है। यही वह स्थान है जहां पर महात्मा गांधी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की अस्थियों का विसर्जन किया गया था।

भीलवाड़ा का प्रसिद्ध भोजन – Bhilwara famous food

bhilwara  अपने स्वादिष्ट भोजन के लिए भी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। भीलवाड़ा की प्याज की पकौड़ी 72 वर्षों से लोगों की जुबान पर अपना स्वाद बनाए हुए हैं। भीलवाड़ा की प्याज की पकौड़ी का स्वाद लेने के लिए लोग यहां दूर-दूर से आते हैं। इसके साथ ही कचौड़ी के लिए भी भीलवाड़ा प्रसिद्ध है। अगर आप भीलवाड़ा में जय राम जी की कचोरी और प्याज की पकौड़ी नहीं खाई तो आपने भीलवाड़ा का स्वाद ही खो दिया मानो। अगर आपको भीलवाड़ा की नमकीन का स्वाद लेना है तो जय राम जी की कचोरी तथा प्याज की पकौड़ी के स्वाद का आनंद अवश्य लेना चाहिए। इन दोनों नमकीनो का स्वाद बेहद लाजवाब हैं।

भीलवाड़ा का लोक नृत्य- Bhilwara famous dance

भीलवाड़ा का प्रसिद्ध नृत्य नाहर नीति हैं, जो मांडल कस्बे में साल में एक ही बार रंग तेरस को दिवाली के दिनों में आयोजित किया जाता है। नाहर शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है शेर। इस नृत्य की खासियत है कि इसमें कलाकार अपने शरीर पर भी लपेट कर नाहर यानी शेर का स्वांग रचते हैं इसलिए इसे नाहर नृत्य कहते हैं।

निष्कर्ष 

Bhilwara राजस्थान की वस्त्र नगरी के नाम से जाना जाता है। राजस्थान का प्रसिद्ध शहर होने के साथ-साथ भीलवाड़ा राजस्थान का जिला भी है। यहां पर बने कपड़े विश्व में अपनी अलग ही पहचान रखते हैं। bhilwara  उदयपुर से मात्र 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तथा राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर से जिसे Pink city या गुलाबी नगरी कहा जाता है जो  247 किलोमीटर दूर स्थित है। भीलवाड़ा के मंदिर भी पुरे भारत में काफी फेमस है।  साथ ही भीलवाड़ा पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

 

1 thought on “Bhilwara ki kahani”

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